जिस सुबह शिक्षक की लाश निस्ता की सड़क पर गिरी थी, उसी दिन 'मिथिला जन जन की आवाज' ने दरभंगा एसएसपी से की थी अपील 'गुरु की हत्या पर चुप्पी मत साधिए, न्याय सुनिश्चित कीजिए!'… और आज जब दो शूटरों की गिरफ्तारी हुई, तब वर्दी ने जवाब दिया कि न्याय अब भी जिंदा है, और जन-पुकार अनसुनी नहीं जाती… पढ़ें इस रिपोर्ट को, जो न्याय की इस ऐतिहासिक यात्रा की दस्तावेज़ है!

जिस धरती पर शिक्षक को ईश्वर का रूप माना जाता है, उसी पवित्र भूमि की रगों में 28 मई की सुबह एक भयावह सिहरन दौड़ गई थी। सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के निस्ता गांव के समीप, भरवाड़ा-कमतौल सड़क पर एक शिक्षक जो रोज की तरह अपनी ड्यूटी निभाने विद्यालय जा रहे थे उनकी लाश गोलियों से छलनी होकर सड़क किनारे पड़ी मिली. पढ़े पुरी खबर.......

जिस सुबह शिक्षक की लाश निस्ता की सड़क पर गिरी थी, उसी दिन 'मिथिला जन जन की आवाज' ने दरभंगा एसएसपी से की थी अपील 'गुरु की हत्या पर चुप्पी मत साधिए, न्याय सुनिश्चित कीजिए!'… और आज जब दो शूटरों की गिरफ्तारी हुई, तब वर्दी ने जवाब दिया कि न्याय अब भी जिंदा है, और जन-पुकार अनसुनी नहीं जाती… पढ़ें इस रिपोर्ट को, जो न्याय की इस ऐतिहासिक यात्रा की दस्तावेज़ है!
गुरु की हत्या के पाँचवे दिन न्याय ने ओढ़ा वर्दी का रूप: दरभंगा के जबाज़ एसएसपी के नेतृत्व में SIT ने सीतामढ़ी के दो शूटरों को किया गिरफ्तार, बेटी की इज्जत के लिए मारे गए पिता को मिला इंसाफ़; फोटो: मिथिला जन जन की आवाज

दरभंगा: जिस धरती पर शिक्षक को ईश्वर का रूप माना जाता है, उसी पवित्र भूमि की रगों में 28 मई की सुबह एक भयावह सिहरन दौड़ गई थी। सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के निस्ता गांव के समीप, भरवाड़ा-कमतौल सड़क पर एक शिक्षक जो रोज की तरह अपनी ड्यूटी निभाने विद्यालय जा रहे थे उनकी लाश गोलियों से छलनी होकर सड़क किनारे पड़ी मिली। यह न केवल एक व्यक्ति की हत्या थी, यह उस पवित्र पेशे, उस सामाजिक उत्तरदायित्व और उस पिता की गरिमा की हत्या थी, जिसने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया।

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जिस दिन यह जघन्य घटना घटी, उसी दिन दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक श्री जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी से मिथिला जन जन की आवाज समाचार ने आग्रह किया था "सर, कृपया इस गुरुजन को न्याय दिलाइए, ताकि मिथिला में शिक्षक की गरिमा जीवित रहे।" और ठीक पाँच दिनों के भीतर दरभंगा पुलिस ने जो कर दिखाया, वह न्याय की परंपरा में एक मील का पत्थर बन गया।

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मृतक की पत्नी खेरुन निशा ने सिंहवाड़ा थाना में अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई थी। पुलिस तंत्र को अक्सर आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन इस बार वर्दी की आहट में न्याय की गूंज सुनाई दी। वरीय पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर नगर पुलिस अधीक्षक के अनुश्रवण और सदर-2 कमतौल के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नेतृत्व में SIT गठित की गई। तकनीकी शाखा, सिंहवाड़ा थाना, सिमरी थाना और विशेष जांचकर्ताओं की एक समर्पित टीम बनाई गई, जिसने पग-पग पर सबूत बटोरने शुरू किए।

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जांच ने जब रफ्तार पकड़ी, तो परत-दर-परत एक हृदयविदारक साजिश सामने आई। मृतक की दूसरी बेटी मुजफ्फरपुर के एक मदरसे में पढ़ाती थी, जहां के मुफ्ती अनबर साहब उससे विवाह करना चाहते थे। लेकिन पिता ने बेटी के लिए किसी और योग्य वर को चुना था। और शायद यही 'ना' एक नकार नहीं, एक जीवन का अंत बन गया।

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दरभंगा पुलिस ने घटना के पाँचवें दिन दो कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार कर मिथिला की आत्मा को कुछ राहत दी। सीतामढ़ी जिले से पकड़े गए इन अपराधियों में शामिल हैं:

1. छोटू उर्फ दिवेश कुमार, पिता- जटाशंकर राय, साकिन- बतरौली, थाना- महिन्दवारा, जिला- सीतामढ़ी।

2. साधु राय उर्फ अंकित कुमार, पिता- सिचेंद्र राय, थाना- बोखरा, जिला- सीतामढ़ी। इनके पास से बरामद हुआ: हत्या में प्रयुक्त मोटरसाइकिल (BR06DZ4770) पाँच मोबाइल फ़ोन घटना के समय पहना गया टी-शर्ट।

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अपराधियों का इतिहास भी भयावह है: छोटू राय पर पहले से हत्या, रंगदारी, शस्त्र अधिनियम और IT एक्ट के मामले दर्ज हैं। साधु राय भी कई संगीन मामलों में संलिप्त पाया गया है। इस सफलता के पीछे जो पुलिस टीम रही, वह खुद में एक मिसाल है अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर-2 कमतौल, सिंहवाड़ा और सिमरी थाना के थानाध्यक्ष, तकनीकी शाखा के विशेषज्ञ और मैदान में हर क्षण सक्रिय रहने वाले निरीक्षकगण।

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इस जाँच की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब पुलिस अपने मिशन को सिर्फ 'ड्यूटी' नहीं बल्कि 'धर्म' समझकर निभाए, तो न्याय की देवी खुद वर्दी पहनकर अपराधियों को पकड़ लाती है। एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने जिस दृढ़ता, संवेदनशीलता और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया, वह अब मिथिला की जनता के बीच एक विश्वास की लौ बन चुका है। SIT की कार्यशैली, तकनीकी विश्लेषण और मानवीय संवेदना के संतुलन ने यह स्पष्ट कर दिया कि अपराध चाहे जितना जटिल हो, दरभंगा पुलिस उसे चीरकर रख देगी।

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यह सिर्फ एक केस का उद्भेदन नहीं था यह उस चीख का जवाब था जो एक पिता की लाश से निकली थी; यह उस प्रण की पूर्ति थी जो दरभंगा की जनता ने अपने पुलिस अधीक्षक से लगाई थी; और यह उस भरोसे की जीत थी जो अभी भी 'वर्दी' को न्याय का दूसरा नाम मानता है।दरभंगा पुलिस का यह संकल्प "शिक्षक की हत्या को हम व्यक्तिगत अपमान मानते हैं और अपराधियों को अंतिम सांस तक सज़ा दिलाएंगे" अब एक मिशन में परिवर्तित हो चुका है। मृत शिक्षक की आत्मा को श्रद्धांजलि और दरभंगा पुलिस को सलाम।