जब मोहब्बत की सजा मिली सीने में गोली से: दरभंगा DMCH में हॉस्टल गेट बना हत्या का मंच, लड़की के पिता ने दामाद को उतारा मौत के घाट पढ़ें 'मिथिला जन जन की आवाज़' की तह तक जाती क्राइम थ्रिलर रिपोर्ट, जो आपको रुला भी देगी और झकझोर भी!

दरभंगा, एक शांत-संवेदनशील शहर... जहां विद्या के मंदिरों में जीवन गढ़े जाते हैं, और अस्पतालों की दीवारों में साँसों को जीवनदान मिलता है। परंतु मंगलवार की शाम, DMCH के उसी परिसर में जब गोली की आवाज गूंजी, तब सबकुछ ठहर गया। प्रेम का हत्यारा बन बैठा वह पिता, जिसके कंधे कभी बेटी को गोद में झुलाते थे... अब वही कंधा मौत की पिस्तौल उठाए हुए था। यह कोई आम वारदात नहीं थी, यह वह सामाजिक विस्फोट था, जिसने परंपरा, प्रेम, प्रतिष्ठा, पुलिस और पूरे परिसर को झकझोर दिया. पढ़े पुरी रिपोर्ट......

जब मोहब्बत की सजा मिली सीने में गोली से: दरभंगा DMCH में हॉस्टल गेट बना हत्या का मंच, लड़की के पिता ने दामाद को उतारा मौत के घाट पढ़ें 'मिथिला जन जन की आवाज़' की तह तक जाती क्राइम थ्रिलर रिपोर्ट, जो आपको रुला भी देगी और झकझोर भी!
हॉस्टल गेट पर चली गोली ने जब दरभंगा को झकझोर दिया, तो खुद जिलाधिकारी कौशल कुमार और एसएसपी रेड्डी उतरे मैदान में – डीएमसीएच परिसर में भारी पुलिस बल के बीच जनआक्रोश को शांत करने की कोशिश, पर हर चेहरा सवालों से भरा..

दरभंगा, एक शांत-संवेदनशील शहर... जहां विद्या के मंदिरों में जीवन गढ़े जाते हैं, और अस्पतालों की दीवारों में साँसों को जीवनदान मिलता है। परंतु मंगलवार की शाम, DMCH के उसी परिसर में जब गोली की आवाज गूंजी, तब सबकुछ ठहर गया। प्रेम का हत्यारा बन बैठा वह पिता, जिसके कंधे कभी बेटी को गोद में झुलाते थे... अब वही कंधा मौत की पिस्तौल उठाए हुए था। यह कोई आम वारदात नहीं थी, यह वह सामाजिक विस्फोट था, जिसने परंपरा, प्रेम, प्रतिष्ठा, पुलिस और पूरे परिसर को झकझोर दिया।

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हॉस्टल की शाम, जिसमें मौत छुपी थी: मंगलवार की शाम 6 बजकर 12 मिनट। बीएससी नर्सिंग के छात्र राहुल कुमार DMCH हॉस्टल परिसर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर लौट रहा था। जीवन सामान्य था, परंतु किसे पता था कि यह उसकी अंतिम उपस्थिति होगी।कॉलेज की पथरीली सीढ़ियों से वह जैसे ही उतरा, नीचे खड़ा था एक जाना-पहचाना चेहरा प्रेमशंकर झा, राहुल की पत्नी तन्नू प्रिया का पिता। हाथ में एक बैग था, पर बैग में किताब नहीं, वहां छुपी थी समाज की नफ़रत एक देसी कट्टा। बिना कुछ कहे, नज़दीक से गोली चलाई गई सीधा सीने में। वहां, जहां प्रेम की गर्मी होती है। राहुल वहीं गिर गया, उसकी साँसे वहीं टूट गईं, सपने वहीं ठहर गए।

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जब हॉस्टल बना रणभूमि: गोली चलने की आवाज ने छात्रों के कानों में बिजली की तरह सनसनी दौड़ा दी। कुछ छात्र भागे, कुछ झाँके, और फिर जो देखा वह रूह कंपा देने वाला था। राहुल खून में लथपथ पड़ा था। और सामने खड़ा वह आदमी, जिसने गोली चलाई वहीं जमीन पर झुका हुआ। भीड़ ने घेरा और प्रेमशंकर पर टूट पड़ी। उसके शरीर पर लातें-घूंसे ऐसे बरसने लगे जैसे समाज का क्रोध खुद उसके ऊपर उतर आया हो। वह अधमरा हो चुका था। छात्रों ने उसकी चीखों को अनसुना कर दिया। बाद में पुलिस पहुंची और उसे डीएमसीएच की ही इमरजेंसी में भर्ती कराया गया। उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

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प्रेम-विवाह की सज़ा: राहुल ने चार महीने पहले ही कॉलेज की ही छात्रा तन्नू प्रिया से प्रेम विवाह किया था। दोनों के बीच जाति की दीवार थी। लड़का सामान्य परिवार का था, लड़की कथित उच्च जाति से। लेकिन प्रेम ने इस भेद को मिटा दिया था। परंतु समाज को यह गवारा नहीं था, और सबसे ज़्यादा नागवार गुज़रा था लड़की के पिता को। प्रेमशंकर, जो सहरसा के वनगांव से हैं, ने इस विवाह को कभी स्वीकार नहीं किया। पर उसके विरोध का रूप इतना क्रूर होगा, यह किसी ने सोचा न था।

पुलिसिया पैंतरेबाज़ी और छात्रों का उग्र प्रतिरोध: घटना की सूचना मिलते ही बेंता थाना पुलिस मौके पर पहुंची, पर तब तक हालात बिगड़ चुके थे। छात्रों ने इमरजेंसी विभाग का मुख्य द्वार जाम कर दिया। चारों ओर नारेबाज़ी, उग्र प्रदर्शन, और बेबस डॉक्टर। चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जिलाधिकारी कौशल कुमार और वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी भी कैंपस में पहुंचे। उनके पीछे-पीछे छह थानों की पुलिस, सदर एसडीएम विकास कुमार और एसडीपीओ राजीव कुमार भी घटनास्थल पर पहुंचे। हल्का बल प्रयोग कर छात्रों को तितर-बितर किया गया।

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 राहुल कौन था?

राहुल कुमार, 24 वर्षीय युवक, मध्यमवर्गीय किसान परिवार से था। वह मेहनती, सौम्य और व्यवहारकुशल छात्र था। अपने जूनियर्स और सीनियर्स दोनों के प्रिय। उसने अपने प्रेम को विवाह का रूप दिया, और अपने आप से वादा किया था कि वह तन्नू को हर हाल में खुश रखेगा। वह प्रेम के उस पक्ष का प्रतिनिधित्व करता था, जो साहसी है, सामाजिक रुढियों से लड़नेवाला है, और संवेदनशील भी।

अपराध का मनोविज्ञान क्या कहता है समाज?

यह केवल हत्या नहीं है, यह प्रेम पर पड़ी नफ़रत की गोलियाँ हैं। यह घटना पूरे बिहार को झकझोरती है कि आज भी जाति का ज़हर समाज की शिराओं में दौड़ रहा है। प्रेमशंकर झा ने जो किया, वह केवल अपने दामाद की हत्या नहीं थी वह समाज के एक नए सोच को कुचलने की कोशिश थी। बेटी की आज़ादी, पसंद, और आत्मनिर्णय को अपराध मानने की यह मानसिकता कब टूटेगी?

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जाँच, पोस्टमॉर्टम और पुलिस की प्रतिक्रिया: पुलिस ने राहुल के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपी का इलाज पुलिस कस्टडी में हो रहा है। एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने प्रेस को बताया, "प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि मृतक छात्र ने कॉलेज की ही एक स्टूडेंट से प्रेम विवाह किया था, जिससे नाराज होकर लड़की के पिता ने घटना को अंजाम दिया। आरोपी के खिलाफ हत्या की धाराओं में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

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रहस्य, अफवाहें और छात्र राजनीति: घटना के बाद पूरे कॉलेज परिसर में अफवाहों का बाज़ार गर्म है। कोई इसे ऑनर किलिंग कह रहा है, तो कोई इसे योजनाबद्ध साजिश। कुछ छात्रों का यह भी दावा है कि आरोपी दो दिन पहले से दरभंगा में था और अपने दामाद की गतिविधियों पर नज़र रख रहा था। क्या यह हत्या सिर्फ गुस्से में हुई या इसके पीछे कोई और चेहरा है? क्या तन्नू प्रिया को इस हमले की भनक थी? क्या कोई और इसमें शामिल है? इन सवालों की परतें पुलिसिया जांच को रोचक और जटिल बनाती हैं।