जब रामजानकी मंदिर बना शराब तस्करी के विरुद्ध रणभूमि, लहेरियासराय थानाध्यक्ष अमित कुमार के आदेश से उठी एक चेतना, काली स्कॉर्पियों की साँसे रुकीं, और दरभंगा की सड़कों पर कानून की लाठी ने नशे की गूंज को किया खामोश अब जो आएगा शराब लेकर, सीधा जेल की खिचड़ी ही उसका स्वागत करेगी!
जहाँ मंदिरों की घंटियों से सुबह होती है और खेतों में हल चलाकर किसान सूरज को सलाम करता है। वही दरभंगा अब कभी-कभी अपराध के काले कारनामों से सहम उठता है। और जब अपराध स्कॉर्पियो में बैठकर सड़कों पर गश्त करने लगे, तो ज़रूरत होती है ऐसे थानाध्यक्षों की, जो अपने आदेशों से बिजली गिरा सकें। लहेरियासराय थाने के थानाध्यक्ष अमित कुमार ने इसी परंपरा की पुनर्स्थापना की है एक ऐसा पुलिस अफसर, जिसकी कलम से जब आदेश निकलता है तो अपराधियों की धड़कनें खुद-ब-खुद तेज़ हो जाती हैं. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा... जहाँ मंदिरों की घंटियों से सुबह होती है और खेतों में हल चलाकर किसान सूरज को सलाम करता है। वही दरभंगा अब कभी-कभी अपराध के काले कारनामों से सहम उठता है। और जब अपराध स्कॉर्पियो में बैठकर सड़कों पर गश्त करने लगे, तो ज़रूरत होती है ऐसे थानाध्यक्षों की, जो अपने आदेशों से बिजली गिरा सकें। लहेरियासराय थाने के थानाध्यक्ष अमित कुमार ने इसी परंपरा की पुनर्स्थापना की है एक ऐसा पुलिस अफसर, जिसकी कलम से जब आदेश निकलता है तो अपराधियों की धड़कनें खुद-ब-खुद तेज़ हो जाती हैं।
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यह घटना किसी उपन्यास के पन्नों से कम नहीं लगती। सूचना मिली नसीब से नहीं, कर्तव्यनिष्ठा के कारण कि एक काली रंग की स्कॉर्पियो लहेरियासराय की ओर बढ़ रही है, जिसमें शराब की एक पूरी अवैध नदी बह रही है। लेकिन इस बार यह नदी लहेरियासराय में नहीं बह सकी, क्योंकि वहां खड़े थे थानाध्यक्ष अमित कुमार, अपने आदेश की तलवार और कर्मियों के भुजबल के साथ।
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समय देखिए उस आदेश का: ना कोई ढीली-ढाली तैयारी, ना कोई औपचारिकता। सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष ने बगैर पल गंवाए आदेश जारी किया। यह कोई शाब्दिक आदेश नहीं था, यह एक सजग प्रहरी की अंतरात्मा से निकली गर्जना थी। और उस गर्जना को सुनते ही हर कर्मी, हर सिपाही मानो सिंह का रूप धारण कर मैदान में कूद पड़ा।
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कर्मियों की टोली नहीं, यह तो एक 'आदेश सेना' थी!
दरोगा: अमित कुमार,
दरोगा: राजेश कुमार रंजन,
दरोगा: गोविंद सिंह,
सिपाही: कैसर खां
ये नाम केवल कर्मचारी नहीं हैं, ये उस व्यवस्था के स्तंभ हैं, जो अभी भी जनता की रक्षा के लिए रात को नींद नहीं लेते।
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थानाध्यक्ष अमित कुमार ने सिर्फ अपने पद का नहीं, अपने अंतर्मन की विवेकशीलता का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि एक सच्चा थानाध्यक्ष केवल कुर्सी नहीं संभालता, वह अपने अधीनस्थों को प्रेरणा, संकल्प और दिशा देता है। उन्होंने अपने आदेश के माध्यम से दिखा दिया कि "शासन का मतलब डर नहीं, जागरूकता है।"
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अब देखिए कार्रवाई की फिल्मी नहीं, असल सच्चाई: एकमी रोड पर ज्योंही वह स्कॉर्पियो आती दिखी, पुलिस ने हाथ से रुकने का इशारा किया लेकिन जैसा कि अपराधी सोचते हैं, कानून से भागा जा सकता है, वह चालक भी गाड़ी को भगा ले गया। लेकिन किस्मत देखिए, भागते हुए वह राम जानकी मंदिर परिसर में ही गाड़ी लगा बैठा शायद भगवान से बचाव की उम्मीद की हो, लेकिन पुलिस ने वहीँ उसकी आखिरी सांसों पर विराम लगा दिया।
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स्कॉर्पियो से निकली एक शराबी साजिश की गंध: जब गाड़ी की तलाशी ली गई, तो उसमें से 572 बोतल विदेशी शराब निकली कुल 429 लीटर। यह सिर्फ शराब नहीं थी, यह उस व्यवस्था का तमाचा थी, जो शराबबंदी को कागज़ों में सीमित समझती है। जब पुलिस ने गाड़ी के भीतर से दो संदिग्ध नंबर प्लेट बरामद किए जिनमें एक हरियाणा की पहचान लिए था तो स्पष्ट हो गया कि यह कोई स्थानीय लघु प्रयास नहीं, बल्कि अंतरराज्यीय तस्करी का जाल है।
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दो नाम एक ही जुर्म की गठरी:
सुरज कुमार सहनी, पुत्र दिनेश सहनी, एकमी घाट (बहादुरपुर थाना क्षेत्र)
मो. आफताब, पुत्र मो. अंजार, साहोपर्री (बिरौल थाना क्षेत्र)
इनके पास से वीवो और एप्पल मोबाइल, एक मोटरसाइकिल और स्कॉर्पियो बरामद की गई। पुलिस ने दोनों को दबोच कर हिरासत में ले लिया।
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थानाध्यक्ष का सूझबूझ: “हम शक नहीं करते, प्रमाण जुटाते हैं”: थानाध्यक्ष अमित कुमार ने बेहद स्पष्ट और पेशेवर लहजे में कहा कि गाड़ियों की नंबर प्लेट सही प्रतीत नहीं हो रही। चेचिस नंबर के आधार पर डीटीओ कार्यालय को पत्र भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा कि ये गाड़ियाँ चोरी की हैं या तस्करों की।
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इस पूरी घटना से कुछ बड़े संदेश उभरते हैं:
1.थानाध्यक्ष अमित कुमार का नेतृत्व कोई आम बात नहीं वह आदेश नहीं देते, वे कर्म में विश्वास रखते हैं।
2.दरभंगा पुलिस की त्वरित कार्रवाई आज भी संभव है, अगर नेतृत्व में नीयत और नीति दोनों हो।
3.राम जानकी मंदिर का नाम इस बार मोक्ष का नहीं, न्याय का प्रतीक बना।
4.दरभंगा के समाज को यह देखना होगा कि अपराध स्कॉर्पियो में घूमता है, और उसे रोकने वाले सिपाही पैदल चलते हैं।
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यह केवल स्कॉर्पियो से शराब पकड़ने की कहानी नहीं, यह उस अदृश्य युद्ध की कथा है जो लहेरियासराय थाना से शुरू होकर दरभंगा की आत्मा तक गूंज गई। थानाध्यक्ष अमित कुमार ने केवल एक वाहन नहीं रोका, बल्कि एक प्रवृत्ति को ललकारा है। अब जो भी शराबबंदी कानून की खिल्ली उड़ाएगा, जो परदे के पीछे से नशे का सौदा करेगा चाहे वह हरियाणा से हो या हैदराबाद से, दरभंगा की धरती पर अगर पकड़ाया... तो फिर ‘आप गए! सीधा जेल की खिचड़ी तैयार है!