दरभंगा की उस माँ की आँखों में अब सिर्फ़ आँसू हैं, जो कपड़े की दुकान में दिनभर पसीना बहाकर अपने बेटे कश्यप को अफसर बनाना चाहती थी… लेकिन माउंट समर स्कूल के हॉस्टल ने लौटा दिया उसका कफन! सवाल अब भी दीवारों में गूंज रहा है क्या शिक्षा का मंदिर अब मौत का अड्डा बन गया है? पढ़िए हमारी इस विशेष रिपोर्ट में, जहाँ मिथिला जन जन की आवाज़ रख रही है अपनी पैनी नज़र उस हर दरवाज़े पर, जिसके पीछे एक मासूम की सच्चाई अभी भी फंदे में झूल रही है…
शहर की हवा आज भारी है। बहादुरपुर थाना क्षेत्र के हाउसिंग कॉलोनी स्थित माउंट समर स्कूल में मंगलवार की शाम जो कुछ हुआ, उसने पूरे मिथिला को झकझोर दिया। एक 10 वर्षीय मासूम की लटकती लाश ने न केवल एक मां की गोद उजाड़ दी, बल्कि शिक्षा के उस पूरे ढांचे पर सवाल खड़ा कर दिया, जो बच्चों के भविष्य की गारंटी देने का दावा करता है। मंगलवार की शाम माउंट समर स्कूल के हॉस्टल से कक्षा दो में पढ़ने वाले छात्र कश्यप कुमार का शव संदिग्ध अवस्था में बरामद हुआ. पढ़े पूरी खबर........

दरभंगा। शहर की हवा आज भारी है। बहादुरपुर थाना क्षेत्र के हाउसिंग कॉलोनी स्थित माउंट समर स्कूल में मंगलवार की शाम जो कुछ हुआ, उसने पूरे मिथिला को झकझोर दिया। एक 10 वर्षीय मासूम की लटकती लाश ने न केवल एक मां की गोद उजाड़ दी, बल्कि शिक्षा के उस पूरे ढांचे पर सवाल खड़ा कर दिया, जो बच्चों के भविष्य की गारंटी देने का दावा करता है। मंगलवार की शाम माउंट समर स्कूल के हॉस्टल से कक्षा दो में पढ़ने वाले छात्र कश्यप कुमार का शव संदिग्ध अवस्था में बरामद हुआ। कश्यप, समस्तीपुर के गली पान मंडी निवासी लव कुमार का पुत्र था। बच्चे की मां दरभंगा के भटियारीसराय मोहल्ले में कपड़ों की दुकान में काम करती थी, ताकि अपने इकलौते बेटे को पढ़ा-लिखा सके। वह अपने बेटे को ‘अफसर’ बनते देखना चाहती थी लेकिन अब वही बेटा ठंडी देह बनकर अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा था।
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सुबह 8 बजे जब कश्यप स्कूल के लिए निकला, तो उसकी मां ने सिर्फ इतना कहा था खाना अच्छे से खाना बेटा। कौन जानता था कि यही आख़िरी बात होगी। शाम होते-होते स्कूल प्रबंधन का फोन आया पहले कहा गया, आपका बच्चा गिर गया है। थोड़ी देर बाद दूसरा फोन “आपका बेटा फंदे से लटक गया है।” परिजन जब स्कूल पहुंचे, तो बताया गया कि बच्चे को निजी अस्पताल ले जाया गया है। वहाँ पहुंचने पर डॉक्टरों ने कहा “अब बहुत देर हो चुकी है।” और वहीं टूटी उस मां की दुनिया, जो बेटे के लिए जीती थी।
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सड़क पर फूटा मातम और गुस्सा: अगली सुबह दरभंगा का माहौल विस्फोटक हो गया। नाका-5 से दोनार रोड तक आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम कर दी। टायर जलाए गए, नारे गूंजे “न्याय दो! दोषियों को सज़ा दो!”लोगों ने कहा, “अगर स्कूल में सुरक्षा नहीं है, तो हॉस्टल क्यों?” इसके बाद भीड़ ने शव को लेकर लहेरियासराय थाना क्षेत्र के आदर्श मध्य विद्यालय के पास स्थित माउंट समर स्कूल के गेट पर प्रदर्शन किया। मां का रोना देखकर पूरा माहौल दहल गया। लोगों की आंखों में आंसू थे, पर शब्दों में आग “यह सिर्फ़ एक मौत नहीं, यह हत्या है।” लहेरियासराय थाना पुलिस मौके पर पहुंची, भीड़ को शांत कराया, लेकिन सवाल वहीं के वहीं रह गए क्या बच्चे ने खुद फांसी लगाई, या किसी ने लगाई? अगर खुद लगाई तो कैसे? क्या सीसीटीवी फुटेज हैं? क्यों स्कूल ने तुरंत पुलिस को सूचना नहीं दी?
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सवालों में झूलता सच: कश्यप की मौत ने एक पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। स्कूल प्रबंधन की चुप्पी अब शक में बदल गई है। बहादुरपुर थानाध्यक्ष सुनील कुमार ने पुष्टि की कि परिजनों के आवेदन पर अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, और जांच जारी है। लेकिन यह “जांच जारी है” वाला वाक्य ही तो सबसे बड़ा दर्द है क्योंकि इस देश में जब तक जांच पूरी होती है, तब तक एक और कश्यप मर जाता है। कश्यप का दाख़िला 22 दिन पहले हुआ था। कुछ दिन बाद दुर्गा पूजा की छुट्टी में वह घर आया था, फिर मंगलवार की सुबह ही स्कूल लौटा था और शाम तक लौट आया शव बनकर। मां ने स्कूल की ओर देखा, फिर आसमान की ओर “कौन बताएगा मुझे कि मेरा बच्चा कैसे मरा?” इस सवाल का जवाब आज तक किसी मां को नहीं मिला।
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‘मिथिला जन जन की आवाज’ की पड़ताल शुरु: अब यह सिर्फ़ एक समाचार नहीं यह एक आंदोलन का आरंभ है। क्योंकि ‘मिथिला जन जन की आवाज’ मानती है कि जब व्यवस्था सो जाती है, तो कलम को जागना पड़ता है। हमारे संवाददाता इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी नज़र बनाए हुए है…स्कूल के हर कमरे की गंध, हर दीवार की कहानी और हर चुप्पी की आवाज़ सुन रही है। हम पड़ताल कर रहे हैं कि कैसे एक बच्चे की जान हॉस्टल के भीतर गई, और किसने इस सच्चाई को ‘फंदा’ बनाकर लटकाने की कोशिश की। यह रिपोर्ट सिर्फ़ खबर नहीं, यह उस तंत्र के विरुद्ध साक्ष्य है जिसने मासूमों की जिंदगी को प्रयोगशाला बना दिया है। अब सवाल यह नहीं कि कश्यप मरा या मारा गया, सवाल यह है कि क्यों हर मौत के बाद भी स्कूल प्रशासन “अज्ञात” बन जाता है?
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‘मिथिला जन जन की आवाज’ इस पूरी घटना की हर परत खोलेगी। चाहे वह हॉस्टल का स्टाफ हो, प्रबंधन की लापरवाही हो, या जांच की सुस्ती हम हर सच्चाई जनता के सामने लाएंगे, क्योंकि यह मौत नहीं, यह शिक्षा व्यवस्था का शव है। कश्यप की मां अब भी भटियारीसराय के उस छोटे से कमरे में बैठी है जहां बिस्तर पर उसकी पुरानी किताबें रखी हैं, और दीवार पर अब भी टंगा है वो स्कूल बैग, जिसमें रखी पेंसिलें अब कभी नहीं चलेंगी। शहर में सन्नाटा है, पर ‘मिथिला जन जन की आवाज’ की कलम उस सन्नाटे को तोड़ने के लिए तैयार है। क्योंकि इस बार सवाल एक नहीं पूरा सिस्टम कठघरे में है।