जब प्रेम बना अपराध और समाज बना जल्लाद! दरभंगा के अलीनगर में रात के अंधेरे में प्रेमी-प्रेमिका को भीड़ ने पकड़ मंदिर में कराई जबरन शादी सिसकियों के बीच सिन्दूर की लकीर, डर की स्याही में लिखी इंसानियत की मौत

रात थी स्याह, ठंडी और खामोश। अलीनगर मोहल्ले की गलियाँ छठ की रौनक के बाद शांत थीं, मगर उस सन्नाटे के बीच एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे दरभंगा को हिला दिया। जहाँ आस्था का दीप बुझने के बाद सब विश्राम में थे, वहीं मानवता का दीप उस रात बुझा दिया गया लोगों ने प्रेम को अपराध मान लिया, और भीड़ ने खुद को भगवान समझ लिया. पढ़े पूरी खबर.......

जब प्रेम बना अपराध और समाज बना जल्लाद! दरभंगा के अलीनगर में रात के अंधेरे में प्रेमी-प्रेमिका को भीड़ ने पकड़ मंदिर में कराई जबरन शादी सिसकियों के बीच सिन्दूर की लकीर, डर की स्याही में लिखी इंसानियत की मौत
जब प्रेम बना अपराध और समाज बना जल्लाद! दरभंगा के अलीनगर में रात के अंधेरे में प्रेमी-प्रेमिका को भीड़ ने पकड़ मंदिर में कराई जबरन शादी सिसकियों के बीच सिन्दूर की लकीर, डर की स्याही में लिखी इंसानियत की मौत

दरभंगा। रात थी स्याह, ठंडी और खामोश। अलीनगर मोहल्ले की गलियाँ छठ की रौनक के बाद शांत थीं, मगर उस सन्नाटे के बीच एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे दरभंगा को हिला दिया। जहाँ आस्था का दीप बुझने के बाद सब विश्राम में थे, वहीं मानवता का दीप उस रात बुझा दिया गया लोगों ने प्रेम को अपराध मान लिया, और भीड़ ने खुद को भगवान समझ लिया।

                                     Advertisement

जब अंधेरे ने देखा इंसान का असली चेहरा... सोमवार की रात, मधुबनी जिले का युवक सोनू अपनी बहन के घर आया था। दिल में प्रेम की धड़कन थी, मिलने की चाह थी, और बस कुछ पल साथ बिताने की मासूम ख्वाहिश। लेकिन किसे पता था कि वो रात प्रेम की नहीं, भय की दास्तान बन जाएगी। जैसे ही वह अपनी प्रेमिका से मिलने पहुंचा, मोहल्ले के कुछ लोगों ने दोनों को देख लिया। बस फिर क्या था गली में अचानक नारे गूंज उठे, लोग टॉर्च लिए दौड़ पड़े, और इंसानियत की लाश वहीं गिर पड़ी। भीड़ ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया, और फिर शुरू हुआ जंगलराज जैसा दृश्य।

                                      Advertisement

भीड़ का फैसला: शादी कराओ... वरना जान ले लेंगे: लोगों ने पहले युवक और युवती की निर्दयतापूर्वक पिटाई की, लड़के की शर्ट फाड़ दी गई, लड़की की चीखें गलियों में गूंज उठीं। पर उस शोर में किसी ने मदद नहीं की क्योंकि वहां हर कोई न्यायाधीश बन चुका था। फिर भीड़ ने कहा अब इन्हें मंदिर ले चलो... यहीं होगा इंसाफ! और देखते ही देखते, पास के मंदिर में घंटियां बजने लगीं, दीप जलने लगे, और प्रेम का शव सिन्दूर की परत में दफन हो गया। सोनू के कांपते हाथों से जबरन सिंदूर भरवाया गया, लड़की के चेहरे पर डर की परछाइयाँ साफ दिख रही थीं। उस पल मंदिर नहीं, मानो किसी डरावनी अदालत का मंच बन गया था। हर कोई वीडियो बना रहा था, हंस रहा था, और प्रेम अपनी ही मौत का तमाशा देख रहा था।

                                        Advertisement

पुलिस पहुँची… लेकिन वर्दी भीड़ के आगे झुक गई: सूचना पर विश्वविद्यालय थाना पुलिस पहुँची, लेकिन दृश्य देखकर वर्दी भी मौन हो गई। लोगों की भीड़ उफान पर थी कोई कैमरा चला रहा था, कोई नारे लगा रहा था। पुलिस के अधिकारी कई बार रोकने की कोशिश करते रहे, लेकिन “भीड़ की अदालत” ने पुलिस की ताकत को भी बेअसर कर दिया। दरभंगा में यह नजारा किसी डरावनी फ़िल्म जैसा था जहाँ कानून हारा, भीड़ जीती, और इंसानियत दम तोड़ती रही। स्थानीयों ने कहा प्रेम किया है, तो अब भुगतो स्थानीय निवासी विशाल कुमार ने बताया दोनों महीनों से प्रेम कर रहे थे। मोहल्ले के लोगों ने पकड़ लिया, तो हमने शादी करा दी। समाज की इज्जत का सवाल था। पर सवाल यह भी उठता है क्या समाज की इज्जत किसी की इज़्ज़त लूटकर ही बचेगी? क्या प्रेम करने वाला हर युवक-युवती भीड़ की अदालत में ऐसे ही सज़ा पाएगा?

                                      Advertisement

प्रेम का शहर बना डर का दरभंगा: अलीनगर की गलियों में अब सन्नाटा है, लेकिन उस रात की चीखें अभी भी दीवारों से टकरा रही हैं। लड़की की सिसकियाँ, सोनू की घुटती आवाज़, और लोगों की हँसी यह सब एक ऐसे दृश्य में गूँजता है, जिसे सुनकर रूह काँप उठती है। दरभंगा, जो विद्या, संस्कृति और सभ्यता की धरती कही जाती है, वहां अब सवाल उठ रहा है क्या हम सचमुच इंसान हैं? या भीड़ में बदल चुके हैं जो खुद को भगवान समझ बैठी है?

                                     Advertisement

पुलिस की चुप्पी… डर का विस्तार: फिलहाल पुलिस ने किसी भी पक्ष से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। दोनों परिवारों से बातचीत जारी है। लेकिन पुलिस की यह खामोशी, समाज के उस डरावने मौन को और गहरा करती है, जो हर प्रेमी जोड़े के दिल में घर कर गया है। अब हर कोई सोच रहा है कहीं हमारा प्रेम भीड़ की अदालत में अगला अपराध तो नहीं बन जाएगा?

                                   Advertisement

यह घटना केवल एक शादी नहीं, प्रेम की हत्या थी। यह दरभंगा की रात नहीं, इंसानियत की कालरात्रि थी। जहाँ कानून सो गया, और समाज जागा पर जागा नहीं सुधार के लिए, बल्कि डर पैदा करने के लिए।