"जब वर्दी का नाम बना हथियार, और व्हाट्सएप कॉल बन गया दरभंगा की जनता का शिकारी, न्याय के नाम पर शुरू हुआ डिजिटल फिरौती का खेल!"
यह सिर्फ एक साइबर ठगी नहीं, यह विश्वास की हत्या थी। दरभंगा की गलियों में नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया के परदे के पीछे खेला गया एक ऐसा खतरनाक खेल, जिसमें वर्दी की गरिमा को धूल में मिलाकर इंसानियत को फोन के उस पार गिरवी रख दिया गया. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा। रिपोर्ट: मनीष कुमार, क्राइम जर्नलिस्ट, मिथिला जन जन की आवाज: यह सिर्फ एक साइबर ठगी नहीं, यह विश्वास की हत्या थी। दरभंगा की गलियों में नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया के परदे के पीछे खेला गया एक ऐसा खतरनाक खेल, जिसमें वर्दी की गरिमा को धूल में मिलाकर इंसानियत को फोन के उस पार गिरवी रख दिया गया।
दिनांक 16 अप्रैल 2025। जैसे ही दरभंगा पुलिस को एक सूचना मिली, पूरा महकमा सकते में आ गया। विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में दर्ज कांडों के वादी – यानी वो आम नागरिक जिन्होंने खुद के साथ हुए अन्याय के खिलाफ कानून का सहारा लिया – अचानक खुद को फिरौती की मांगों के घेरे में पाते हैं।
व्हाट्सएप पर कॉल आती है। उधर से आवाज़ आती है – “हम थाना से बोल रहे हैं, केस को सुलझाना है तो पैसे भेजो।” शब्दों में पुलिस का रौब, स्क्रीन पर नकली वर्दी की छवि, और पीछे छिपा था एक ऐसा शिकारी जो तकनीक के जंगल में शिकार ढूंढ रहा था।
लेकिन जब शिकार न्याय की उम्मीद से बंधे लोग बन जाएं, तो अपराध केवल व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक और संस्थागत विश्वास पर सीधा प्रहार बन जाता है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री जगुनाथ रेड्डी ने इसे हल्के में नहीं लिया। उनके निर्देशन में पुलिस उपाधीक्षक सह साइबर थानाध्यक्ष एवं पु०नि० पंकज कुमार ने विश्वविद्यालय थाना पहुंच कर जांच शुरू की। जांच में यह खुलासा हुआ कि अपराधी, राज्य अपराध अभिलेख ब्यूरो, पटना के पोर्टल पर अपलोड प्राथमिकी से वादियों के मोबाइल नंबर निकाल कर खुद को पुलिस बता रहा था और अवैध पैसे की मांग कर रहा था।
यह वर्दी की आड़ में उगाही नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था को बदनाम करने की साजिश थी। यह अपराध उन तकनीकी खामियों को भी उजागर करता है, जो जन सूचना को शोषण का ज़रिया बना देती हैं। पारदर्शिता के लिए खोला गया पोर्टल जब अपराधियों के हाथों में पड़ जाए, तो पारदर्शिता खुद पर शर्मिंदा हो जाती है। लेकिन गनीमत रही कि दरभंगा पुलिस की साइबर टीम ने इस साजिश को वक्त रहते पहचान लिया और प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है। अब अपराधी को खोजने और कानून के शिकंजे में लाने की प्रक्रिया तेज़ी से जारी है।
जनता से अपील: इस तरह की घटनाओं से सतर्क रहें। अगर कोई भी कॉल, मैसेज या ईमेल पुलिस या अन्य सरकारी संस्था की ओर से पैसे मांगने के लिए आए तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें [www.cybercrime.gov.in] (http://www.cybercrime.gov.in) पर ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज करें या नजदीकी थाना में जाकर विस्तृत जानकारी दें। यह नया अपराध डिजिटल है, लेकिन उसका असर बिल्कुल असली है। वो स्क्रीन के पीछे है, मगर आपकी जेब तक उसका हाथ है।जागिए, क्योंकि अगली व्हाट्सएप कॉल शायद आपके फोन पर हो।