दरभंगा में भ्रष्टाचार का खौफनाक चेहरा: बहन की शिकायत से बेनकाब हुआ सिस्टम का ‘काला इंजीनियर’, 1 करोड़ 46 लाख की अवैध संपत्ति का आरोप, निगरानी की ताबड़तोड़ छापेमारी, घर-दफ्तर खंगाले गए, इंजीनियर फरार क्या यह सिर्फ एक नाम या पूरे तंत्र का नंगा सच?
दरभंगा में एक बार फिर सरकारी महकमे में छिपे भ्रष्टाचार का ऐसा भयावह अध्याय खुला है, जिसने न सिर्फ प्रशासनिक गलियारों को हिला दिया है, बल्कि समाज और परिवार की नींव तक को झकझोर कर रख दिया है। योजना एवं विकास विभाग, दरभंगा प्रमंडल-1 में पदस्थापित जूनियर इंजीनियर अंसारुल हक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का जो मामला सामने आया है, वह अपने आप में चौंकाने वाला, डरावना और व्यवस्था की सड़ांध को उजागर करने वाला है. पढ़े पूरी खबर.......
दरभंगा में एक बार फिर सरकारी महकमे में छिपे भ्रष्टाचार का ऐसा भयावह अध्याय खुला है, जिसने न सिर्फ प्रशासनिक गलियारों को हिला दिया है, बल्कि समाज और परिवार की नींव तक को झकझोर कर रख दिया है। योजना एवं विकास विभाग, दरभंगा प्रमंडल-1 में पदस्थापित जूनियर इंजीनियर अंसारुल हक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का जो मामला सामने आया है, वह अपने आप में चौंकाने वाला, डरावना और व्यवस्था की सड़ांध को उजागर करने वाला है।

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इस पूरे मामले की सबसे सनसनीखेज़ और रूह कंपा देने वाली बात यह है कि भ्रष्टाचार के इस कथित साम्राज्य की परतें किसी बाहरी शिकायतकर्ता ने नहीं, बल्कि खुद आरोपी इंजीनियर की सगी बहन ने खोलीं। बहन द्वारा निगरानी थाना में दर्ज कराई गई शिकायत ने न सिर्फ पारिवारिक रिश्तों की टूटन को उजागर किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि जब लालच हदें पार कर जाता है, तो सच अपनों के हाथों ही सामने आता है। शिकायत के आधार पर निगरानी विभाग ने जब मामले की गहराई से जांच की, तो जो तथ्य सामने आए, वे किसी भयावह पटकथा से कम नहीं थे। जांच में यह प्रमाणित हुआ कि जूनियर इंजीनियर अंसारुल हक के पास उनकी ज्ञात वैध आय से कहीं अधिक, करीब 1 करोड़ 46 लाख रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति मौजूद है। इस खुलासे के बाद निगरानी थाना कांड संख्या 113/25 दर्ज की गई, जिसने पूरे विभाग में खलबली मचा दी।

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निगरानी विभाग की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वर्षों से विकास योजनाओं की आड़ में, सरकारी जिम्मेदारियों की ओट में, भ्रष्टाचार की एक काली दुनिया फल-फूल रही थी। जिन योजनाओं का मकसद आम जनता के जीवन में रोशनी लाना था, वही योजनाएं कथित तौर पर एक अधिकारी की निजी तिजोरी भरने का जरिया बनती रहीं।मामले की पुष्टि करते हुए निगरानी के डीएसपी शशिशेखर चौधरी ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गुरुवार को एक साथ दरभंगा और मधुबनी जिलों में छापेमारी की कार्रवाई शुरू की गई। इस कार्रवाई में करीब दो दर्जन से अधिक निगरानीकर्मी शामिल हैं, जो घर-दफ्तर, दस्तावेज़ों, फाइलों और डिजिटल रिकॉर्ड्स को खंगालने में जुटे हुए हैं।

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इससे पहले भी विजिलेंस की विशेष इकाई ने दरभंगा में तीन अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की थी। लहेरियासराय थाना क्षेत्र के भिगो मोहल्ला स्थित इंजीनियर के दो मकान और मधुबनी जिले के लदनिया थाना क्षेत्र अंतर्गत हरियाहा पंचायत में स्थित ठिकानों पर निगरानी की टीम ने एक साथ धावा बोला। छापेमारी के दौरान कागजात, फाइलें और कंप्यूटर जब्त किए गए, जिनकी बारीकी से जांच की जा रही है। विजिलेंस के डीएसपी सत्येंद्र नाथ ने भी पुष्टि की कि यह कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति के गंभीर आरोपों को लेकर की जा रही है। हालांकि, छापेमारी के दौरान आरोपी जूनियर इंजीनियर अंसारुल हक अपने किसी भी ठिकाने पर मौजूद नहीं मिले। बताया जा रहा है कि वह कार्रवाई की भनक लगते ही फरार हो गए, जिससे शक और भी गहरा गया है।

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इंजीनियर का फरार होना कई सवाल खड़े करता है क्या यह सिर्फ डर है या फिर किसी बड़े नेटवर्क के उजागर होने का भय? क्या इस एक नाम के पीछे और भी चेहरे, और भी अधिकारी, और भी हिस्सेदार छिपे हैं? निगरानी विभाग को छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ मिलने की बात कही जा रही है, जिनसे आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। यह मामला केवल एक जूनियर इंजीनियर की कथित बेईमानी तक सीमित नहीं रह जाता, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान खड़ा करता है। विकास के नाम पर बहने वाला पैसा आखिर किन रास्तों से होकर निजी संपत्तियों में तब्दील हो रहा है? और कब तक आम जनता इस भ्रष्ट तंत्र की कीमत चुकाती रहेगी?

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दरभंगा से मधुबनी तक फैली यह कार्रवाई अब सिर्फ छापेमारी नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक चेतावनी बन चुकी है कि अगर लालच ने हदें पार कीं, तो सच किसी न किसी रूप में सामने जरूर आएगा, चाहे वह अपनों की आवाज़ ही क्यों न हो।
