जब दरभंगा के यातायात थाने की बंद अलमारियों में काँपने लगे रजिस्टर, धूल सहमी और कुर्सियाँ थर्राईं वर्दी की आहट नहीं, तूफान बनकर पहुँचे एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी; औचक निरीक्षण ने सिस्टम की सांसें टटोल दीं!

यह कोई साधारण दिन नहीं था। यह वह दिन था, जब दरभंगा के यातायात थाना की दीवारें चुपचाप अपनी सांसें रोककर सुन रही थीं कि कब कौन-सी फ़ाइल खोली जाएगी, कौन-सा नाम पुकारा जाएगा, और कौन-सी लापरवाही की परतें उधाड़ी जाएँगी। वर्दी में सज्जित, दृढ़ निगाहों और कठोर मुखरता के साथ जब दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक यातायात थाना पहुँचे, तो केवल निरीक्षण नहीं हुआ, बल्कि व्यवस्था की आत्मा को आईना दिखाने का प्रयत्न हुआ. पढ़े पुरी खबर......

जब दरभंगा के यातायात थाने की बंद अलमारियों में काँपने लगे रजिस्टर, धूल सहमी और कुर्सियाँ थर्राईं वर्दी की आहट नहीं, तूफान बनकर पहुँचे एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी; औचक निरीक्षण ने सिस्टम की सांसें टटोल दीं!
जब दरभंगा के यातायात थाने की बंद अलमारियों में काँपने लगे रजिस्टर, धूल सहमी और कुर्सियाँ थर्राईं वर्दी की आहट नहीं, तूफान बनकर पहुँचे एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी; औचक निरीक्षण ने सिस्टम की सांसें टटोल दीं!

दरभंगा:- यह कोई साधारण दिन नहीं था। यह वह दिन था, जब दरभंगा के यातायात थाना की दीवारें चुपचाप अपनी सांसें रोककर सुन रही थीं कि कब कौन-सी फ़ाइल खोली जाएगी, कौन-सा नाम पुकारा जाएगा, और कौन-सी लापरवाही की परतें उधाड़ी जाएँगी। वर्दी में सज्जित, दृढ़ निगाहों और कठोर मुखरता के साथ जब दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक यातायात थाना पहुँचे, तो केवल निरीक्षण नहीं हुआ, बल्कि व्यवस्था की आत्मा को आईना दिखाने का प्रयत्न हुआ।

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जब साहब ने दरवाज़ा पार किया: थाना का छोटा सा कक्ष जहाँ सरकारी गंध दीवारों में रच-बस गई थी, फाइलों का बोझ जैसे वक्त की गर्द समेटे खड़ा था, वहीं एक टेबल के पार खड़ा था "प्रशासन का मौन चेहरा" थानाध्यक्ष। लेकिन उस मौन में आज एक गरज थी, क्योंकि दरवाज़े से प्रवेश कर रहे थे स्वयं एसएसपी जिनके आते ही हर कुर्सी सीधी हो गई, हर नज़र सलीके में और हर सांस अनुशासन में बदल गई।

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कागज़ों में कैद कर्तव्य की परतें: एसएसपी ने बैठते ही पहला काम यही किया कि थाने की आत्मा कहे जाने वाले रजिस्टरों को उठाया न केवल देखा, बल्कि पढ़ा, टटोला, और परखा।

बेंडिंग जांच पंजी

पार्किंग स्थल विवरण

टेम्पो स्टैंड, बस स्टैंड व नो पार्किंग जोन का दस्तावेज़

टूर एवं ट्रैवेल्स रजिस्टर

पर्व-त्योहारों के दौरान बनाए गए ट्रैफिक प्लान

ट्रैफिक अवर्णेश कार्यक्रम

स्थानीय शो-रूम (चार पहिया, दो पहिया, तीन पहिया) संचालकों की सूची

क्रेन चालक और ई-रिक्शा मालिकों/ड्राइवरों का ब्यौरा

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हर रजिस्टर एक पुकार बन गया। एसएसपी ने बस इतनी सी बात कही "व्यवस्था की शान रजिस्टरों की पूर्णता में ही है। अधूरे पन्ने प्रशासन की नाकामी का गवाह होते हैं।"

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पुलिसकर्मी: जिनकी वर्दी में लिपटी उम्मीद: निरीक्षण की प्रक्रिया केवल दस्तावेजों की जाँच पर ही नहीं थमी। एसएसपी की नजरें उन चेहरों की तलाश में थीं, जिन पर जनता की सुरक्षा का भार है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा "हर जवान की उपस्थिति, ड्यूटी का समय और कार्यक्षमता एक-एक कर लिखी जाए और रोज़ उसे ब्रीफ किया जाए।" इस दौरान थानाध्यक्ष को यह निर्देश दिया गया कि कोई भी पुलिसकर्मी बिना निर्धारित स्थान के भटकता हुआ न दिखे। ड्यूटी रोस्टर हर दिन बने, और उसमें किसी भी तरह की कोताही स्वीकार नहीं की जाएगी।

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दुर्घटना रजिस्टर और चालान: व्यवस्था की धड़कन: एक और महत्वपूर्ण पक्ष पर एसएसपी की विशेष दृष्टि पड़ी ट्रैफिक चालान रजिस्टर, दुर्घटना रजिस्टर और अन्य आवश्यक दस्तावेज। उन्होंने कहा: "इन रजिस्टरों में दरभंगा की सड़कें बोलती हैं। अगर चालान अधूरे हैं, तो सड़कों पर अनुशासन मर चुका है। अगर दुर्घटनाओं का लेखा-जोखा नहीं रखा गया, तो खून बहता रहेगा और शासन को खबर नहीं होगी।"

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थाने की दीवारें भी पूछ रही थीं सवाल: थाने की पुरानी दीवारें, जिन पर टंगे हुए पुरस्कार समय की यात्रा की गवाही दे रहे थे, आज जैसे खुद सवाल कर रहे थे कि क्या आज का निरीक्षण प्रशासन को आत्मपरीक्षण के लिए मजबूर करेगा? क्या इन फाइलों की धूल झाड़ कर दरभंगा की सड़कों को फिर से अनुशासन की ओर मोड़ा जा सकेगा?

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यह निरीक्षण सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी। यह उस व्यवस्था की जाँच थी, जो कागजों पर सजी रहती है लेकिन ज़मीन पर फिसलती दिखती है। एसएसपी का यह दौरा उस यंत्रणा की तरह था, जो नींद में डूबे सिस्टम को झकझोरती है।

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उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा: "हर थाना व्यवस्था की रीढ़ होता है। यदि इसकी फाइलें अधूरी हैं, तो समझो पूरा शरीर पक्षाघात का शिकार है।"

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दरभंगा शहर की ट्रैफिक समस्या की नसों को पहचानने और सुधार की दिशा में ठोस कदम बढ़ाने का यह निरीक्षण पहला पड़ाव नहीं है, लेकिन यह यकीनन एक ऐसी चेतावनी है, जिसे अगर सिस्टम ने नहीं सुना, तो इतिहास उसके कानों में चिल्लाएगा। एसएसपी जगुनाथ रेड्डी ने केवल यातायात थाना का निरीक्षण नहीं किया उन्होंने पूरे शहर को संदेश दिया कि अब सड़कों की गति और थानों की गति में तालमेल बैठाना ज़रूरी है। अब दरभंगा को केवल सिग्नल नहीं चाहिए, उसे दिशा चाहिए।

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दरभंगा जागेगा या फिर प्रतीक्षा करेगा अगली समीक्षा का: इस निरीक्षण के बाद अब सवाल जनता का है क्या दरभंगा की सड़कों पर वर्दी में सज्जित जवान पूरी सजगता से खड़े होंगे? क्या अब ट्रैफिक नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने वालों पर अंकुश लगेगा? या फिर यह निरीक्षण भी सिर्फ एक तारीख में कैद हो जाएगा, और फाइलों के नीचे व्यवस्था फिर से दबी रह जाएगी?