वार्ड की चौखट से प्रदेश की कुर्सी तक दरभंगा की मिट्टी में गढ़ा गया विश्वास, संघर्ष और संगठन का शिखर पुरुष | साधारण कार्यकर्ता से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने तक संजय सरावगी की प्रेरक जीवनगाथा, ज़रूर पढ़िए.....

दरभंगा की हवा उस शाम कुछ अलग थी। ढोल-नगाड़ों की थाप, अबीर-गुलाल की खुशबू और कार्यकर्ताओं की आंखों में छलकती चमक यह किसी चुनावी जीत का उत्सव भर नहीं था, बल्कि विश्वास की विजय थी। भारतीय जनता पार्टी ने जब दरभंगा नगर से लगातार छठी बार विधायक बने संजय सरावगी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी, तो यह संदेश दूर तक गया कि संगठन अब भी जमीन से जुड़े कार्यकर्ता की तपस्या को पहचानता है. पढ़े पूरी खबर.......

वार्ड की चौखट से प्रदेश की कुर्सी तक दरभंगा की मिट्टी में गढ़ा गया विश्वास, संघर्ष और संगठन का शिखर पुरुष | साधारण कार्यकर्ता से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने तक संजय सरावगी की प्रेरक जीवनगाथा, ज़रूर पढ़िए.....
वार्ड की चौखट से प्रदेश की कुर्सी तक दरभंगा की मिट्टी में गढ़ा गया विश्वास, संघर्ष और संगठन का शिखर पुरुष | साधारण कार्यकर्ता से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने तक संजय सरावगी की प्रेरक जीवनगाथा, ज़रूर पढ़िए.....

दरभंगा की हवा उस शाम कुछ अलग थी। ढोल-नगाड़ों की थाप, अबीर-गुलाल की खुशबू और कार्यकर्ताओं की आंखों में छलकती चमक यह किसी चुनावी जीत का उत्सव भर नहीं था, बल्कि विश्वास की विजय थी। भारतीय जनता पार्टी ने जब दरभंगा नगर से लगातार छठी बार विधायक बने संजय सरावगी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी, तो यह संदेश दूर तक गया कि संगठन अब भी जमीन से जुड़े कार्यकर्ता की तपस्या को पहचानता है।

मिथिलांचल की हृदयस्थली दरभंगा को यह गौरव पहली बार मिला। गांधी चौक, बड़ा बाजार से उठी एक राजनीतिक यात्रा, आज पूरे बिहार के संगठनात्मक क्षितिज पर आसीन हो गई। शहर की सड़कों पर देर रात तक जश्न रहा जेसीबी से फूलों की बारिश, मंदिरों में दीप-धूप, और सोशल मीडिया पर बधाइयों की बाढ़। खास यह कि बधाइयों में विपक्षी कार्यकर्ता भी शामिल थे। मानो सबने एक स्वर में स्वीकार कर लिया हो यह कार्यकर्ताओं की पार्टी है।

                                      Advertisement

साधारणता में असाधारण भरोसा: संजय सरावगी का प्रदेश अध्यक्ष बनना किसी तात्कालिक समीकरण का परिणाम नहीं, बल्कि वर्षों की निरंतरता, संगठन के प्रति निष्ठा और जनविश्वास की कसौटी पर खरे उतरने की कहानी है। सरकार में मंत्री न बनाए जाने के बाद संगठनात्मक दायित्व की चर्चा जरूर थी, पर किसी ने यह नहीं सोचा था कि पार्टी एक सामान्य कार्यकर्ता को इतनी बड़ी जवाबदेही सौंप देगी। यही इस फैसले की असल ताकत है एक व्यक्ति, एक पद की नीति और संगठन को प्राथमिकता।

संगठनात्मक दृष्टि से दूरगामी संदेश: यह नियुक्ति केवल एक चेहरा नहीं, एक रणनीति भी है। मिथिलांचल और कोशी क्षेत्र में वैश्य (मारवाड़ी) समुदाय का प्रभाव सर्वविदित है। बिहार में लगभग 27 प्रतिशत आबादी वाले इस समुदाय का भाजपा के पारंपरिक वोट बैंक में अहम स्थान है। संगठन मानता है कि संजय सरावगी की जमीनी पकड़, चुनावी अनुभव और समुदायों के बीच विश्वसनीयता आगामी राजनीतिक चुनौतियों में पार्टी को ठोस बढ़त दिलाएगी।

                                    Advertisement

राजनीति में अकेले, पर विश्वास में बहुतेरे: परिवार में राजनीति का कोई दूसरा नाम नहीं यही संजय सरावगी की पहचान को और प्रामाणिक बनाता है। न विरासत, न शोर बस संगठन और जनता के बीच से उपजा नेतृत्व। यही कारण है कि उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने पर बधाई देने वालों की कतारें केवल पार्टी दफ्तर तक सीमित नहीं रहीं; इंटरनेट मीडिया पर भी यह स्वीकारोक्ति दिखी कि मेहनत, निष्ठा और निरंतरता अब भी मायने रखती है।

वार्ड पार्षद से विधानसभा तक, और अब संगठन की कमान: राजनीतिक यात्रा की शुरुआत वार्ड पार्षद के रूप में हुई यहीं से जनता के बीच काम करने की असली पाठशाला मिली। 1995 में भाजपा की सदस्यता, युवा मोर्चा, नगर मंडल अध्यक्ष, जिला महामंत्री, प्रदेश गोवंश प्रकोष्ठ संयोजक, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, कई जिलों के संगठन प्रभारी हर पड़ाव पर जिम्मेदारियों का विस्तार हुआ। 2005 के मार्च में दरभंगा नगर से विधानसभा की जीत ने इस यात्रा को नया मोड़ दिया। तब से लेकर आज तक, जनता ने लगातार भरोसा जताया छह बार। 26 फरवरी 2025 को भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग का मंत्री पद मिला, और अब प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी यह क्रम बताता है कि संगठन ने हर चरण पर भरोसा परखा और फिर सौंपा।

                                    Advertisement

जड़ें गहरी, दृष्टि व्यापक: 28 अगस्त 1969 को जन्मे संजय सरावगी के परदादा जय दयालजी सरावगी राजस्थान के सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ से दरभंगा आए और यहीं के होकर रह गए। बचपन खगड़िया के गोगरी जमालपुर में बीता। शिक्षा एमकॉम और एमबीए। छात्र जीवन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव ने विचारों को धार दी और संगठनात्मक अनुशासन सिखाया।

श्यामा माई के चरणों में संकल्प: घोषणा के बाद पहला पड़ाव श्यामा माई मंदिर। पूजा-अर्चना, कार्यकर्ताओं का आत्मीय स्वागत, और मीडिया से सधे शब्दों में संकल्प केंद्रीय नेतृत्व ने जिस विश्वास से यह जिम्मेदारी सौंपी है, उस पर खरा उतरूंगा। जन्मस्थली और कर्मस्थली में आशीर्वाद लेने की यह परंपरा बताती है कि नेतृत्व की ऊंचाई के साथ जमीन से जुड़ाव बना हुआ है। संजय सरावगी का प्रदेश अध्यक्ष बनना एक नियुक्ति नहीं, संदेश है कि राजनीति केवल वंश या शोर का खेल नहीं, बल्कि धैर्य, संगठन और जनविश्वास की साधना है। दरभंगा की गलियों से उठी यह कहानी अब बिहार की राजनीति को नई दिशा देने की क्षमता रखती है। आज शहर जश्न में है, कल संगठन काम में होगा और यही वह संतुलन है, जहां से स्थायी नेतृत्व जन्म लेता है।