"रफ्तार बनी काल, बाप-बेटे की एक साथ उठी अर्थियाँ: माँ की सूनी गोद, बहन की टूटी राखी की लाज और अस्पताल की दीवारों से टकराती चीत्कारें बनीं मूक गवाही"

बुधवार की सुबह दरभंगा-मुजफ्फरपुर नेशनल हाईवे-27 पर हुई एक भीषण सड़क दुर्घटना ने एक पूरे परिवार की खुशियों को नेस्तनाबूद कर दिया। यह कोई आम हादसा नहीं था — यह एक माँ की ममता की मौत थी, एक पत्नी के सुहाग की विदाई थी, और एक बहन की राखी की लाज छिन जाने की त्रासदी थी. पढ़े पुरी खबर.......

"रफ्तार बनी काल, बाप-बेटे की एक साथ उठी अर्थियाँ: माँ की सूनी गोद, बहन की टूटी राखी की लाज और अस्पताल की दीवारों से टकराती चीत्कारें बनीं मूक गवाही"
रफ्तार बनी काल, बाप-बेटे की एक साथ उठी अर्थियाँ: माँ की सूनी गोद, बहन की टूटी राखी की लाज और अस्पताल की दीवारों से टकराती चीत्कारें बनीं मूक गवाही; फोटो: मिथिला जन जन की आवाज

दरभंगा: बुधवार की सुबह दरभंगा-मुजफ्फरपुर नेशनल हाईवे-27 पर हुई एक भीषण सड़क दुर्घटना ने एक पूरे परिवार की खुशियों को नेस्तनाबूद कर दिया। यह कोई आम हादसा नहीं था — यह एक माँ की ममता की मौत थी, एक पत्नी के सुहाग की विदाई थी, और एक बहन की राखी की लाज छिन जाने की त्रासदी थी।

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घटना दरभंगा के मब्बी थाना क्षेत्र के सोभन बाइपास के पास की है, जहाँ एक तेज़ रफ्तार अनियंत्रित ट्रक ने एक बाइक सवार तीन लोगों को कुचल दिया। हादसा इतना भयावह था कि बहेड़ी थाना क्षेत्र के अटही गांव निवासी लालबचन यादव (50) और उनके बेटे लाल कुमार मंडल (22) की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि उनके तीसरे साथी भजन कुमार मंडल जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। उन्हें गंभीर हालत में डीएमसीएच में भर्ती कराया गया है।

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तीनों व्यक्ति पंडाल बनाने का काम करते थे। उस दिन वे सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के भरुल्ली गांव से काम कर लौट रहे थे। शायद घर जाकर दो रोटी चैन से खाने की सोच रहे होंगे। लेकिन रास्ते में उनकी खुशियों पर ट्रक की दहाड़ ऐसी टूटी कि सब कुछ बिखर गया।

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"माँ की गोद अब सूनी है..." जब लालबचन यादव और उनके बेटे की मौत की सूचना गांव पहुंची, तो अटही की गलियों में सन्नाटा पसर गया। बूढ़ी दादी बेसुध होकर जमीन पर गिर पड़ी — "हे भगवान! मेरा बेटा और पोता एक साथ चला गया? अब किसके सहारे जियूँ?" पत्नी ने सिंदूर से सजी मांग को छाती पर मसल डाला – "तू कहता था जल्दी लौटूंगा, पर अब तेरा शरीर आया है…!" और बहनें सिर पटकती रहीं – "भइया अब राखी मैं किसीको बाँधेगे?"

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डीएमसीएच की दीवारों ने वह मातमी शोर सुना, जिसमें केवल आँसू नहीं थे, बल्कि वे सारे अधूरे सपने थे जो इस हादसे के साथ दम तोड़ गए। पुलिस ने शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मब्बी थानाध्यक्ष ने कहा कि ट्रक और उसके चालक की तलाश की जा रही है। लेकिन सवाल यह है – क्या यह तलाश कभी खत्म होगी? क्या ऐसे हादसे थमेंगे? क्या रफ्तार पर लगाम लगेगी? या हर बार किसी माँ की गोद, किसी बहन की राखी और किसी बच्चे का बचपन यूँ ही कुचला जाता रहेगा? आज अटही गांव का सूरज कुछ उदास है... क्योंकि दो अर्थियाँ साथ उठी हैं। और उस घर में अब सिर्फ तस्वीरें बची हैं — और उन तस्वीरों को देखकर रोती आँखें।