दरभंगा की गलियों में चोरों का आतंक, शास्त्री चौक से ग्लैमर और बस ओनर एसोसिएशन अध्यक्ष से पल्सर गायब पुलिस की नाकामी से जनता असहाय, सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल, आखिर कब जागेगी नींद में सोई दरभंगा पुलिस?

शहर के बीचों-बीच, शास्त्री चौक की रौनक के बीच जब कोई आदमी अपनी बाइक पार्क करता है तो उसके मन में यह विश्वास रहता है कि इतनी भीड़-भाड़ और पुलिस की लगातार आवाजाही वाले इलाके में उसका वाहन सुरक्षित रहेगा। लेकिन बीते दो दिनों की घटनाओं ने इस भरोसे को तोड़ दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब शहर के सबसे व्यस्त इलाकों से चोर इतनी आसानी से मोटरसाइकिल उड़ा ले जा रहे हैं, तब कम भीड़-भाड़ वाले मोहल्लों और सुनसान गलियों की स्थिति क्या होगी?..... पढ़े पुरी खबर........

दरभंगा की गलियों में चोरों का आतंक, शास्त्री चौक से ग्लैमर और बस ओनर एसोसिएशन अध्यक्ष से पल्सर गायब पुलिस की नाकामी से जनता असहाय, सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल, आखिर कब जागेगी नींद में सोई दरभंगा पुलिस?
दरभंगा की गलियों में चोरों का आतंक, शास्त्री चौक से ग्लैमर और बस ओनर एसोसिएशन अध्यक्ष से पल्सर गायब पुलिस की नाकामी से जनता असहाय, सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल, आखिर कब जागेगी नींद में सोई दरभंगा पुलिस?

दरभंगा। शहर के बीचों-बीच, शास्त्री चौक की रौनक के बीच जब कोई आदमी अपनी बाइक पार्क करता है तो उसके मन में यह विश्वास रहता है कि इतनी भीड़-भाड़ और पुलिस की लगातार आवाजाही वाले इलाके में उसका वाहन सुरक्षित रहेगा। लेकिन बीते दो दिनों की घटनाओं ने इस भरोसे को तोड़ दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब शहर के सबसे व्यस्त इलाकों से चोर इतनी आसानी से मोटरसाइकिल उड़ा ले जा रहे हैं, तब कम भीड़-भाड़ वाले मोहल्लों और सुनसान गलियों की स्थिति क्या होगी?

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पहली घटना : बैंक के बाहर से गायब ग्लैमर: विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के गंगवाड़ा निवासी अनिल कुमार भगत के पुत्र शेखर आनंद शुक्रवार को अपनी ग्लैमर बाइक (संख्या BR 07 X 2924) लेकर शास्त्री चौक पहुँचे। पास ही स्थित एक बैंक में उन्हें काम था। उन्होंने अपनी बाइक व्यवस्थित तरीके से सड़क किनारे लगाई और बैंक के अंदर चले गए। लेकिन जब आधे घंटे बाद वे बैंक से बाहर आए, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। जिस बाइक को उन्होंने लॉक कर खड़ा किया था, वह गायब हो चुकी थी। शेखर ने तुरंत आसपास के दुकानदारों और राहगीरों से पूछताछ की, लेकिन किसी ने कुछ देखा-सुना नहीं। उन्होंने अपनी ओर से काफी खोजबीन भी की, पर बाइक का कोई सुराग नहीं मिला। मजबूरी में उन्होंने नगर थाना में अज्ञात चोर के खिलाफ लिखित आवेदन दिया।

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दूसरी घटना : बस ओनर एसोसिएशन अध्यक्ष की पल्सर चोरी: शास्त्री चौक की इस घटना से पहले ही शुक्रवार को शहर में एक और बड़ी चोरी हुई थी। बस ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन खट्टिक की पल्सर बाइक चोर उड़ा ले गए। यह घटना भी नगर थाना और विश्वविद्यालय थाना की पुलिस चौकसी पर गहरे सवाल उठाती है। नवीन खट्टिक जैसे जाने-माने व्यक्ति की बाइक जब चोरों के निशाने पर आ सकती है, तब आम आदमी की गाड़ी कितनी सुरक्षित है, यह सहज समझा जा सकता है।

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लगातार बढ़ती घटनाएँ और पुलिस की नाकामी: दोनों पीड़ितों ने अलग-अलग थानों में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है। लेकिन लोगों का कहना है कि पुलिस की कार्रवाई केवल कागज़ों तक सीमित है। मौके पर तुरंत जांच या सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से पड़ताल का कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि गश्ती पुलिस केवल खानापूर्ति कर रही है। शहर के लगभग हर प्रमुख चौक-चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरे या तो खराब हैं या फिर उन पर ठीक से निगरानी नहीं रखी जाती। यही कारण है कि चोर बेखौफ होकर वारदात को अंजाम देकर भाग निकलते हैं।

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शहरवासियों का गुस्सा और भय: शहर के कई व्यापारियों ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि नगर थाना और विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में चोरी की घटनाएँ दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। चाहे वह घर में घुसकर सामान चोरी हो या फिर बाइक, चोरों के हौसले बुलंद हैं। पुलिस को केवल प्राथमिकी दर्ज कर अपनी जिम्मेदारी पूरी करने की आदत पड़ चुकी है। लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन अगर सक्रिय नहीं हुआ तो आने वाले समय में बाइक चोरी की घटनाएँ और भी बढ़ेंगी। आज शास्त्री चौक और बस ओनर एसोसिएशन अध्यक्ष निशाने पर हैं, कल कोई और हो सकता है।

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पुलिस पर उठते सवाल: आखिर गश्ती दल कहाँ था, जब शहर के बीचों-बीच बाइक चोरी हो रही थी?

सीसीटीवी कैमरों की जांच में देरी क्यों?

अब तक की जांच में पुलिस को क्या सुराग मिला है?

चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए क्या रणनीति बनाई जा रही है?

इन सवालों का जवाब न तो नगर थाना से मिल रहा है, न ही विश्वविद्यालय थाना से। दोनों ही थानों की ओर से केवल इतना कहा जा रहा है कि जांच की जा रही है और जल्द ही अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा। लेकिन शहरवासी पूछ रहे हैं कि आखिर "जल्द" कब आएगा?

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बढ़ती असुरक्षा की घड़ी: दरभंगा जैसे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर में दिनदहाड़े बाइक चोरी की घटनाएँ प्रशासनिक सुस्ती और पुलिस की निष्क्रियता का जीता-जागता उदाहरण हैं। शास्त्री चौक जैसी जगह जहाँ आम दिनों में तिल रखने की जगह नहीं होती, वहाँ से बाइक चोरी होना अपने आप में इस बात का संकेत है कि चोर पुलिस से नहीं, बल्कि पुलिस चोरों से डर रही है।अगर यही हाल रहा तो दरभंगा की जनता को अपनी बाइक के साथ-साथ घर के दरवाजे पर रखी साइकिल तक पर ताला लगाने के बाद भी चैन से सोना मुश्किल हो जाएगा।