कश्मीर से केवटी तक गूंजा एक स्वर योगी बोले, अब मिथिला का बेटा भी बस सकता है कश्मीर में! कांग्रेस ने तोड़ा देश, मोदी-शाह ने जोड़ा मां जानकी की धरती से डबल इंजन के विकास का शंखनाद।
दरभंगा की ऐतिहासिक धरती पर सोमवार को राजनीति, धर्म और जनभावना का संगम उस समय दिखा जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केवटी विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित किया। मंच से उनकी आवाज़ निकली तो हवा में सिर्फ़ शब्द नहीं, ललकार थी और उस ललकार में सत्ता, विपक्ष, और जनता तीनों की कसौटी झलक रही थी। सभा में कोई दिखावे की आक्रोश नहीं था; योगी के तेवरों में वह ठंडा लेकिन भेदक आत्मविश्वास था जो मठ के अनुशासन से लेकर राजनीति के अनुभव तक फैला है। उन्होंने कहा राजद सांप है और कांग्रेस रामद्रोही. पढ़े पूरी खबर......
दरभंगा की ऐतिहासिक धरती पर सोमवार को राजनीति, धर्म और जनभावना का संगम उस समय दिखा जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केवटी विधानसभा क्षेत्र में जनसभा को संबोधित किया। मंच से उनकी आवाज़ निकली तो हवा में सिर्फ़ शब्द नहीं, ललकार थी और उस ललकार में सत्ता, विपक्ष, और जनता तीनों की कसौटी झलक रही थी। सभा में कोई दिखावे की आक्रोश नहीं था; योगी के तेवरों में वह ठंडा लेकिन भेदक आत्मविश्वास था जो मठ के अनुशासन से लेकर राजनीति के अनुभव तक फैला है। उन्होंने कहा राजद सांप है और कांग्रेस रामद्रोही। ये लोग धर्म और सनातन परंपरा के विरोधी हैं। महागठबंधन अब तीन बंदरों का समूह बन गया है पप्पू, अप्पू और टप्पू जो न सच देख सकते हैं, न सुन सकते हैं, न बोल सकते हैं।भीड़ में हंसी भी थी, गुस्सा भी। और उस तंज़ के बीच एक सच्चाई छिपी थी बिहार की राजनीति आज भी व्यंग्य और विमर्श के बीच झूलती है।

मंच से उठी चेतावनी : बिहार में बुलडोज़र चलाना अब वक्त की ज़रूरत: योगी आदित्यनाथ ने जब कहा कि “उत्तर प्रदेश अब माफिया-मुक्त है, अपराधियों की नींव ही हिला दी गई है”, तो उन्होंने सिर्फ़ उपलब्धि नहीं गिनाई बिहार के लिए एक चेतावनी दी। उन्होंने स्पष्ट कहा बिहार में भी अगर डबल इंजन की सरकार बनी तो यही बुलडोज़र अपराधियों की नींद तोड़ेगा। जो डर लोगों की आंखों में है, वो डर अब अपराधियों की आंखों में दिखना चाहिए। जनता ने इस वाक्य पर जोरदार तालियां बजाईं, लेकिन बीच-बीच में कुछ चेहरों पर सवाल भी उभरे क्या वास्तव में बुलडोज़र नीति गरीब और अपराधी में फर्क करती है? योगी की सभा ने विकास की बात कही, पर बिहार के दिल में अब भी प्रशासनिक असमानता की टीस बाकी है।

अब कश्मीर में मिथिला का बेटा भी बस सकता है योगी का दावा: कांग्रेस पर हमला करते हुए योगी ने कहा, कश्मीर हिन्दू विहीन हुआ, ये कांग्रेस का अपराध था। धारा 370 के कारण देश का कोई नागरिक वहां बस नहीं सकता था। आज मोदी जी के कारण कश्मीर की मिट्टी में भी बिहार का बेटा घर बना सकता है, खेत जोत सकता है, और माँ जानकी की जय बोल सकता है। यह कथन भावनात्मक था। मंच से ताली बजी, पर सवाल यह भी उठता है कि क्या मिथिला के बेटे के पास यहां रोजगार है कि वह कश्मीर में बसने जाए? योगी की बात ने एक राष्ट्रवादी जोश जगाया, लेकिन भीड़ के बीच एक किसान ने बुदबुदाया पहले अपने खेत में ही तो रोटी सिले, तब कश्मीर में झोपड़ी बसाएं। राजनीति का यही यथार्थ है भाषण गूंजता है, पर सवाल चुपचाप मन में उतर जाता है।

मां जानकी की भूमि पर विकास की नई लकीर: योगी आदित्यनाथ ने मिथिला को प्रणाम करते हुए कहा रामलला अयोध्या में विराजमान हैं, तो मां जानकी का मंदिर पुनौरा धाम में बनना ही था। अयोध्या से पुनौरा तक राम-जानकी पथ सिर्फ़ सड़क नहीं, श्रद्धा की रेखा है। डबल इंजन की सरकार यही करती है आस्था को विकास से जोड़ती है। उन्होंने मखाना बोर्ड, जलमार्ग और महिलाओं के सशक्तिकरण का भी उल्लेख किया। बोले मोदी-शाह की नीतियों ने गरीब के जीवन में असली बदलाव लाया है। आज रसोई में धुआं नहीं, सम्मान है। गांवों में बिजली है, आशा है। बातें असरदार थीं, पर पत्रकारिता का सच यह भी है कि बिहार के कई गांव अब भी अंधेरे में डूबे हैं। मिथिला की धरती ने बहुत सुन लिया है “विकास के वादे”, अब यहां लोग आंखों से देखना चाहते हैं, सिर्फ़ भाषणों से नहीं।

महागठबंधन पर निशाना, जनता से भावनात्मक अपील: योगी ने कहा 2005 से पहले बिहार की हालत यह थी कि बीमार लोग अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते थे। सड़कों पर गड्ढे थे, शासन में अंधकार था। महागठबंधन फिर उसी युग में लौटना चाहता है। ये लोग विकास नहीं, वंशवाद के पुजारी हैं। सभा में मौजूद भीड़, विशेषकर युवाओं में यह बयान गहराई से गूंजा। बिहार की नई पीढ़ी अब उस पीढ़ी से अलग है जो ‘जाति’ देखकर वोट देती थी वह अब रोजगार, अवसर और आत्म-सम्मान की बात करती है।योगी ने अंत में जनता से कहा मां जानकी का संदेश लेकर आया हूँ बिहार को डबल इंजन की ताकत से जोड़ना है। यही सच्चा विकास होगा।

राजनीति की गूंज, मिथिला की खामोशी: सभा खत्म हुई। योगी मंच से उतरे, नारों की लहर पीछे छोड़ते हुए चले गए। लेकिन जब भीड़ छंटने लगी तो दरभंगा की हवा में एक गूंज बाकी रही क्या मिथिला फिर से राजनीतिक वादों के बीच उलझ जाएगी, या अबकी बार सचमुच विकास की नई कहानी लिखेगी? क्योंकि जनता अब “पप्पू, अप्पू और टप्पू” जैसी उपमाओं से ज्यादा यह जानना चाहती है कि कौन उसकी सड़क बनाएगा, कौन उसके खेत में पानी पहुंचाएगा, और कौन उसके बेटे को गांव छोड़कर दिल्ली जाने से बचाएगा। केवटी की सभा ने बिहार की राजनीति में जो शोर छोड़ा है, वह चुनाव के बाद भी देर तक गूंजेगा। और यह गूंज शायद सत्ता से यह सवाल पूछती रहे बयान नहीं, बदलाव कब मिलेगा?
