जब उम्मीदों ने ओढ़ी मुस्कान की चादर: दरभंगा नगर निगम में वृद्धजनों के आशीर्वादों और पेंशन वृद्धि की घोषणाओं से गूंज उठा समाज कल्याण का मंच, पाग, चादर, सम्मान और संवेदना से सजा वह ऐतिहासिक दिन
नगर निगम का प्रांगण केवल एक नगर निकाय कार्यालय नहीं रहा, बल्कि वह एक भावनात्मक तीर्थक्षेत्र बन गया। पेंशन की शुष्क धारा में वर्षो बाद बहती संवेदना की नमी ने जहां वृद्धों के ह्रदय को छू लिया, वहीं उनके कांपते होठों पर मुस्कान की एक नई लकीर खींच दी। यह दिन समाज कल्याण और लोक सेवा की उस परिणति का साक्षी बना जिसमें वर्षों से दमित, दरकिनार और उपेक्षित वृद्धजन, विधवाएँ और दिव्यांग जन पहली बार स्वयं को ‘देखा गया’, ‘सुना गया’, और ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे थे. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: नगर निगम का प्रांगण केवल एक नगर निकाय कार्यालय नहीं रहा, बल्कि वह एक भावनात्मक तीर्थक्षेत्र बन गया। पेंशन की शुष्क धारा में वर्षो बाद बहती संवेदना की नमी ने जहां वृद्धों के ह्रदय को छू लिया, वहीं उनके कांपते होठों पर मुस्कान की एक नई लकीर खींच दी। यह दिन समाज कल्याण और लोक सेवा की उस परिणति का साक्षी बना जिसमें वर्षों से दमित, दरकिनार और उपेक्षित वृद्धजन, विधवाएँ और दिव्यांग जन पहली बार स्वयं को ‘देखा गया’, ‘सुना गया’, और ‘सम्मानित’ महसूस कर रहे थे।
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दरअसल, राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 400 रुपए से बढ़ाकर 1100 रुपए करने की ऐतिहासिक घोषणा के बाद, प्रमंडलीय पार्षद महासंघ द्वारा एक भव्य जन-संवेदनशील कार्यक्रम का आयोजन नगर निगम परिसर में किया गया। इस कार्यक्रम में समाज कल्याण मंत्री श्री मदन सहनी, राज्यसभा सांसद माननीय संजय झा (जो कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके पर संदेश भेजा), और दरभंगा नगर निगम क्षेत्र के समस्त पार्षदों, प्रतिनिधियों और सैकड़ों वृद्ध लाभार्थियों की उपस्थिति ने इस आयोजन को अत्यंत भावनात्मक और ऐतिहासिक बना दिया।
पार्षद महासंघ की भूमिका: जब संघर्ष रंग लाता है: पेंशन वृद्धि की यह मांग कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। दरभंगा प्रमंडल के विभिन्न वार्डों से चुने गए पार्षदों ने 1 दिसंबर 2024 को एक सर्वसम्मत सम्मेलन में यह प्रस्ताव पारित किया था कि सामाजिक सुरक्षा की यह व्यवस्था उस समय तक अधूरी रहेगी, जब तक वृद्धों को सम्मानजनक जीवन जीने हेतु पर्याप्त राशि नहीं दी जाती।
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इसके बाद 11 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘प्रगति यात्रा’ कार्यक्रम के दौरान पार्षद महासंघ के प्रतिनिधियों ने ज्ञापन सौंपा। समाज कल्याण मंत्री श्री मदन सहनी, राज्यसभा सांसद श्री संजय झा, जिला प्रशासन और सचिवालय स्तर के अधिकारियों को लगातार इस विषय में स्मरण-पत्र भेजे गए। अंततः 21 जून 2025 को मुख्यमंत्री के ट्वीट ने इन प्रयासों को सफलता में बदल दिया।
जब मंत्री भावुक हो उठे, और वृद्धजन दुआओं में रम गए: कार्यक्रम में जब समाज कल्याण मंत्री श्री मदन सहनी उपस्थित हुए, तो वृद्धजनों ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया। कई वृद्धों ने भावुकता में उनके चरण स्पर्श किए और कहा "बाबू जी, अब हमको भी कोई याद करता है।" मंत्री महोदय स्वयं भी भावुक हो गए और अपने वक्तव्य में कहा: "जब मैं खाद्य आपूर्ति मंत्री था, तब भी राशन कार्ड में ऐतिहासिक सुधार हुआ, और आज समाज कल्याण मंत्री रहते हुए मुझे यह सौभाग्य मिला है कि समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग के चेहरों पर थोड़ी मुस्कान ला सका। यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की करुणा और संवेदनशीलता का परिणाम है।"
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सम्मान समारोह: जब आभार शब्दों से नहीं, संस्कारों से व्यक्त हुआ: पार्षद महासंघ द्वारा मंत्री मदन सहनी को मिथिला की परंपरा अनुसार पाग, चादर, और एक मधुबनी चित्रकला से बना स्मृति-चिह्न भेंट किया गया, जिसमें वृद्धजनों के प्रति कृतज्ञता का आभार समाहित था। यह चित्रकला न केवल एक कलात्मक प्रस्तुति थी, बल्कि उसमें बुज़ुर्गों की दुआओं और पार्षदों की मेहनत का प्रतिबिंब था।
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सभी प्रतिनिधियों की उपस्थिति: जब लोकतंत्र जमीनी स्तर पर जीवंत हो उठा: कार्यक्रम में निम्नलिखित पार्षदगण और प्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही:
राजीव सिंह (अध्यक्ष, पार्षद महासंघ)
नवीन सिन्हा (सचिव)
रियासत अली (कोषाध्यक्ष)
श्याम शर्मा
राकेश पासवान
विकास कुमार
रवि रोहन
चांदनी देवी (महिला पार्षद)
मिथिलेश राय (पार्षद प्रतिनिधि)
अरुण शर्मा
विकास चौधरी
अविनाश कुमार
लक्ष्मण चौधरी
पूर्व पार्षद मधुबाला सिन्हा
इन सभी जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि यह निर्णय मात्र पेंशन नहीं, बल्कि सम्मान है, और हम इसके लिए संघर्षरत रहे हैं तथा भविष्य में भी अन्य कल्याणकारी योजनाओं हेतु एकजुट होकर प्रयास करते रहेंगे।
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लाभार्थियों की उपस्थिति: जब भावनाएँ बेकाबू हो गईं: कार्यक्रम के आयोजन में इतना जनसमूह उमड़ा कि हॉल के भीतर स्थान नहीं बचा। बुज़ुर्गजन पेड़ों के नीचे, दीवारों से टेक लगाए, ज़मीन पर बैठे लेकिन चेहरे पर शिकन नहीं, बल्कि संतोष की शांति थी।एक वृद्ध लाभार्थी ने कहा: "400 में दवा भी पूरी न आती थी, अब कम से कम इलाज की सोच सकते हैं। मरने से पहले ज़िंदा महसूस हो रहा है।"
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सांसद संजय झा की भूमिका: हालाँकि सांसद संजय झा किसी अन्य कार्यक्रम के कारण उपस्थित नहीं हो सके, परंतु उन्होंने रास्ते में ही पार्षदों से भेंट कर अपना संदेश मंत्री तक भिजवाया। उन्होंने पेंशन वृद्धि को “वंचितों के लिए सरकार की नैतिक जिम्मेदारी की पूर्ति” बताया।
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इस आयोजन ने न केवल पेंशनधारियों के लिए आर्थिक राहत दी, बल्कि उन्हें यह विश्वास दिलाया कि "वे अकेले नहीं हैं"। यह सामाजिक समावेश, लोकतांत्रिक उत्तरदायित्व और मानवीय करुणा का जीवंत उदाहरण बना। पार्षद महासंघ, मंत्री मदन सहनी और राज्य सरकार को आज दरभंगा के कोने-कोने से दुआएं मिल रही हैं। यह आयोजन साबित करता है कि जब संवेदनशीलता और संघर्ष साथ मिलते हैं, तो शासन सिर्फ शासन नहीं रहता वह सेवा बन जाता है।