शादी में गूंजा 'लहंगा उठा देब'... और पड़ोसी का खून बहा देब! भटपोखरा में अश्लील गानों से छिड़ा खूनी महाभारत, दूल्हा सहित चार सलाखों के पीछे
जब शहनाई की जगह डीजे पर गूंजने लगे "लहंगा उठा देब सटर-सटर", "छाती पे चलs नंगीया", और जब मोहल्ले की हवा में मधुरता की जगह अश्लीलता तैरने लगे, तब समझिए विवाह अब केवल संस्कार नहीं, तमाशा बन चुका है। और जब इस तमाशे का विरोध कोई जागरूक पड़ोसी करता है, तो उसका स्वागत होता है लोहे की रॉड और लात-घूंसों से। यही हुआ है दरभंगा के भटपोखरा गांव, वार्ड संख्या 5 में. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा: जब शहनाई की जगह डीजे पर गूंजने लगे "लहंगा उठा देब सटर-सटर", "छाती पे चलs नंगीया", और जब मोहल्ले की हवा में मधुरता की जगह अश्लीलता तैरने लगे, तब समझिए विवाह अब केवल संस्कार नहीं, तमाशा बन चुका है। और जब इस तमाशे का विरोध कोई जागरूक पड़ोसी करता है, तो उसका स्वागत होता है लोहे की रॉड और लात-घूंसों से। यही हुआ है दरभंगा के भटपोखरा गांव, वार्ड संख्या 5 में।
ADVERTISEMENT
जहाँ फूलों की वर्षा होनी थी, वहाँ बरसी लाठियाँ... 22 मई को होने वाली थी बदरी दास के पुत्र धर्मेन्द्र दास की शादी। बरात की तैयारी चल रही थी, गाजे-बाजे के नाम पर डीजे का आतंक था, और उसमें बज रहे थे ऐसे गीत, जिनके बोल सुनने से शब्द भी शर्म से पानी-पानी हो जाए: “कुर्ता फाड़ के नचवलू हो, बबुआन के बीचे…” “केहू बोललs त मार देब गोली, बारात में बा दबंग टोली…” लेकिन इस बार एक पड़ोसी चुप नहीं रहा। रामलाल दास ने विरोध किया, क्योंकि उनके घर में बीमार माँ थी, छोटी बच्ची थी, और मानवता की थोड़ी सी उम्मीद बाकी थी।
ADVERTISEMENT
'तेज आवाज़ में अश्लीलता' से उठा विवाद बना खूनी तांडव: रामलाल का विरोध ‘बदतमीजी’ लगा दूल्हा पक्ष को। उन्होंने जवाब दिया कानून या संवाद से नहीं, बल्कि लाठी और रॉड से। रामलाल को पीटा गया, उनकी पत्नी रेखा देवी, बेटा मुकेश दास और एक अन्य परिजन को भी बेरहमी से मारा गया। पूरा परिवार जाले सीएचसी में भर्ती है, और रामलाल की स्थिति गंभीर बताई जा रही है।
ADVERTISEMENT
दूल्हा सहित चार गिरफ्तार, लेकिन सवाल अब भी ज़िंदा है...थानाध्यक्ष संदीप कुमार पाल ने तत्परता दिखाते हुए धर्मेन्द्र दास (दूल्हा), राजा दास, रंजीत दास और भुइली दास को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। लेकिन सवाल यह है कि “क्या अब हर शादी में अश्लीलता के नाम पर मोहल्ले की शांति की बलि दी जाएगी?”
ADVERTISEMENT
रेखा देवी की व्यथा: ‘हमारे शरीर पर ज़ख्म हैं, आत्मा पर गड्ढे हैं...’ रेखा देवी ने प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा: “शादी खुशी का अवसर होती है, पर हमारे लिए वह रात मातम बन गई। क्या अश्लील गीत बजाना अधिकार है, और विरोध करना अपराध? अगर हमने ‘बोल’ से विरोध किया, तो उन्होंने ‘हथियार’ से जवाब दिया।”
ADVERTISEMENT
सवाल समाज से: क्या ‘लहंगा उठा देब’ ही बना है नई पीढ़ी का विवाह संगीत? यह खबर सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि समाज के गिरते स्वरूप का आईना है। जब विवाह जैसे पवित्र संस्कारों में ‘अश्लीलता’ और ‘हिंसा’ घुस जाए, तो समझिए हम परंपरा से नहीं, संवेदनहीनता से बंधे जा रहे हैं। क्या कोई सभ्य समाज यह स्वीकार कर सकता है कि “बजावे डीजे पर ‘तोहार ब्लाउज हउए बम’, और पड़ोसी अगर बोले तो बहा दे खून?”
ADVERTISEMENT
प्रशासन की ज़िम्मेदारी और जनता की चेतावनी प्रशासन को चाहिए कि वह: शादी समारोहों में अश्लील गानों पर रोक लगाए, डीजे की ध्वनि सीमा को सख्ती से लागू करे, और ऐसे मामलों में त्वरित और उदाहरणीय सजा दे ताकि भविष्य में कोई बारात ‘बर्बरता’ का जुलूस न बन सके।
ADVERTISEMENT
भटपोखरा की यह घटना सिर्फ एक मोहल्ले की लड़ाई नहीं थी, यह अश्लीलता के खिलाफ एक ललकार, और सामाजिक शालीनता की अंतिम साँसें थी। अब समय आ गया है कि ‘लहंगा उठा देब’ को समाज से उठा दिया जाए, और विवाह को फिर से संस्कार, संगीत और संयम का प्रतीक बनाया जाए।