धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उमंग का अनोखा मेल: बाणेश्वरी महोत्सव में कुमार कपिलेश्वर सिंह की धमाकेदार मौजूदगी ने बिखेरा जलवा
अगर आप धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक चमक और सामाजिक जागरूकता का एक ऐसा तड़कता-भड़कता संगम देखना चाहते हैं, जो दिल को छू ले और आँखों को चकाचौंध कर दे, तो बीते दिन भंडारिसम मकरंदा के सिद्धपीठ बाणेश्वरी भगवती स्थान में शुरू हुए दो दिवसीय बाणेश्वरी महोत्सव का पहला दिन आपके लिए किसी स्वप्न से कम नहीं था। लेकिन इस महोत्सव का असली हीरो कौन रहा? वो नाम, जिसकी चर्चा हर जुबान पर थी. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: अगर आप धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक चमक और सामाजिक जागरूकता का एक ऐसा तड़कता-भड़कता संगम देखना चाहते हैं, जो दिल को छू ले और आँखों को चकाचौंध कर दे, तो बीते दिन भंडारिसम मकरंदा के सिद्धपीठ बाणेश्वरी भगवती स्थान में शुरू हुए दो दिवसीय बाणेश्वरी महोत्सव का पहला दिन आपके लिए किसी स्वप्न से कम नहीं था। लेकिन इस महोत्सव का असली हीरो कौन रहा? वो नाम, जिसकी चर्चा हर जुबान पर थी—समाजसेवा का सुपरस्टार, बाणेश्वरी उपहार पत्रिका का संरक्षक, और दरभंगा का गौरव, श्री कुमार कपिलेश्वर सिंह!
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मंत्रों की गूंज में कपिलेश्वर का रॉकस्टार एंट्री: जैसे ही कुमार कपिलेश्वर सिंह मंदिर परिसर में कदम रखते हैं, मानो पूरा माहौल मंत्रमुग्ध हो गया। वेद मंत्रों की गूंज, फूलों की माला, और रूपेश झा के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ उनका स्वागत ऐसा था कि लगा, कोई फिल्मी सीन चल रहा हो। उनकी सादगी में छुपी गरिमा और चेहरे पर खिली श्रद्धा ने श्रद्धालुओं के दिलों में सीधे घर कर लिया। लोग कहते हैं कि कपिलेश्वर सिंह जहाँ जाते हैं, वहाँ का वातावरण अपने आप बदल जाता है—और यहाँ भी कुछ ऐसा ही जादू देखने को मिला।
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समाजसेवा का सुपरमैन: कपिलेश्वर सिंह: कुमार कपिलेश्वर सिंह सिर्फ नाम नहीं, एक ब्रांड हैं—समाजसेवा का ऐसा ब्रांड, जो दरभंगा की गलियों से लेकर मंदिरों तक अपनी छाप छोड़ता है। बाणेश्वरी उपहार पत्रिका के संरक्षक के तौर पर वे न सिर्फ सांस्कृतिक धरोहर को संजोने में जुटे हैं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और विकास के लिए भी उनकी मेहनत किसी से छुपी नहीं है। सूत्र बताते हैं कि महोत्सव में उनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, और जब वे आए, तो मानो श्रद्धालुओं की सारी थकान हवा हो गई। उनकी एक मुस्कान और प्रेरक शब्दों ने ऐसा असर किया कि लोग कह उठे, “ये हैं हमारे असली हीरो!”
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परंपरा और प्रगति का मसालेदार मिश्रण: बाणेश्वरी महोत्सव का पहला दिन सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहा। यहाँ वेद मंत्रों की गंभीरता थी, तो संस्कृति की रंगीन छटा भी। और इस सबके बीच कपिलेश्वर सिंह की मौजूदगी ने इसे एक नया आयाम दे दिया। उनकी उपस्थिति से यह संदेश साफ था—परंपरा को सहेजते हुए हमें विकास की राह पर भी तेजी से चलना है। उनकी समाजसेवा की कहानियाँ तो ऐसी हैं कि सुनकर लगता है, मानो कोई सुपरहीरो अपनी शक्तियों से समाज को बदल रहा हो। चाहे गाँवों में शिक्षा की अलख जगाना हो या सांस्कृतिक आयोजनों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाना—कपिलेश्वर सिंह हर मोर्चे पर अव्वल हैं।
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श्रद्धालुओं के दिलों में बसा एक नाम: महोत्सव में आए एक श्रद्धालु ने कहा, “कपिलेश्वर जी को देखकर लगता है कि सादगी और शक्ति एक साथ भी रह सकते हैं। उनका काम बोलता है, और उनकी मौजूदगी यहाँ की रौनक को दोगुना कर देती है।” सच में, जब कपिलेश्वर सिंह मंच पर आए, तो श्रद्धालुओं की भीड़ में एक अलग ही जोश दिखा। उनकी एक-एक बात में ऐसा मिर्च-मसाला था कि लोग सुनते ही प्रेरित हो उठे।
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दरभंगा की शान, संस्कृति का पहरेदार: यह महोत्सव दरभंगा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को न सिर्फ जीवंत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक व्यक्तित्व पूरे समुदाय को एकजुट कर सकता है। कुमार कपिलेश्वर सिंह की अगुवाई में बाणेश्वरी महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का उत्सव बन गया, बल्कि यह समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी साबित हुआ। उनकी मेहनत और लगन ने इस आयोजन को एक नई पहचान दी है, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ भी याद रखेंगी।
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आगे क्या? महोत्सव का दूसरा दिन अभी बाकी है, और अगर पहले दिन का यह जलवा है, तो अगले दिन की भव्यता का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। लेकिन एक बात पक्की है—कुमार कपिलेश्वर सिंह की धमाकेदार मौजूदगी और उनके कार्यों का मसाला इस महोत्सव को लंबे वक्त तक लोगों के जेहन में बनाए रखेगा। तो तैयार हो जाइए, क्योंकि दरभंगा में यह सांस्कृतिक धमाका अभी खत्म नहीं हुआ है!