एसडीपीओ शुभेन्द्र कुमार सुमन की सधी हुई पदचाप और हमारी इस विशेष रिपोर्ट से कांपे अपराधी: 'अब खाकी जनसेवा के लिए है, न कि डर के व्यापार के लिए', पढ़ें कमतौल के नए प्रहरी का कड़ा ऐलान और हमारी कलम से निकली व्यवस्था को ललकारती यह विश्लेषणात्मक रिपोर्ट
जब किसी पद की मर्यादा को चरित्र की दृढ़ता से साधा जाए, तब एक अधिकारी सिर्फ कुर्सी नहीं संभालता, वह दिशा देता है। यही संदेश लेकर बुधवार को श्री शुभेन्द्र कुमार सुमन ने कमतौल सदर-2 के एसडीपीओ के रूप में अपनी नई भूमिका का श्रीगणेश किया. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा: जब किसी पद की मर्यादा को चरित्र की दृढ़ता से साधा जाए, तब एक अधिकारी सिर्फ कुर्सी नहीं संभालता, वह दिशा देता है। यही संदेश लेकर बुधवार को श्री शुभेन्द्र कुमार सुमन ने कमतौल सदर-2 के एसडीपीओ के रूप में अपनी नई भूमिका का श्रीगणेश किया।
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अहल्यास्थान की पवित्र भूमि पर लिया गया संकल्प: जैसे ही अहियारी स्थित कार्यालय परिसर में उनकी गाड़ी पहुँची, वहां की हवाओं में हलचल महसूस हुई। वर्षों से कुछ लंबित उम्मीदें, कुछ अधूरी फरियादें, कुछ थमती साँसें मानो सब ने अपने नये प्रहरी का स्वागत किया। खाकी वर्दी में लिपटे शांत चेहरे पर दृढ़ता का ऐसा तेज था, जो बिना कुछ कहे अपराध को चुनौती दे रहा था।एसडीपीओ सुमन ने कार्यालय पहुंचते ही न कर्मकांड, न चाटुकारिता सीधे कनीय अधिकारियों और कार्यालय स्टाफ से बैठक की। बातों में न कोई दिखावा था, न सत्ता का घमंड बस, एक सजग प्रहरी की चिंता थी: अपराध नियंत्रण और जनता की सुविधा मेरी प्राथमिकता है।
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अपराधियों के लिए संदेश: अब शांति की नींव पर चलेगी खाकी की लाठी: उनके पहले ही वक्तव्य में जो सबसे बड़ी बात थी, वह यह कि अपराध, तस्करी, संगठित अवैध धंधे चाहे किसी भी राजनीतिक या सामंती छाया में हों अब बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। श्री सुमन ने स्पष्ट कहा कि लंबित केसों का त्वरित निस्तारण होगा। उन्होंने थानेदारों से कहा: मुद्दों को मत छुपाइए, उन्हें सुलझाइए। अगर जनता थाने से रोते हुए लौटेगी, तो उसका आँसू मेरी भी जिम्मेदारी होगी।
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जनता से वादा हर आह सुनी जाएगी, हर साजिश कुचली जाएगी: एसडीपीओ सुमन ने जब पत्रकारों से संवाद किया, तो यह संवाद नहीं था वह एक सामाजिक शपथ जैसा था। उनका कहना था: हमारी खाकी जनता की सेवा के लिए है, किसी डर के लिए नहीं। यह वर्दी सिर झुकाने नहीं, सिर उठाने आई है। उनकी बातों में एक ऐसा प्रशासनिक आत्मबल झलकता था जो ना भीड़ के पीछे झुकता है, ना सत्ता के चरणों में गिरता है।
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विधि-व्यवस्था पर फोकस, शराब माफिया को मिलेगा जवाब: कमतौल क्षेत्र, विगत वर्षों से कुछ विशेष गिरोहों, शराब तस्करों और अफसरशाही की मिलीभगत के कारण बदनाम रहा है। श्री सुमन ने इस सच्चाई को छुपाया नहीं, बल्कि उस पर चोट की: हर गलत गठजोड़ को तोड़ा जाएगा। चाहे वो थाने के भीतर हो या बाहर।उन्होंने साफ कर दिया कि शराबबंदी की आड़ में हो रही तस्करी को अब जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा, और हर तथाकथित रसूखदार, जो इस गंदे धंधे में शामिल है उस पर कार्रवाई होगी, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या सियासत का हो।
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पुलिस और पब्लिक अब साथ चलेंगें, डर के साये में नहीं: शुभेन्द्र सुमन ने यह भी ऐलान किया कि थानों को अब "आशा केंद्र" के रूप में बदला जाएगा, न कि डरावने अड्डों के रूप में। उन्होंने सभी पुलिसकर्मियों को निर्देश दिया कि वे जनता के प्रति अपनी भाषा, व्यवहार और दायित्व को ईमानदारी से निभाएं। अगर कोई जनता को गाली देगा, मैं उस पर कार्रवाई करूंगा। अगर कोई अपराधी को छुपाएगा, मैं खुद छानबीन करूंगा।
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हमारा संदेश: यह सिर्फ एक पदभार नहीं, एक जनक्रांति की शुरुआत है: हमारे संवाददाता ने जिन आंखों में यह देखा, वह कोई नौटंकी नहीं थी, न प्रेस कॉन्फ्रेंस का भाषण। वह एक नई लड़ाई की शुरुआत थी जिसमें पहला वार शब्द से हुआ, पर अगला कार्रवाई से होगा।
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संदेश उन सबको जो सोचते हैं कि “कुछ नहीं बदलता”: कमतौल अब शांत रहेगा या उग्र यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अपराधी कितना छिपते हैं, और प्रशासन कितना पीछा करता है। पर एक बात अब तय है: जो सोते थे, अब जागिए। क्योंकि शुभेन्द्र सुमन अब कमतौल में हैं। एक खाकी जब ईमानदार हो, तो वह हथियारों से नहीं, नजरों से अपराध रोकती है। शुभेन्द्र सुमन की आंखों में आज वही कानून की नीयत झलकती है। जो अधिकारी जनता से पहले संवाद करे और अपराधियों से टकराने की कसम खाए उसे सिर्फ एसडीपीओ नहीं, ‘जनता का प्रहरी’ कहा जाता है।