जब दरभंगा की धरती पर फिर उग आई शराब की एक और कालिख कमतौल के कटैया में ट्रक और पिकअप पर लदी 4578 लीटर विदेशी शराब की बरामदगी ने खोली तस्करों की नींद, एसएसपी के नेतृत्व में दरभंगा पुलिस ने रचा कार्रवाई का एक नया अध्याय; याद कीजिए वो रात जब आम के कैरेट में छुपी थी शराब की सांघातिक साजिश... पढ़ें, यह हमारे द्वारा गहराई से पड़ताल किया गया विशेष रिपोर्ट
दरभंगा की मिट्टी में आज फिर कानून की जड़ों ने करवट ली है। जिस ज़मीन ने कभी विद्यापति और राज दरभंगा की गरिमा को संजोया, वहां से आज फिर एक खबर निकली जो बताती है कि अपराध की अंधेरी सुरंगों में जब तक प्रशासन की मशाल न जले, तब तक अंधकार का कारोबार फलता-फूलता रहता है। लेकिन आज, दिनांक 08 जून 2025 को कमतौल की सड़कों पर कुछ ऐसा हुआ जिसने शराब माफियाओं के होश उड़ा दिए. पढ़े पुरी खबर........

दरभंगा की मिट्टी में आज फिर कानून की जड़ों ने करवट ली है। जिस ज़मीन ने कभी विद्यापति और राज दरभंगा की गरिमा को संजोया, वहां से आज फिर एक खबर निकली जो बताती है कि अपराध की अंधेरी सुरंगों में जब तक प्रशासन की मशाल न जले, तब तक अंधकार का कारोबार फलता-फूलता रहता है। लेकिन आज, दिनांक 08 जून 2025 को कमतौल की सड़कों पर कुछ ऐसा हुआ जिसने शराब माफियाओं के होश उड़ा दिए।
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कमतौल थाना क्षेत्र के कटैया चौर में जब सूरज सिर पर था और खेतों की हरियाली अपने पूरे यौवन पर, तभी एक ट्रक और एक पिकअप वाहन की तलाशी ने सबको चौंका दिया। गुप्त सूचना, सूक्ष्म तकनीकी निगरानी और तत्परता की मिसाल पेश करते हुए दरभंगा पुलिस ने वो कर दिखाया जिसे आमतौर पर 'असंभव' कहकर टाल दिया जाता है।
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टेक्निकल सेल की मदद से कमतौल पुलिस ने छापेमारी की योजना बनाई और सफलता की कहानी उसी धरती पर लिखी जहाँ कभी ईख और धान की फसल लहलहाया करती थी। आज वहीं, शराब के कार्टूनों की बोरियाँ खुली, गंध फैली और सन्नाटा टूट गया। मौके पर एसडीपीओ बहादुरपुर-जाले, ज्योति कुमारी स्वयं पहुंचीं और अपने निरीक्षण में यह पुष्टि की कि 4578 लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है, जो कि 421 कार्टूनों में भरकर तस्करी के इरादे से भेजी जा रही थी।
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पुलिस ने मौके से एक ट्रक, एक पिकअप वाहन, ₹15,000 नकद राशि और एक मोबाइल भी जब्त किया है। साथ ही ट्रक चालक अजय कुमार यादव, जो उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले का निवासी बताया जा रहा है, को गिरफ्तार किया गया। शराब के ये कार्टून सिर्फ शराब नहीं थे, ये दरअसल उस अवैध व्यवस्था की बोली बोलते प्रतीक थे जो बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद भी छल और चुप्पी की चादर ओढ़कर चल रही है। लेकिन इस बार, वो चादर फटी। और फटी पुलिसिया निगरानी के तेज चाकू से।
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कमतौल थाना की कार्रवाई में जो खास बात रही, वह था उसका संयोजन गुप्त सूचना से लेकर तकनीकी निगरानी तक और धरपकड़ से लेकर मीडिया तक खबर पहुँचाने की रफ्तार तक। इस पूरी कार्रवाई को निर्देशित कर रहे थे दरभंगा के वरीय पुलिस अधीक्षक जिनकी सतत निगरानी और 'जीरो टॉलरेंस नीति' का ही परिणाम था कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब को पकड़ा जा सका।
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प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट तौर पर कहा गया है: दरभंगा पुलिस के द्वारा अवैध शराब के निर्माण, बिक्री, भंडारण पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। बात यहां शराब की नहीं है, बात उस भरोसे की है जो जनता कानून पर करना चाहती है। बात उस चेतना की है जो वर्षों से सुस्त पड़ी थी लेकिन आज कमतौल की मिट्टी से उठकर चीख रही है कि हाँ, प्रशासन अब सिर्फ कुर्सी पर बैठा नहीं, सड़क पर उतर चुका है।
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दरभंगा की धरती पर अपराध की हर चाल को नाकाम करने को तत्पर पुलिस की यह कार्रवाई कोई पहली नहीं है। याद रहे, इससे पहले दरभंगा पुलिस ने आम के कैरेट में छिपाकर लाई गई भारी मात्रा में शराब को भी उजागर किया था जहाँ आम की मिठास के नाम पर कड़वाहट की खेप उतर रही थी, वहाँ कानून ने फिर एक बार अपनी पकड़ दिखाई थी। आज कटैया चौर से बरामद शराब की लहरें, उस पिछले प्रकरण की याद दिला रही हैं और दरभंगा पुलिस की लगातार सक्रियता यह बताने के लिए काफी है कि 'शराबबंदी' महज़ कागज़ी इबारत नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतरती हुई सख्त हकीकत है।
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दरभंगा में लगातार हो रही इन प्रभावशाली कार्रवाईयों ने अब साफ़ कर दिया है कि यह ज़िला, जो कभी तस्करों के लिए सुरक्षित गलियों और छुपे रास्तों का गढ़ हुआ करता था, अब सख़्त निगरानी, प्रतिबद्ध नेतृत्व और कानून के तेज़ शिकंजे का प्रतीक बन चुका है। एसएसपी दरभंगा के नेतृत्व में पुलिस जिस तीव्रता, योजना और साहस से शराब माफिया के जड़ों को उखाड़ रही है, उसने अपराध की ज़मीन को ही कंपा दिया है।
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अब आलम यह है कि शराब के धंधेबाज़ अपने ठिकानों को छोड़ दरभंगा से पलायन की तैयारी में हैं कुछ सीमा पार भाग निकले हैं, तो कुछ प्रशासन की आहट से ही रातों की नींद और दिनों का चैन गंवा बैठे हैं। दरभंगा की मिट्टी अब उन्हें बोझ सी लगने लगी है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे एसएसपी साहब की नीति, आदेश और संचालन ने शराब तस्करी को न केवल नामुमकिन बना दिया है, बल्कि माफियाओं के लिए ‘जिंदगी का बोझ’ बना दिया है। अब नशे के सौदागर न खुलेआम साँस ले सकते हैं, न कारोबार की कोई उम्मीद संजो सकते हैं। जिस आदेश पर दरभंगा पुलिस के जवान चल रहे हैं, वो आदेश अब अपराधियों के लिए खौफ़ की परिभाषा बन चुका है और शायद इतिहास गवाह रहेगा कि कैसे एक प्रशासनिक संकल्प ने शराब की धाराओं को सूखने पर मजबूर कर दिया।
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हमारी टीम इस पूरे घटनाक्रम की गहराई से पड़ताल कर रही है ट्रक कहां से चला था, किन-किन रूटों से होकर गुज़रा, क्या इसमें किसी संगठित गिरोह की संलिप्तता है, और क्या स्थानीय स्तर पर किसी संरक्षण का भी छाया-संकेत है इन तमाम सवालों पर हमारी खोज जारी है।