दरभंगा जीएम रोड राजकुमार गंज तिहरा हत्याकांड: आग में झुलसे निर्दोषों की न्याय की पुकार, चार दोषी पाए गए, कपलेश्वर सिंह समेत तीन पर अलग ट्रायल; अदालत ने फिर से याद दिलाई कि “भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं” 17 नवम्बर को होगी सजा की अंतिम सुनवाई, पढ़िए हमारा विस्तृत रिपोर्ट
कभी-कभी अदालतों में केवल फैसले नहीं सुनाए जाते, बल्कि उन माताओं, बहनों और निर्दोष आत्माओं की आत्मा को शांति मिलती है, जो न्याय की प्रतीक्षा में स्वर्ग से धरती को देखती रही थीं। दरभंगा के राजकुमार गंज तिहरा हत्याकांड जिसने फरवरी 2022 की एक शाम को पूरे शहर को सिहराकर रख दिया था में शुक्रवार को आखिरकार न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर की अदालत ने चार आरोपियों को दोषी ठहराया है। वहीं इस पूरे प्रकरण में दरभंगा राजपरिवार के सदस्य स्व. राजकुमार शुभेश्वर सिंह के पुत्र कपलेश्वर सिंह, अमरकांत झा और मंटून दास की संलिप्तता पाए जाने के बाद अदालत ने उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत आरोपी बनाते हुए ट्रायल का सामना करने का आदेश दिया है. पढ़े पूरी खबर.......

दरभंगा: कभी-कभी अदालतों में केवल फैसले नहीं सुनाए जाते, बल्कि उन माताओं, बहनों और निर्दोष आत्माओं की आत्मा को शांति मिलती है, जो न्याय की प्रतीक्षा में स्वर्ग से धरती को देखती रही थीं। दरभंगा के राजकुमार गंज तिहरा हत्याकांड जिसने फरवरी 2022 की एक शाम को पूरे शहर को सिहराकर रख दिया था में शुक्रवार को आखिरकार न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुमन कुमार दिवाकर की अदालत ने चार आरोपियों को दोषी ठहराया है। वहीं इस पूरे प्रकरण में दरभंगा राजपरिवार के सदस्य स्व. राजकुमार शुभेश्वर सिंह के पुत्र कपलेश्वर सिंह, अमरकांत झा और मंटून दास की संलिप्तता पाए जाने के बाद अदालत ने उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 319 के तहत आरोपी बनाते हुए ट्रायल का सामना करने का आदेश दिया है।
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“भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं…”: यह कहावत आज दरभंगा की अदालत में सच साबित हुई। तीन साल पहले की वो काली शाम, जब जमीन के लालच में इंसानियत को जला दिया गया था, आज उसी घटना के लिए अदालत ने न्याय की लौ जलाई है। शहर के जीएम रोड राजकुमार गंज में 10 फरवरी 2022 की संध्या, जमीन माफियाओं ने एक घर पर कब्जे की नीयत से पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी। उस घर में रह रहे संजय झा, उनकी बहन पिंकी कुमारी और सबसे छोटी बहन निक्की ने विरोध किया तो उन्हें आग की लपटों में झोंक दिया गया। जब तक लोग पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पिंकी और उसके गर्भस्थ आठ महीने के शिशु ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, वहीं संजय झा ने अस्पताल में तड़प-तड़प कर प्राण त्याग दिए।
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जख्मी निक्की के बयान ने अदालत को रुला दिया था: इस पूरे मामले की नींव जख्मी निक्की कुमारी के फर्दबयान पर पड़ी। वह मधुबनी जिले के पंडौल थाना क्षेत्र के सरिसवपाही की निवासी थी और अपने भाई-बहनों के साथ दरभंगा में 40 वर्षों से रह रही थी।आग में झुलसी उस युवती ने जब अदालत में बयान दिया, तो कई बार कोर्टरूम में सन्नाटा छा गया क्योंकि उसकी आवाज़ में सिर्फ़ दर्द नहीं, बल्कि न्याय की पुकार थी।
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अभियोजन पक्ष ने पेश की सच्चाई की तस्वीर: अपर लोक अभियोजक रेणु झा ने अदालत में 14 गवाहों की गवाही प्रस्तुत की। हर गवाही ने उस काली रात की दास्तान दोहराई। लोक अभियोजक अमरेंद्र नारायण झा ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने यह सिद्ध कर दिया कि यह हत्या सिर्फ़ विवाद का परिणाम नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश थी। अदालत ने अंततः चार आरोपियों शिव कुमार झा, भाष्कर कुमार, अभिमन्यु राउत उर्फ बाबा और मिथलेश पासवान को दोषी पाया और धारा 147, 436, 427, 341, 307, 302 और 120 (बी) के तहत अपराध सिद्ध किया।
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छह को मिला संदेह का लाभ, पर समाज के सवाल बाकी: मामले में आरोपी मोना उर्फ एहशान, छोटू कुमार सिंह उर्फ पत्ता, मो. जावेद, सतीश पासवान, तिरुपति कुमार और विजय कुमार भगत को अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए रिहा कर दिया। पर सवाल समाज के मन में अब भी है कब तक लालच के नाम पर निर्दोषों की आहें इस धरती को जलाती रहेंगी?
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दरभंगा की अदालत में गूंजा सन्नाटा और सिसकी: जब अदालत ने “दोषी” शब्द सुनाया, तो कोर्टरूम में उपस्थित कई लोग रो पड़े। कुछ ने राहत की सांस ली, कुछ ने आंखें बंद कर कहा “भगवान के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं।” पीड़िता पक्ष के चेहरे पर आँसू थे, पर उनमें सुकून का अहसास भी था। शायद इस सजा से उन आत्माओं को कुछ शांति मिले, जिन्हें इंसान की हवस ने समय से पहले छीन लिया था।
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अगली सुनवाई 17 नवम्बर को: अदालत ने सजा के बिंदु पर अगली सुनवाई 17 नवम्बर 2025 तय की है। अब पूरा जिला इस दिन का इंतज़ार कर रहा है जब यह अदालत उस आगजनी में जलते इंसाफ की चिंगारी को पूर्ण न्याय की ज्योति में बदल देगी। दरभंगा की इस अदालत ने आज केवल चार लोगों को दोषी नहीं ठहराया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि न्याय देर से सही, मगर अंधेरे को हराता है। इस फैसले ने यह याद दिलाया कि कानून के गलियारे में कदम धीमे हो सकते हैं, पर ईश्वर के न्याय की गूंज सदा सबसे ऊंची होती है।