जब दरभंगा के आकाश में गूंजा विकास का शंखनाद और दिल्ली के दरबार में पहुँची मिथिला की याचना सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर की पहल और केंद्रीय उड्डयन मंत्री श्री राम मोहन नायडू की सहमति से दरभंगा एयरपोर्ट के टर्मिनल निर्माण को मिली 912 करोड़ की नई उड़ान... पढ़िए हमारी विशेष रिपोर्ट में वह सब, जो आपकी आँखों से ओझल रहा पर दिल के बहुत क़रीब है
कभी जिन पंखों को कटे हुए मान लिया गया था, आज वही पंख उड़ान भरने को अधीर हैं। मिथिला की वाणी आज दिल्ली की दीवारों से टकरा रही है, और उसकी गूंज सुनाई दे रही है केंद्रीय मंत्रालयों के गलियारों में। सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर की पहल पर दरभंगा एयरपोर्ट की कहानी अब सिर्फ़ एक हवाई अड्डे की नहीं रही यह मिथिला की आकांक्षाओं, आत्म-सम्मान और विकास के स्वाभिमानी स्वप्न की सबसे ऊंची उड़ान बन चुकी है. पढ़े पुरी खबर......

नई दिल्ली / दरभंगा। कभी जिन पंखों को कटे हुए मान लिया गया था, आज वही पंख उड़ान भरने को अधीर हैं। मिथिला की वाणी आज दिल्ली की दीवारों से टकरा रही है, और उसकी गूंज सुनाई दे रही है केंद्रीय मंत्रालयों के गलियारों में। सांसद डॉ. गोपालजी ठाकुर की पहल पर दरभंगा एयरपोर्ट की कहानी अब सिर्फ़ एक हवाई अड्डे की नहीं रही यह मिथिला की आकांक्षाओं, आत्म-सम्मान और विकास के स्वाभिमानी स्वप्न की सबसे ऊंची उड़ान बन चुकी है।
दिल्ली के साउथ ब्लॉक स्थित नागरिक उड्डयन मंत्रालय के उस कक्ष में, जहाँ निर्णय देश के हवाई मानचित्र को आकार देते हैं, वहीं पर एक आत्मीय, गंभीर और सार्थक बातचीत हुई। बिहार के वरिष्ठ सांसद और मिथिला की आत्मा समझे जाने वाले डॉ. गोपालजी ठाकुर ने जब केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री राम मोहन नायडू से भेंट की, तो सिर्फ़ काग़ज़ों की चर्चा नहीं हुई वहाँ मिथिला के हर उस बेटे-बेटी की आंखों में पलते सपनों की बात हुई, जो हर रोज़ दरभंगा एयरपोर्ट की सीमित सुविधाओं में भी अपार भरोसे के साथ अपनी यात्रा शुरू करते हैं।
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912 करोड़ का संकल्प विकास की नई लिपि: डॉ. ठाकुर ने अपनी मुलाक़ात में विस्तार से बताया कि दरभंगा एयरपोर्ट ने जिस तरह से बीते वर्षों में यात्रियों की संख्या और राजस्व में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है, वह उसे अंतरराष्ट्रीय दर्जा दिलाने की दावेदारी में सबसे आगे लाता है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री श्री नायडू ने 912 करोड़ की लागत से बन रहे अत्याधुनिक टर्मिनल का निरीक्षण करने की घोषणा की। यह महज़ निरीक्षण नहीं होगा, यह एक युग परिवर्तन का गवाह बनेगा, जहाँ मिथिला की ज़मीन पर विकास की नींव रखी जाएगी और आकाश में उसके आत्मसम्मान की पताका लहराएगी।
यात्री सुविधाओं का विस्तार उड़ान कैफे और आउटलेट्स जल्द शुरू: विमानतलों पर सिर्फ़ जहाज़ नहीं उड़ते, वहाँ यात्रियों की भावनाएं, आशाएं, थकानें और प्रतीक्षाएं भी होती हैं। सांसद ठाकुर ने बताया कि एयरपोर्ट पर उड़ान कैफे और अन्य जरूरी यात्री आउटलेट्स को जल्द शुरू करने का निर्देश मंत्री ने दे दिया है। यह एक बड़ा कदम है, जिससे हवाई यात्रा करने वालों को अब एक पूर्ण अनुभव मिलेगा, न कि एक अधूरी व्यवस्था का असुविधाजनक स्पर्श।
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अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मांग स्थानीय से वैश्विक तक की उड़ान: दरभंगा एयरपोर्ट अब उस मुकाम पर है, जहाँ घरेलू उड़ानों की सीमा तंग लगने लगी है। अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की शुरुआत यहाँ की अर्थव्यवस्था, पर्यटन, और सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक फलक दे सकती है। सांसद ठाकुर ने इस विषय पर भी गंभीर संवाद किया और यह स्पष्ट किया कि दरभंगा का यह सपना अब सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हो चुका है।
बिहार के अन्य हवाई अड्डों पर भी हुई चर्चा: डॉ. ठाकुर ने इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उस सोच की सराहना की, जिसके अंतर्गत बिहार के मधुबनी, बाल्मीकिनगर, मुजफ्फरपुर, बिहपुर, मुंगेर, सहरसा और पूर्णिया में हवाई अड्डे विकसित करने की योजना है। उन्होंने कहा कि 20-सीटर विमानों की उड़ान योजना से गाँव और कस्बों तक हवाई क्रांति पहुंचेगी। यह मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि को दर्शाता है, जो सिर्फ़ पटना और गया तक सीमित नहीं रहकर पूरे बिहार को ‘हवा में उड़ता हुआ बिहार’ बनाने की संकल्पना को साकार करने में जुटे हैं।
राजनीति नहीं, यह सेवा है दरभंगा के लिए समर्पण का नाम: डॉ. गोपालजी ठाकुर: जब एक जनप्रतिनिधि सिर्फ़ संसद में नहीं, बल्कि मंत्रालयों के दरवाज़ों पर अपनी धरती की आवाज़ ले जाए तो समझिए वह राजनीति नहीं कर रहा, वह 'सेवा' की परिभाषा रच रहा है। डॉ. गोपालजी ठाकुर वही कर रहे हैं। वह दरभंगा को सिर्फ़ एक हवाई अड्डा नहीं दिला रहे, वह मिथिला को उसका खोया गौरव लौटाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कार्य कर रहे हैं।
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अब निगाहें मंत्री के आगमन पर मिथिला की धरती फिर से स्वागत को तैयार: केंद्रीय मंत्री राम मोहन नायडू शीघ्र ही दरभंगा का दौरा करेंगे और निर्माणाधीन टर्मिनल का निरीक्षण करेंगे। इस दौरान वे अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करेंगे, जिसमें हर उस मुद्दे पर चर्चा होगी जो दरभंगा को उड़ान के नए पायदान तक पहुंचा सकता है। ये दरभंगा की मिट्टी है साहब, जहाँ रामायण की चौपाइयाँ भी गूँजती हैं और अब विमानों की घर्राहट भी। अगर दिल्ली में दरभंगा की चर्चा हो रही है, तो जान लीजिए मिथिला अब सिर्फ़ मांग नहीं रही, वह अपने हक़ की उड़ान तय कर चुकी है।