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शिवनारायण कुमार की थानेदारी में पंजी बन गए मौन दस्तावेज़:...
24 जुलाई 2025 की दोपहर, समय लगभग 3:30 बजे। तपती दोपहर में जब आमजन घरों में पंखे...
राजा सलहेस की पूजा नहीं, समाज की आत्मा का उत्सव था सिनुआर...
दरभंगा की ज़मीन केवल धान की बालियों से नहीं महकती, वह सदा से आस्था की आँच, लोकगाथाओं...
दरभंगा का रामबाग: जहाँ शिक्षा की चिता पर नशे की हँसी गूंजती...
दरभंगा, जो कभी मिथिला की सांस्कृतिक और शैक्षणिक राजधानी कहलाता था, आज उसी की छाती...
हदीसा की कोख लहूलुहान, इंसाफ की चौखट खामोश, और थानेदार...
दरभंगा के घनश्यामपुर प्रखंड अंतर्गत नारी गांव में एक नौ माह की गर्भवती महिला हदीसा...
जब एक अफसर ने प्रशासन को प्रणाम कर लोकतंत्र की अदालत में...
पटना की गर्म हवाओं में इन दिनों एक ऐसा नाम तैर रहा है जिसने सत्ता, नीति और प्रशासन...
जब प्रेम चंद प्रसाद के मौन से उठी गूंज सचिवालय तक सिंहवाड़ा...
यह कोई मामूली स्वास्थ्य विभागीय फेरबदल नहीं है। यह उस सत्ता-संरक्षित चुप्पी का पर्दाफाश...
दरभंगा की भीड़भाड़ भरी सड़कों पर व्यवस्था की रफ्तार ने...
शहर के लहेरियासराय थाना क्षेत्र अंतर्गत बाकरगंज, पालीराम चौक पर शनिवार की दोपहर...
डायगर की धार, करमगंज का कैफ और सैदनगर की सन्नाटी बहादुरपुर...
शुक्रवार की शाम बहादुरपुर की हवाओं में कुछ बेचैनी थी। बल्लोपुर की गलियों में एक...
काकोढ़ा में सिर्फ तार नहीं टूटा, टूटी संवेदनशीलता थानाध्यक्ष...
दरभंगा ज़िले के सकतपुर थाना क्षेत्र स्थित काकोढ़ा गाँव में मुहर्रम की संध्या एक...
पिस्तौल की नोक पर मांगा गया इंसाफ, आंख फोड़ी गई, दस्तावेज...
शाम की ढलती रौशनी में जब एक डॉक्टर अपनी दिनभर की सेवाओं से लौट रहा था, तब रास्ते...
दरभंगा के खरथुआ गांव में रात 11 बजे गोलियों की गूंज से...
दरभंगा की गर्म और अपेक्षाकृत शांत मानी जाने वाली रातों में एक रात ऐसी भी आई, जो...
दरभंगा में जब कानून खुद सड़क किनारे बिकने लगा: दरभंगा के...
सड़कें महज़ गंतव्य तक पहुँचने का मार्ग नहीं होतीं। वे साक्षी होती हैं व्यवस्था के...
जब दरभंगा के स्टेशन पर थमा लोकतंत्र और मब्बी चौक पर जला...
बुधवार की सुबह दरभंगा ने अपने आप में एक राजनीतिक दस्तावेज देखा। जनशक्ति, जनाक्रोश...
जब माँ श्यामा के नाम से सजेगी दरभंगा की रातें, और भक्ति...
दरभंगा की माटी में जब भी श्रद्धा का स्वर फूटता है, तो माँ श्यामा के मंदिर से उठती...
नशे में चूर गुंडे ने की पत्रकार की हत्या की कोशिश मुहर्रम...
शब्द थरथरा रहे हैं, आत्मा काँप रही है, और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ आज लहूलुहान है......
दरभंगा में मातम की स्याही से लिखा गया बिजली और नफरत का...
ये सिर्फ एक खबर नहीं... यह उस मौन पीड़ा का दस्तावेज़ है जो आज भी ककोढ़ा गांव की...