Tag: MITHILA JAN JAN KI AAWAJ
5 जून को दरभंगा की मिट्टी लेगी गर्व से अंगड़ाई जब मुख्यमंत्री...
इतिहास सिर्फ तारीखों का संकलन नहीं होता। कभी-कभी वह आँसुओं की स्याही से लिखा जाता...
जब श्रद्धा से जुड़ी भावनाएं डगमगाईं, तब दरभंगा पुलिस बनी...
मदारपुर भगवती मंदिर… जहां हर मंगलवार और शुक्रवार को सैकड़ों श्रद्धालु आस्था का दीप...
जब कानून के रक्षक बने कानून के भक्षक: जमालपुर थाना के अजीत...
ये महज़ एक निलंबन नहीं है। ये उस सड़े हुए तंत्र के भीतर दबे दर्द की वह चीख़ है,...
दरभंगा में माँ भगवती मंदिर के गर्भगृह में घुसकर सात पिंड...
वह नगरी, जिसे मिथिला की आत्मा कहा जाता है। वह भूमि, जहाँ सुबहें मंत्रों की गूंज...
क्या दरभंगा मेडिकल कॉलेज अब भगवान भरोसे चल रहा है? जब बापू...
बापू आज फिर रोए होंगे। देश की आज़ादी के लिए जिसने लाठियां खाईं, उस महापुरुष की प्रतिमा...
अनुसंधान की चूक ने खोली जेल की सलाखें, और SSP जागुनाथ रेड्डी...
समय से न पहुँचा न्याय भी अन्याय होता है। परंतु जब उस अन्याय की ज़मीन कोई अपराधी...
जब दरभंगा के यातायात थाने की बंद अलमारियों में काँपने लगे...
यह कोई साधारण दिन नहीं था। यह वह दिन था, जब दरभंगा के यातायात थाना की दीवारें चुपचाप...
दरभंगा की गलियों में अब गूंजता है डर, न कि चूड़ियों की...
जब चूड़ियों की खनक किसी गली से गुजरती थी, तो लगता था कि दरभंगा ज़िंदा है। अब उन्हीं...
दरभंगा की उजड़ी उम्मीदें और शिक्षक की बेजुबां मौत एसएसपी...
बिहार की धरती एक बार फिर अपने ही खून से सींच दी गई है। इस बार किसी बाहुबली के बीच...
संतोष की गिरफ्तारी नहीं, यह एक साहसी पत्रकार की कलम की...
दरभंगा के बलभद्रपुर स्थित एनपी मिश्रा चौक की गली में 12 मई की वह दोपहर आज भी लोगों...
जनप्रतिनिधि जब जनहित को भूलकर बन गया भय का प्रतीक, और अदालत...
दरभंगा, मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी और अब एक बार फिर से न्याय की जननी बनकर देशभर...
मटन के नाम पर थाली में परोस दिया गया बीफ! दरभंगा की धरती...
दरभंगा की पवित्र भूमि जहाँ माँ जानकी की स्मृतियाँ गूंजती हैं, जहाँ पान, मखाना और...
सिमरी थाने की अंधेरी कोठरी में मरा पंकज या मारा गया? बीमारी...
मिथिला की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक राजधानी। जहां साहित्य की आत्मा बसती है, वहीं कुछ...
प्रीति झा की लाश पलंग पर, गले पर फांसी के निशान, आंखों...
दरभंगा की शहरी भीड़-भाड़ में शामिल एनपी मिश्रा चौक की एक गली, जो आमतौर पर चाय की...
दरभंगा की वह सुबह जब सूरज नहीं खून उगा आंखोपुर में मनका...
एक समय था जब यह नाम आते ही बुद्धि, विद्या और विरासत की त्रयी स्मृति में उतरती थी।...
जब दरभंगा की बेटियों ने मिट्टी से उठाकर सपनों को आसमान...
शहर की सुबहें जब ठंडी हवाओं से गुफ्तगू कर रही थीं, उसी दरम्यान विद्यालयों के मैदानों...