दरभंगा की मिट्टी में जब डॉक्टर स्मृति ने जीवन का बीज बोया, और पूर्व जिलाधिकारी राजीव रौशन ने संकल्प के साथ थामी संवेदना की मशाल तब जन्म लिया एक ऐसा केंद्र, जो कोख नहीं, करुणा से जन्म देगा मातृत्व के दीप
यह केवल एक सेंटर का उद्घाटन नहीं था, यह उस दर्द की दवा का शुभारंभ था, जिसे शब्दों में कह पाना वर्षों से कठिन रहा है। यह उस माँ की मौन चीख का जवाब था, जो संतान की चाह में हर देवी के द्वार पर माथा टेकते-टेकते थक चुकी थी। यह उस पिता की सूनी निगाहों का सहारा था, जिसकी गोद वर्षों से खाली रही। मिथिला की पवित्र भूमि पर, शनिवारी सुबह उम्मीद की रश्मियां बिखर गईं, जब डॉक्टर स्मृति स्पर्श आईवीएफ एंड फर्टिलिटी सेंटर का विधिवत उद्घाटन हुआ. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा (बिहार), विशेष संवाददाता: यह केवल एक सेंटर का उद्घाटन नहीं था, यह उस दर्द की दवा का शुभारंभ था, जिसे शब्दों में कह पाना वर्षों से कठिन रहा है। यह उस माँ की मौन चीख का जवाब था, जो संतान की चाह में हर देवी के द्वार पर माथा टेकते-टेकते थक चुकी थी। यह उस पिता की सूनी निगाहों का सहारा था, जिसकी गोद वर्षों से खाली रही। मिथिला की पवित्र भूमि पर, शनिवारी सुबह उम्मीद की रश्मियां बिखर गईं, जब डॉक्टर स्मृति स्पर्श आईवीएफ एंड फर्टिलिटी सेंटर का विधिवत उद्घाटन हुआ।
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दोनार अल्लपट्टी मुख्य रोड, दरभंगा। कार्यक्रम स्थल: लहेरियासराय ऑडिटोरियम। उद्घाटन का दृश्य मानो किसी युग परिवर्तन की गवाही दे रहा हो। मंच पर दीप जले, लेकिन वो दीप केवल घी के नहीं थे उनमें समर्पण की लौ थी, विज्ञान और सेवा के मिलन की रोशनी थी, और सबसे बड़ी बात उन आँखों का उजाला था जो वर्षों से मातृत्व की तमन्ना में डबडबा रही थीं।
मंच पर सेवा और संवेदना का समागम: राज्य के चार-चार मंत्री मदन सहनी (समाज कल्याण), जीवेश मिश्रा (नगर विकास), संजय सरावगी (राजस्व), हरि सहनी (सहकारिता) विधायक विनय चौधरी, जिलाधिकारी कौशल कुमार, एसएसपी जगुनाथ रेड्डी, पूर्व कुलपति डॉ. एसपी सिंह और सारण प्रमंडल के आयुक्त राजीव रौशन सभी उस क्षण के साक्षी बने जब मिथिला में मातृत्व विज्ञान का नया अध्याय खुला। लेकिन सबसे खास उपस्थिति थी डॉ. स्मृति स्पर्श की जिनकी आंखों में एक चिकित्सक की समझदारी, एक स्त्री की अनुभूति और एक सामाजिक क्रांतिकारी की चमक थी।
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“यह केवल चिकित्सा नहीं, सामाजिक मिशन है” डॉ. स्मृति स्पर्श: स्वागत भाषण में डॉ. स्मृति स्पर्श ने भावुक शब्दों में कहा “यह केंद्र महज़ एक चिकित्सा संस्थान नहीं है, यह हर उस माँ की आशा है जो अब तक केवल सपना देखती थी। यह मिशन है जात-पात, धर्म, वर्ग और आय की सीमाओं से परे जाकर हर स्त्री के मातृत्व के स्वप्न को साकार करने का।” उनकी बातों में वही पीड़ा थी जो वे मरीजों के चेहरे पर रोज़ पढ़ती हैं। वही दृढ़ता थी जो उन्हें इस क्षेत्र में बिहार की चुनिंदा विशेषज्ञों में शामिल करती है।
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परिवार और प्रशासन का संगम सेवा का दूसरा नाम 'राजीव रौशन': बिहार के तेजतर्रार और संवेदनशील अफसरों में गिने जाने वाले राजीव रौशन, जो फिलहाल सारण प्रमंडल के आयुक्त हैं, इस उद्घाटन में बतौर पति नहीं, बल्कि एक सेवक की भूमिका में दिखे। “मेरे लिए यह केवल एक पारिवारिक गर्व का क्षण नहीं है, बल्कि सेवा का विस्तार है अब मैं प्रशासन से तो सेवा कर ही रहा हूं, लेकिन पत्नी के ज़रिए चिकित्सा के क्षेत्र में भी समाज से जुड़ा रहूंगा,” उन्होंने कहा।
मंत्री बोले “राजीव रौशन अब भी दरभंगा से जुड़े हैं” मंत्री मदन सहनी ने बड़ी आत्मीयता से कहा: “हम राजीव जी के कार्यकाल में कई योजनाओं से लाभान्वित हुए। अब डॉ. स्पर्श के ज़रिए चिकित्सा क्षेत्र में दरभंगा लाभ पाएगा। साथ ही, वो मिथकों को भी तोड़ेंगी जो समाज संतानहीनता को पाप या स्त्री की गलती मानता है।”
नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा ने इसे मिथिला प्रेम का प्रतीक बताया: “राजीव रौशन जी का स्थानांतरण हो चुका है, फिर भी डॉ. स्पर्श का दरभंगा में क्लिनिक खोलना ये दर्शाता है कि ये लोग दिल से मिथिला के हैं।”
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संजय सरावगी बोले: “पहले तो सोचा एक डॉक्टर का उद्घाटन है, बाद में जब जाना कि ये हमारी पूर्व डीएम साहब की धर्मपत्नी हैं, तब गर्व और बढ़ गया।”
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नई जिलाधिकारी कौशल कुमार बोले “मुझे बड़ा भाई मिल गया”: चार दिन पहले ही जिलाधिकारी पद संभालने वाले कौशल कुमार ने कहा “मैंने चार्ज ऐसे व्यक्ति से लिया है जिनका कद बहुत बड़ा है। अब उनका साया डॉ. स्पर्श के रूप में इस धरती पर रहेगा, और मैं उनका छोटा भाई बनकर काम करूंगा।”
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एसएसपी जगुनाथ रेड्डी, जो राजीव रौशन के साथ डेढ़ वर्ष तक कार्यरत रहे, बोले: “अब सहयोग का क्षेत्र बदल गया है लेकिन भावना वही है।”
15 साल की प्रतीक्षा, एक संतोषजनक मुस्कान मधुबनी की दंपत्ति की कहानी: इस मौके पर मधुबनी से आए एक जोड़े ने मंच पर आकर कहा “शादी को 15 साल हो गए थे, लेकिन संतान नहीं थी। डॉ. स्पर्श के इलाज ने हमारी झोली भर दी।” यह एक नहीं, सैकड़ों कहानियाँ हैं, जिनमें दर्द था, और अब उम्मीद है। दोनार रोड पर रिमोट से हुआ उद्घाटन, नारियल से भूमि पूजन: ऑडिटोरियम में बैठे हुए ही रिमोट के ज़रिए डॉक्टर स्पर्श ने सेंटर का उद्घाटन किया और फिर नारियल फोड़कर भूमि पूजन के साथ केंद्र में प्रवेश किया।
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तकनीक, सेवा और समर्पण का संगम: यह केंद्र अत्याधुनिक मशीनों से लैस है। हफ्ते में एक दिन डॉक्टर स्वयं आएंगी, बाक़ी दिनों में प्रशिक्षित विशेषज्ञ, विशेषज्ञ तकनीशियन और सेंटर का मैनेजमेंट मिथिला के लोगों के लिए उपलब्ध रहेगा। नेपाल तक से मरीज आने की उम्मीद है।
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यह उद्घाटन उस परिवर्तन का आरंभ है जहां अब दरभंगा और मिथिला की स्त्रियों को पटना, दिल्ली और मुंबई की चौखटों पर भटकना नहीं पड़ेगा। डॉक्टर स्मृति स्पर्श ने जो केंद्र खोला है, वह दरअसल एक कोख की क्रांति है जहां बंजर सपनों में नमी डाली जाएगी, और जिनको उम्मीदें छोड़नी पड़ी थीं, उन्हें फिर से जीने का अवसर मिलेगा।
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"समर्पण की स्याही से लिखी गई एक प्रेम-कहानी: राजीव रौशन और डॉ. स्मृति स्पर्श के नाम" जब कोई अफसर अपनी कुर्सी से उतरकर भी किसी ज़मीन से जुड़ा रहता है, और जब कोई डॉक्टर महज़ इलाज नहीं, बल्कि उम्मीद बाँटती है, तब इतिहास लिखा जाता है, और भविष्य रोशन होता है। राजीव रौशन एक ऐसा नाम जो प्रशासन में अनुशासन का पर्याय है, और अब ‘पति’ के रूप में एक नारी की उड़ान में विश्वास का सबसे मजबूत पंख बन खड़े हैं।
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डॉ. स्मृति स्पर्श एक ऐसी स्त्री, जिन्होंने कोख के अंधेरों में रोशनी का नाम बन जाने की ठानी, जिनकी उँगलियाँ केवल सर्जरी नहीं करतीं, वे आंसुओं को मुस्कान में बदलने का जादू जानती हैं। इन दोनों की यह साझा यात्रा प्रेम और पेशे के मध्य संतुलन की परिभाषा है, जहाँ समाजसेवा, विज्ञान और संवेदना एक साथ चलती हैं। दरभंगा आपको धन्यवाद कहता है...क्योंकि तुम्हारे जैसे लोग, माटी से मोह नहीं भूलते...और जिनके हाथों में कलम, छुरी या शासन की मुहर हो, वे जब समाज के घावों पर मरहम रखें, तो वही युग की शुरुआत होती है।