दरभंगा पुलिस प्रशासन में वर्दियों का नवगठित संवाद... जब कुशेश्वरस्थान, बहेड़ा, तिलकेश्वर और बिरौल की चौखट पर बदल गई नेतृत्व की तस्वीर प्रशासनिक पुनर्संयोजन के इस अध्याय को पढ़िए हमारे विशेष रिपोर्ट में, और कौन कहां भेजे गए हैं इस नई जिम्मेदारी के साथ...
24 जून 2025 को दरभंगा पुलिस अधीक्षक कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति ने जिले की पुलिस व्यवस्था में एक हलचल पैदा कर दी। यह कोई साधारण फेरबदल नहीं था, बल्कि वह नियोजन था जो प्रशासनिक चाकचौबंदगी, अनुभव के पुनः विन्यास और जन-सुरक्षा के सरोकारों को ध्यान में रखते हुए किया गया। तीन पुलिस अधिकारियों को, जिनकी सेवा अब तक अपने-अपने क्षेत्रों में अनुशासन और सामाजिक सौहार्द का पर्याय बनी रही, अब नई ज़मीन, नई चुनौतियों और एक नए सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: दिनांक 24 जून 2025 को दरभंगा पुलिस अधीक्षक कार्यालय से एक प्रेस विज्ञप्ति ने जिले की पुलिस व्यवस्था में एक हलचल पैदा कर दी। यह कोई साधारण फेरबदल नहीं था, बल्कि वह नियोजन था जो प्रशासनिक चाकचौबंदगी, अनुभव के पुनः विन्यास और जन-सुरक्षा के सरोकारों को ध्यान में रखते हुए किया गया। तीन पुलिस अधिकारियों को, जिनकी सेवा अब तक अपने-अपने क्षेत्रों में अनुशासन और सामाजिक सौहार्द का पर्याय बनी रही, अब नई ज़मीन, नई चुनौतियों और एक नए सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यह सिर्फ नामांतरण नहीं, बल्कि एक मानसिक, व्यावहारिक और रणनीतिक पुनर्संरचना है।
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हरिशंकर शर्मा: कुशेश्वरस्थान से बहेड़ा की ओर दरभंगा के दो सिरों की दूरी, पर सेवा का एक ही ध्येय: पुoनिo हरिशंकर शर्मा, जो अब तक थानाध्यक्ष, कुशेश्वरस्थान के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे, अब उन्हें बहेड़ा थाना की जिम्मेदारी दी गई है। कुशेश्वरस्थान, मिथिला का वह इलाका जहाँ ग्रामीण जीवन, बाढ़ की स्मृतियाँ और सीमांत संघर्ष की कहानियाँ रोज़ बनती-बिगड़ती हैं। ऐसे क्षेत्र में थाना संभालना सिर्फ पुलिसिंग नहीं, बल्कि समाजशास्त्र का एक जीवंत पाठ पढ़ाना होता है। अब बहेड़ा एक और संवेदनशील इलाका जहाँ अपराध की प्रकृति भले अलग हो, पर न्याय की भूख उतनी ही तीव्र है। हरिशंकर शर्मा की यह पदस्थापना, कुशेश्वरस्थान में अर्जित अनुभव को बहेड़ा की ज़रूरतों में ढालने की एक गूढ़ प्रशासनिक पहल है।
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अंकित चौधरी: तिलकेश्वर से कुशेश्वरस्थान बदलती भौगोलिक पट्टी, पर सिद्धांत वही: पुoअनिo अंकित चौधरी, जो अब तक तिलकेश्वर थाना में तैनात थे, अब उन्हें थानाध्यक्ष, कुशेश्वरस्थान थाना बनाया गया है। यह स्थानांतरण न केवल प्रशासनिक दृष्टि से सार्थक है, बल्कि यह उस भरोसे का प्रतीक भी है जो एक युवा, तेजस्वी अधिकारी पर उसके वरिष्ठों ने जताया है। कुशेश्वरस्थान, जो कभी हरिशंकर शर्मा की कर्मभूमि रही, अब अंकित चौधरी के अनुशासन का नया केंद्र बनेगा।
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कुशेश्वरस्थान जैसे क्षेत्र में थाना संचालन न सिर्फ कानूनी सूझ-बूझ मांगता है, बल्कि जन संवाद की गहराई भी। वहाँ की मिट्टी, वहाँ के लोग, वहाँ की जटिलताएँ... सब एक नये अधिकारी के लिए परीक्षा बनकर सामने आएंगे। यह बदलाव सिर्फ पदस्थापन नहीं, बल्कि एक संकल्प है नई दृष्टि से पुरानी ज़रूरतों को देखने का।
केशरीनंदन कुमार राम: बिरौल से तिलकेश्वर अनुभव की पुनर्संरचना: पुoअनिo केशरीनंदन कुमार राम, जो अब तक बिरौल थाना में सेवा दे रहे थे, उन्हें अब थानाध्यक्ष, तिलकेश्वर थाना नियुक्त किया गया है। बिरौल, जो लंबे समय से सामाजिक तनाव, जमीन विवाद और आपसी संघर्षों का केंद्र रहा है, वहाँ सेवा देना किसी प्रशिक्षण शिविर से कम नहीं। केशरीनंदन जी ने वहाँ जनता से जुड़ाव, स्थानीय भाषा की पकड़ और समाज के मनोविज्ञान को जिस तरह से समझा, वह अब तिलकेश्वर की धरती पर एक परिपक्व नेतृत्व के रूप में फलेगा। तिलकेश्वर थाना, प्रशासनिक दृष्टि से अपेक्षाकृत शांत, परंतु सामयिक घटनाओं में तेजी से प्रतिक्रिया की मांग करता है। ऐसे में बिरौल का अनुभव और तिलकेश्वर की अपेक्षाएँ, मिलकर एक सुदृढ़ तंत्र की नींव रख सकती हैं।
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यह सिर्फ तबादला नहीं, एक रणनीतिक संदेश है: इन तीन स्थानांतरणों के जरिए दरभंगा जिला पुलिस प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब थानों में नेतृत्व उसी को मिलेगा जो न केवल वर्दी में अनुशासन लाता है, बल्कि ज़मीन पर संवाद और विश्वास भी। यह बदलाव नाटकीय नहीं, पर गूढ़ है। यह हड़कंप नहीं, बल्कि सुगमता का संकेत है। यह केवल नामों की अदला-बदली नहीं, बल्कि विश्वास की पुनर्व्याख्या है।
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जनता क्या उम्मीद करे..... इन नये थानाध्यक्षों से जनता को तेज कार्रवाई, न्यायसंगत रवैया और खुला संवाद अपेक्षित है। प्रशासन को यह समझना होगा कि केवल पदस्थापन काफी नहीं, जनता के मन में सुरक्षा का भाव तभी उत्पन्न होगा जब शिकायत दर्ज करवाने वाला किसान, दुकानदार, महिला, छात्र या प्रवासी यह महसूस करे कि थाने की दीवारें अब खामोश नहीं, न्याय की भाषा बोलती हैं।
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24 जून 2025 का यह स्थानांतरण आदेश दरभंगा पुलिस के लिए नया समीकरण, नया संतुलन, और नया सन्देश लेकर आया है। अब देखना है कि इन अधिकारियों की नई ज़मीन पर न्याय की फ़सल कैसी लहलहाती है। क्योंकि वर्दी जब नई जगह जाती है, तो साथ ले जाती है अनुभव, उम्मीद, और उस जिम्मेदारी की स्याही जिसे हर रोज़ नया लिखना होता है।