खोराई यदवार नदी के ठंडे पानी में समा गया 13 वर्षीय मासूम चंद्रप्रकाश प्रशासन की लापरवाही के सन्नाटे में गूँज उठी एक पिता की करुण पुकार, और जब आशा की आख़िरी किरण भी लहरों में खोने लगी, तब जन सुराज के राकेश मिश्रा खुद नाव लेकर उतरे उस निर्दयी धारा में… पीड़ित पिता को गले लगाकर कहा ‘यह तुम्हारा नहीं, हमारे समाज का दर्द है’; प्रशासन से माँगी जवाबदेही, और जनसेवा को बना दिया इंसानियत का सजीव रूप!
कभी-कभी हादसे केवल किसी एक घर की दीवारें नहीं गिराते, बल्कि समाज की आत्मा को भी हिला जाते हैं। खोराई यदवार नदी के किनारे आज वही सन्नाटा पसरा है, जहाँ बीते दिन तक बच्चों की हँसी गूँजा करती थी। मात्र 13 वर्ष का चंद्रप्रकाश साह, इस निर्मम नदी की लहरों में समा गया और अब तक उसका शव खोजने की कोशिशें चल रही हैं। यह सिर्फ़ एक बच्चे के डूबने की घटना नहीं, बल्कि एक व्यवस्था के सुस्त जहाज़ के डूबने की कहानी है. पढ़े पूरी खबर.......
दरभंगा। मिथिला जन जन की आवाज: कभी-कभी हादसे केवल किसी एक घर की दीवारें नहीं गिराते, बल्कि समाज की आत्मा को भी हिला जाते हैं। खोराई यदवार नदी के किनारे आज वही सन्नाटा पसरा है, जहाँ बीते दिन तक बच्चों की हँसी गूँजा करती थी। मात्र 13 वर्ष का चंद्रप्रकाश साह, इस निर्मम नदी की लहरों में समा गया और अब तक उसका शव खोजने की कोशिशें चल रही हैं। यह सिर्फ़ एक बच्चे के डूबने की घटना नहीं, बल्कि एक व्यवस्था के सुस्त जहाज़ के डूबने की कहानी है। इस दर्द के बीच, एक चेहरा उम्मीद लेकर पहुँचा जन सुराज पार्टी के 83- दरभंगा विधानसभा प्रत्याशी राकेश कुमार मिश्रा।

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जहाँ प्रशासन खामोश था, वहाँ जन सुराज का मानवीय चेहरा बोला: नदी के किनारे भीड़ थी, लोगों की आँखें उम्मीद से उस दिशा में टिकी थीं जहाँ बचावकर्मी नाव लेकर गए थे। किसी को उम्मीद थी शायद कोई चमत्कार हो जाए। ऐसे में राकेश मिश्रा वहाँ पहुँचे बिना दिखावे, बिना कैमरों के शोर, बस एक संवेदनशील नागरिक के रूप में। उन्होंने सबसे पहले मृतक के पिता श्रवण साह को गले लगाया, और यही वह पल था जब भीड़ में उपस्थित कई लोगों की आँखें नम हो गईं। उन्होंने कहा चंद्रप्रकाश की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चुप्पी का परिणाम है। जब तक प्रशासन नदी किनारों की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेगा, तब तक ऐसी माताएँ यूँ ही बेटों के लिए प्रतीक्षा करती रहेंगी।

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बचाव दल संग खुद उतरे नदी में, दिखी जनसेवा की सच्ची झलक: राकेश मिश्रा ने वहाँ केवल भाषण नहीं दिया, बल्कि बचाव टीम की नाव पर सवार होकर स्वयं नदी में उतरकर खोज अभियान में भाग लिया। उनके साथ स्थानीय स्वयंसेवक और एनडीआरएफ कर्मी मौजूद थे। हर लहर, हर छपाक में चंद्रप्रकाश की याद तैर रही थी। मिश्रा ने नदी में उस दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा हम उसे ढूँढ लेंगे, हम किसी माँ की उम्मीद को ऐसे खत्म नहीं होने देंगे। उनकी यह बात वहाँ मौजूद सैकड़ों ग्रामीणों के दिल में उतर गई। यह दृश्य राजनीति का नहीं, मानवता का सबसे सजीव उदाहरण बन गया।

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प्रशासन को जगना होगा राकेश मिश्रा का आक्रोश और अपील: मिश्रा ने कहा कि खोराई यदवार नदी जैसे स्थानों पर जहाँ बच्चों और ग्रामीणों की लगातार आवाजाही रहती है, वहाँ सुरक्षा व्यवस्था नाममात्र की भी नहीं है। न चेतावनी बोर्ड, न गश्त, न सुरक्षा बाड़ परिणामस्वरूप एक और मासूम लहरों में समा गया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा यह हादसा प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए और पीड़ित परिवार को तत्काल मुआवज़ा मिले। अगर जल्द कदम नहीं उठाया गया, तो जन सुराज सड़क पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेगा।

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जन सुराज राजनीति से परे, संवेदना के केंद्र में: जन सुराज पार्टी का नाम ‘सुराज’ है यानी सच्चे अर्थों में जनसेवा का राज। और राकेश मिश्रा ने इस अर्थ को जीवंत कर दिया। वे केवल चुनाव लड़ने वाले नेता नहीं दिखे, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभरे जो दर्द को महसूस करता है, जो आँसुओं के पीछे की खामोशी को सुन सकता है। स्थानीय लोगों ने कहा कि जब नेता केवल बयान दे रहे थे, तब राकेश मिश्रा नाव पर चढ़कर खोज में जुटे थे। यही अंतर है राजनीति करने और जनसेवा निभाने में।

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चंद्रप्रकाश की याद और समाज के लिए सबक: खोराई यदवार नदी की लहरें अब भी बह रही हैं, पर उनमें एक अधूरी कहानी है एक बच्चे की, जो खेलते-खेलते मौत की गहराई में चला गया। उसकी माँ का रोना इस बात का प्रतीक है कि हमारी प्रशासनिक संवेदना अब कितनी सुन्न हो चुकी है। राकेश मिश्रा ने जाते-जाते कहा हम इस परिवार को अकेला नहीं छोड़ेंगे। यह वादा जन सुराज का नहीं, इंसानियत का है। दरभंगा की यह घटना बताती है कि जब शासन मौन होता है, तब जन सुराज जैसी आवाजें समाज की साँस बनती हैं। चंद्रप्रकाश की डूबने की यह त्रासदी सिर्फ़ एक मौत नहीं, बल्कि एक पुकार है कि “अब हमें बदलना होगा, सोचना होगा, और हर नदी किनारे सुरक्षा का सचमुच किला बनाना होगा।
