नदी में उफान, पर नहीं टूटी श्रद्धा दरभंगा का हरिबोल तालाब बना भक्ति का केन्द्र! Ward 21 के पार्षद Naveen Sinha की अगुवाई में ढाई सौ परिवारों को मिला घाट, कृत्रिम तालाब से जुड़ेंगे सौ नए अर्घ्य… हमारी इस विशेष रिपोर्ट में पढ़ें कैसे विपरीत हालात में भी आस्था ने गढ़ दिया नया इतिहास!

इस बार छठ महापर्व की तैयारियों ने एक नया रूप ले लिया है। नदी का जलस्तर बढ़ा, किनारे डूबे, पर भक्ति की लौ बुझी नहीं। श्रद्धा ने एक नया मार्ग तलाश लिया और वह मार्ग हरिबोल तालाब से होकर गुजरता है।शहर के वार्ड संख्या 21 स्थित हरिबोल तालाब में इस बार भव्य छठ आयोजन की पूरी तैयारी की जा रही है। नदी में उफान और सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन द्वारा वैकल्पिक घाटों की पहचान के बाद, हरिबोल तालाब श्रद्धा का प्रमुख केन्द्र बन गया है. पढ़े पूरी खबर.......

नदी में उफान, पर नहीं टूटी श्रद्धा दरभंगा का हरिबोल तालाब बना भक्ति का केन्द्र! Ward 21 के पार्षद Naveen Sinha की अगुवाई में ढाई सौ परिवारों को मिला घाट, कृत्रिम तालाब से जुड़ेंगे सौ नए अर्घ्य… हमारी इस विशेष रिपोर्ट में पढ़ें कैसे विपरीत हालात में भी आस्था ने गढ़ दिया नया इतिहास!
नदी में उफान, पर नहीं टूटी श्रद्धा दरभंगा का हरिबोल तालाब बना भक्ति का केन्द्र! Ward 21 के पार्षद Naveen Sinha की अगुवाई में ढाई सौ परिवारों को मिला घाट, कृत्रिम तालाब से जुड़ेंगे सौ नए अर्घ्य… हमारी इस विशेष रिपोर्ट में पढ़ें कैसे विपरीत हालात में भी आस्था ने गढ़ दिया नया इतिहास!

दरभंगा। इस बार छठ महापर्व की तैयारियों ने एक नया रूप ले लिया है। नदी का जलस्तर बढ़ा, किनारे डूबे, पर भक्ति की लौ बुझी नहीं। श्रद्धा ने एक नया मार्ग तलाश लिया और वह मार्ग हरिबोल तालाब से होकर गुजरता है।शहर के वार्ड संख्या 21 स्थित हरिबोल तालाब में इस बार भव्य छठ आयोजन की पूरी तैयारी की जा रही है। नदी में उफान और सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन द्वारा वैकल्पिक घाटों की पहचान के बाद, हरिबोल तालाब श्रद्धा का प्रमुख केन्द्र बन गया है। यहां वार्ड स्तर पर ढाई सौ से अधिक परिवारों ने अर्घ्य देने की तैयारी कर ली है। तालाब के चारों ओर लाल रंग से रंगे घाट, सजी हुई कुर्सियों की कतारें, पानी में झिलमिलाती रोशनी और तैयारियों में जुटे सैकड़ों हाथ सब कुछ मिलकर इस जगह को एक जीवंत आस्था स्थल में बदल रहे हैं।

                                      Advertisement

भक्ति में अनुशासन, व्यवस्था में समर्पण: वार्ड 21 के पार्षद नवीन सिन्हा के नेतृत्व में व्रतियों के नाम, क्षेत्र और परिवारवार सूची तैयार कर ली गई है। समिति के कार्यकर्ता घर-घर जाकर व्रतियों का नाम दर्ज कर रहे हैं ताकि किसी को असुविधा न हो। नवीन सिन्हा ने बताया कि “जो लोग पूर्व में नदी किनारे छठ करते थे, उनके लिए तालाब में निर्धारित क्षेत्र चिन्हित किए गए हैं। हर परिवार को उसकी जगह पहले ही अलॉट की जा रही है ताकि भीड़-भाड़ और अफरा-तफरी की स्थिति न बने। तालाब के चारों ओर तीन सौ अतिरिक्त कुर्सियों की व्यवस्था की जा रही है। व्रतियों के लिए छः चेंजिंग रूम बनाए जा रहे हैं, ताकि महिलाओं को सुविधा हो। वाहन पार्किंग हेतु राजेंद्र भवन परिसर को चुना गया है, जहां पर्याप्त जगह और सुरक्षा प्रबंध रखे गए हैं।

                                      Advertisement

कृत्रिम तालाब से बढ़ी उम्मीद: इस बार श्रद्धालुओं की संख्या अनुमान से अधिक होने पर, सेनापत के श्री शंकर हनुमान मंदिर परिसर में एक कृत्रिम तालाब तैयार किया जा रहा है। यह तालाब उन परिवारों के लिए होगा जिनके नाम ढाई सौ की सूची के बाद आए हैं। इसके अतिरिक्त, छठ पूजा समिति और स्थानीय समाजसेवी भगवानदास की अगुवाई में निर्णय लिया गया है कि जेपी चौक से हरिबोल तालाब तक के क्षेत्र में भी एक कृत्रिम तालाब बनाकर लगभग एक सौ अतिरिक्त परिवारों के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। इस निर्णय ने उन परिवारों के चेहरे पर फिर से मुस्कान लौटा दी जो सोच रहे थे कि नदी में जलस्तर बढ़ने से वे अर्घ्य नहीं दे पाएंगे।

वार्ड समिति की सक्रियता और सहयोग: पूरी व्यवस्था में वार्ड 21 के पार्षद नवीन सिन्हा के साथ पूर्व पार्षद गौरीशंकर, मधुबाला सिन्हा, बेला देवी, भगवानदास, राजेश झा, अजय मिश्रा, मनीष ठाकुर और अनिल मिश्र सहित समिति के दर्जनों कार्यकर्ता सक्रिय हैं। सभी लोग मिलकर घाटों की सफाई, रोशनी, साउंड सिस्टम, जल-निकासी और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।नगर निगम की ओर से बिजली और जल विभाग को विशेष निगरानी में रखा गया है। जिला प्रशासन ने भी पूर्ण सहयोग का भरोसा दिलाया है।

                                      Advertisement

घाटों पर भक्ति और भावनाओं का संगम: हरिबोल तालाब के चारों ओर इस समय आस्था की एक सुंदर तस्वीर बन रही है। दिन में सफाईकर्मी घाटों को चमका रहे हैं, शाम में महिलाएं छठ गीत गा रही हैं, बच्चे तालाब किनारे दीये सजाने की बात कर रहे हैं और सबके मन में एक ही भावना है कि छठ मां की पूजा अब पहले से और भव्य होगी। इस तालाब में पानी की स्वच्छता बनाए रखने के लिए ऑक्सीजन मशीन भी लगाई गई है। समिति के सदस्य लगातार इसकी निगरानी कर रहे हैं ताकि श्रद्धालु बिना किसी भय या असुविधा के पूजा कर सकें।

                                   Advertisement

श्रद्धा की जीत, परिस्थिति पर भारी: दरभंगा की धरती ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि चाहे जल कितना भी बढ़ जाए, आस्था की राह कभी नहीं रुकती। हरिबोल तालाब इस बार सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि एक प्रतीक बन गया है जहां श्रद्धा ने संकट पर विजय पाई, और लोगों ने मिलकर परंपरा को नया आकार दिया। नदी के उफान ने जब सीमाएँ बनाई, तो श्रद्धा ने नई राहें खोज लीं। हरिबोल तालाब अब केवल एक जलाशय नहीं, यह शहर के दिल में बसती उस आस्था का नाम है जो हर बार कहती है जल बदले, घाट बदले, पर छठ की ज्योति कभी नहीं बुझती…