बूथों पर सन्नाटा है, अफसरों पर निगरानी है, शस्त्रधारी अब कानून की नोक पर हैं दरभंगा में लोकतंत्र अब केवल पर्व नहीं, प्रशासनिक पराक्रम बन चुका है… इस रिपोर्ट में है वो हर बात, जो अफसरों के चेहरों और निर्देशों के पीछे छिपी थी पढ़ें, जानें और सोचें!

जब सत्ता के सिंहासन तक पहुँचने की आहट सुनाई देती है, तो लोकतंत्र का समस्त ढांचा अपनी नींव को परखता है। दरभंगा समाहरणालय स्थित ‘बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार’ में आज कुछ ऐसा ही दृश्य रचा गया जहाँ शब्द नहीं, आदेश गूंज रहे थे। जिलाधिकारी कौशल कुमार और वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित यह बैठक कोई साधारण कार्यसूची नहीं, बल्कि निर्वाचन की प्राण-प्रतिज्ञा का प्रारंभिक अनुष्ठान था. पढ़े पुरी खबर.........

बूथों पर सन्नाटा है, अफसरों पर निगरानी है, शस्त्रधारी अब कानून की नोक पर हैं दरभंगा में लोकतंत्र अब केवल पर्व नहीं, प्रशासनिक पराक्रम बन चुका है… इस रिपोर्ट में है वो हर बात, जो अफसरों के चेहरों और निर्देशों के पीछे छिपी थी पढ़ें, जानें और सोचें!
जब दरभंगा के प्रशासनिक स्तंभ एक ही टेबल पर जुटे, तो हर नजर में था चुनावी उत्तरदायित्व का भार और हर कागज पर दर्ज थी लोकतंत्र की परीक्षा की रूपरेखा। कौशल कुमार की दृढ़ दृष्टि और जला रेड्डी की सुरक्षा-संवेदना के बीच, यह सभागार बना एक ऐसा मंच जहां हर शब्द कानून बन रहा था, और हर मौन निर्णय में बदल रहा था।

दरभंगा | 23 जून, 2025 | विशेष रिपोर्ट: जब सत्ता के सिंहासन तक पहुँचने की आहट सुनाई देती है, तो लोकतंत्र का समस्त ढांचा अपनी नींव को परखता है। दरभंगा समाहरणालय स्थित ‘बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर सभागार’ में आज कुछ ऐसा ही दृश्य रचा गया जहाँ शब्द नहीं, आदेश गूंज रहे थे। जिलाधिकारी कौशल कुमार और वरीय पुलिस अधीक्षक जगुनाथ रेड्डी की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित यह बैठक कोई साधारण कार्यसूची नहीं, बल्कि निर्वाचन की प्राण-प्रतिज्ञा का प्रारंभिक अनुष्ठान था।

मतदान केंद्रों का बहुस्तरीय आकलन: जिलाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारियों से एक-एक बूथ की स्थिति पूछी, जैसे कोई वैद्य किसी मरणासन्न शरीर की नब्ज टटोल रहा हो। हर बूथ की अवस्थिति, भौगोलिक सुलभता, दिव्यांगता उपयुक्तता, सुरक्षा पहुंच और मूलभूत आवश्यकताओं का मूल्यांकन इस सतर्कता से किया गया कि यह स्पष्ट हो गया "अब लापरवाही नहीं, केवल प्रतिबद्धता स्वीकार्य होगी।" हर अंचलाधिकारी को निर्देशित किया गया कि मतदान केंद्रों पर शुद्ध पेयजल, रैम्पयुक्त प्रवेश, प्रकाश व्यवस्था, शौचालय तथा निर्विघ्न संपर्क मार्ग सुनिश्चित करें। हर वह स्थान जो पहले चुनाव बहिष्कार का प्रतीक बना था, अब एक चुनौती बनकर प्रशासन की निगाह में दर्ज हो चुका है।

शस्त्र और कारतूस सुरक्षा की सबसे नाज़ुक परत: बैठक का सबसे संवेदनशील और शाब्दिक रूप से ‘बारूदी’ खंड था शस्त्र एवं कारतूस सत्यापन। एसएसपी ने स्पष्ट रूप से कहा: "अब केवल शस्त्र का लाइसेंस दिखाना पर्याप्त नहीं। शस्त्र की स्थिति, उसकी सक्रियता और उसके साथ संलग्न कारतूस की गिनती भी की जाएगी।"

थानाध्यक्षों को निर्देश मिला कि वे हर लाइसेंसधारी के घर तक जाएँ, शस्त्र का भौतिक सत्यापन करें, उसकी गोली-बारूद की संख्या को पंजी में अंकित करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी शस्त्र राजनीतिक लाभ, जातीय ध्रुवीकरण या निजी रंजिश के लिए प्रयोग न हो सके। यह केवल हथियारों की गिनती नहीं, यह चुनाव की शुद्धता की रक्षा में उठाया गया एक निर्णायक कदम था।

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कड़ी भाषा में चेतावनी प्रशासन अब उदार नहीं रहेगा: जिलाधिकारी कौशल कुमार ने चेतावनी के स्वर में कहा "निर्वाचन कर्तव्यों की उपेक्षा अब दंडनीय अपराध मानी जाएगी। कोई भी बीडीओ, सीओ, या थानाध्यक्ष जो अपने क्षेत्र में मतदाता केंद्रों की भौतिक समीक्षा में ढिलाई बरतेगा, उस पर विभागीय कार्रवाई तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित होगी।" यह कथन कोई सामान्य तंज नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ को दुरुस्त करने का सार्वजनिक शपथ था।

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जिनके पास शस्त्र हैं पढ़ लें यह प्रशासनिक संकेत: दरभंगा ज़िले में जितने भी शस्त्रधारी नागरिक हैं चाहे वे सुरक्षा हेतु रखे गए हों, या सांस्कृतिक-परंपरागत आधार पर, वे अब प्रशासनिक निगरानी के अधीन हैं। शस्त्र रखने वाले प्रत्येक नागरिक को यह प्रमाणित करना होगा कि:

उनका शस्त्र वैध है

वह किसी अवैधानिक गतिविधि में प्रयुक्त नहीं हुआ

कारतूस की संख्या नियंत्रित और दर्ज है

शस्त्र सुरक्षित रूप से रखा गया है

किसी प्रकार की सामाजिक, जातीय या राजनैतिक धमकियों में उसका उपयोग नहीं किया गया है

वरना शस्त्र जब्त, लाइसेंस निलंबित और प्राथमिकी तय।

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सभा स्थल और रूट चार्ट अनुशासन की दूसरी पंक्ति: सहायक निर्वाचक पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि वे संभावित सभा स्थलों को चिन्हित करें। रूट चार्ट जो इस लोकतांत्रिक यात्रा का भौगोलिक ब्लूप्रिंट होता है उसे प्रत्येक सेक्टर मजिस्ट्रेट को सौंपा जाएगा। 325 सेक्टर मजिस्ट्रेट तैयार किए गए हैं और उन्हें उनके क्षेत्र के बूथों की अद्यतन जानकारी रखना अनिवार्य कर दिया गया है।

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प्रशासनिक गश्त और चुनावी शुचिता: एसएसपी ने वाहन जांच, निगरानी, गुप्तचर सूचनाओं की संग्रहीत प्रणाली और अर्धसैनिक बलों की तैनाती के लिए चिन्हित स्थल तैयार रखने के निर्देश दिए। यह चुनाव केवल वोटिंग का आयोजन नहीं, बल्कि संवैधानिक पवित्रता का संरक्षण है और इस बार कोई अपवित्रता सहन नहीं की जाएगी।

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दरभंगा समाहरणालय में आज जो बैठक हुई, वह एक प्रशासनिक अधिष्ठान का आत्मशुद्धिकरण था। यह स्पष्ट हो गया कि अब न तो शिथिलता स्वीकार्य है और न ही राजनीतिक दबाव की आड़ में कोई ढील। लोकतंत्र का यह पर्व बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2025 इस बार दरभंगा में केवल मतों की गिनती नहीं, बल्कि प्रशासनिक साख और शुचिता की परीक्षा भी बन चुका है।