जब रात की चुप्पी में गूंजने लगी वर्दी की आहट: दरभंगा की सड़कों पर वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी के नेतृत्व में चला विशेष समकालीन अभियान, जहां जांच की रोशनी में कांप उठे अपराध, और जनता ने महसूस की सुरक्षा की सांस

जब शहर की सड़कों पर चांदनी उतरती है, दुकानें आधी-नीम रौशनी में खुद को समेटने लगती हैं, जब भट्ठियों की आग मंद होती है और मिठाई की दुकानों पर आखिरी रबड़ी डोंगा धीरे-धीरे ढक दिया जाता है ठीक उसी समय वर्दी का उजास अपनी परछाई से अंधेरों को ठेलता है। शनिवार की रात दरभंगा की फिजा में हलचल थी। पर वह हलचल नशे की नहीं थी, न अफवाहों की थी वह हलचल कानून की जागती आत्मा की थी. पढ़े पुरी खबर.......

जब रात की चुप्पी में गूंजने लगी वर्दी की आहट: दरभंगा की सड़कों पर वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी के नेतृत्व में चला विशेष समकालीन अभियान, जहां जांच की रोशनी में कांप उठे अपराध, और जनता ने महसूस की सुरक्षा की सांस
जब रात की चुप्पी में गूंजने लगी वर्दी की आहट: दरभंगा की सड़कों पर वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी के नेतृत्व में चला विशेष समकालीन अभियान, जहां जांच की रोशनी में कांप उठे अपराध, और जनता ने महसूस की सुरक्षा की सांस

दरभंगा: जब शहर की सड़कों पर चांदनी उतरती है, दुकानें आधी-नीम रौशनी में खुद को समेटने लगती हैं, जब भट्ठियों की आग मंद होती है और मिठाई की दुकानों पर आखिरी रबड़ी डोंगा धीरे-धीरे ढक दिया जाता है ठीक उसी समय वर्दी का उजास अपनी परछाई से अंधेरों को ठेलता है। शनिवार की रात दरभंगा की फिजा में हलचल थी। पर वह हलचल नशे की नहीं थी, न अफवाहों की थी वह हलचल कानून की जागती आत्मा की थी। वरीय पुलिस अधीक्षक दरभंगा के नेतृत्व में शहर के हर चौराहे, नुक्कड़, गली, और मार्ग पर एक विशेष समकालीन जांच एवं वाहन चेकिंग अभियान चलाया गया, जिसने यह संदेश स्पष्ट कर दिया अब अपराधियों के लिए रात शरण नहीं, डर का नाम है।

सामूहिक सजगता की तस्वीर: नगर पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण पुलिस अधीक्षक, सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एवं थानाध्यक्षों ने अपनी उपस्थिति से यह सिद्ध कर दिया कि अब प्रशासनिक कार्रवाई सिर्फ फाइलों में दर्ज नहीं, धरातल पर दहाड़ती है। हर गली, हर मोटरसाइकिल, हर कार, हर कदम पुलिस की पैनी नज़रों से गुजर रहा था। और वह दृश्य किसी डर की तरह नहीं, बल्कि विश्वास की तरह उतरा शहरवासियों के मन में।

अभियान का व्यापक उद्देश्य: इस समकालीन अभियान की आत्मा केवल "जांच" नहीं थी, यह एक प्रशासनिक चेतना थी, जो सड़कों पर उतरकर कह रही थी कि: जो कानून से भागे हैं, वे अब छिप नहीं सकते। जो हथियार लेकर भय फैलाते हैं, उनकी आवाज़ अब कुचल दी जाएगी। जो नशे की बौछार में अगली पीढ़ी को डुबो रहे हैं, उनके लिए जेल का दरवाज़ा खुल चुका है। जो सड़क सुरक्षा को मज़ाक समझते हैं, उनके लिए अब चालान नहीं, समझदारी का पाठ तैयार है।

जांच की प्रक्रिया: पुलिस की टीमों ने शहर के कोने-कोने में चेकिंग अभियान चलाया। दोपहिया और चारपहिया वाहनों की डिक्कियाँ खोली गईं, ड्राइविंग लाइसेंस की जांच हुई, बीमा-पंजीकरण के दस्तावेज़ मांगे गए, और जिनके पास नहीं थे, उन्हें वहीं रोककर सख्ती दिखाई गई। संदिग्धों की गहन तलाशी हुई जैसा कि दूसरी तस्वीर में स्पष्ट देखा जा सकता है, जहां एक युवक की जांच की जा रही है, और पीछे खड़ी बाइक प्रशासनिक मुस्तैदी की गवाह है।

तस्वीरों में झलकती जागरूकता: पहली तस्वीर में शहर के सबसे व्यस्तम चौराहे पर पुलिस बल की मौजूदगी महज एक दृश्य नहीं, बल्कि एक संकल्प है। वर्दीधारी अफसरों की मुद्रा, उनका आत्मविश्वास, और आसपास मौजूद नागरिकों की उत्सुकता इस बात का प्रमाण हैं कि यह कोई आम रात नहीं थी यह वह रात थी जब दरभंगा का पुलिस प्रशासन अपने कर्तव्य के शिखर पर खड़ा था।

जनता की प्रतिक्रिया: स्थानीय नागरिकों, विशेषकर युवाओं और दुकानदारों ने पुलिस की इस चेकिंग को सराहा। एक युवक ने कहा, आज हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यह देखकर अच्छा लगता है कि कोई है जो हमारे लिए रात में भी जागता है। एक सब्ज़ी विक्रेता ने मुस्कुराते हुए कहा: पहले रात में डर लगता था बेटा, अब पुलिस देखकर चैन मिलता है।

वर्दी की पीठ पीछे नहीं होती छाया: इस पूरे अभियान की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक खुद पूरे अभियान की अगुवाई कर रहे थे। वे किसी वातानुकूलित कक्ष में बैठकर निरीक्षण नहीं कर रहे थे, बल्कि फोर्स के बीच खड़े होकर खुद उपस्थित थे। उनकी ये ‘जमीनी शैली’ ही उन्हें जनता का प्रिय और अपराधियों के लिए भय का पर्याय बनाती है।

कानून के साथ संवाद: दरभंगा पुलिस इस चेकिंग अभियान से केवल अपराधियों को नहीं रोक रही थी, बल्कि वह आम जन से एक नवीन संवाद भी कर रही थी। संवाद कि हमारी वर्दी सिर्फ डांटने नहीं, दुलारने भी आती है। हमारी लाठियाँ सिर्फ शोर नहीं, शांति भी फैलाती हैं।

एक नई सुबह की शुरुआत: इस विशेष समकालीन अभियान ने यह जता दिया कि अब दरभंगा की रातें बेखौफ़ होंगी, बेपरवाह नहीं। हर गली, हर कोना, हर मोड़ पुलिस की निगरानी में रहेगा। अब नशा नहीं चलेगा, न हथियार घूमेंगे, और न ही अपराधी खुलेआम घूमेंगे। यह अभियान एक चेतावनी थी, और साथ ही एक आश्वासन। दरभंगा अब सिर्फ ऐतिहासिक शहर नहीं, अब यह एक सजग, सुरक्षित और अनुशासित शहर बनने की राह पर है जहां वर्दी की मौजूदगी अंधेरे को भी उजाले में बदल देती है।