मुख्यमंत्री ने बिहार संग्रहालय के स्थापना दिवस समारोह का किया शुभारंभ, कहा लोग जानेंगे इतिहास और विरासत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बिहार संग्रहालय स्थापना दिवस समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।
PATNA : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज बिहार संग्रहालय स्थापना दिवस समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार संग्रहालय के स्थापना दिवस के अवसर पर आज पहली बार कार्यक्रम आयोजित किया गया है। 7 अगस्त 2015 को बिहार संग्रहालय के एक हिस्से (बाल दीर्घा) का उद्घाटन हुआ था, इसे ध्यान में रखते हुए बिहार म्यूजियम शासी निकाय की बैठक हुयी थी, जिसमें 7 अगस्त 2022 को पहली बार बिहार संग्रहालय का स्थापना दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। इस स्थापना दिवस समारोह का थीम देवी एवं महिला रखा गया है, यह बहुत बड़ी बात है। इस स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर अगले दो माह तक अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे जिसमें दो दिवसीय कला मेला का भी आयोजन किया जाएगा। यहाँ देवी एवं महिला पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई गयी है।
देवी एवं महिला पर आधारित प्रदर्शनी में पौराणिक काल से अब की बातों को प्रदर्शित करते हुए उसका विस्तृत रूप से उल्लेख किया गया है। हम जब स्टूडेंट थे उस समय हमने पटना म्यूजियम को आकर देखा था। हम जब सरकार में आयें तो पटना म्यूजियम के बगल में एक भवन बनाने का निर्णय लिया गया। हमने उसे जाकर देखा तो कहा कि इसे बनाने का कोई मतलब नहीं है। पटना म्यूजियम में जितने चीजें संग्रहित हैं उसे ठीक ढंग से प्रदर्शित करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मानक का म्यूजियम बनाना होगा ताकि सभी धरोहर सुरक्षित रहें। मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी धरोहरों का कालखंड एवं महत्व लोग जान और समझ सकें, इसके लिए सभी कलाकृतियों के नीचे विस्तृत जानकारी का भी उल्लेख करना होगा। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम देश में नहीं है।
इसलिए हमने इंटरनेशनल म्यूजियम बनाने का कांसेप्ट दिया। इसके लिए ग्लोबल टेंडर किया गया और कनाडा की लार्ड कल्चरल रिसोर्सेज को इंटरनेशनल म्यूजियम की पूरी अवधारणा का जिम्मा सौंपा गया। दुनिया भर में कनाडा की लार्ड कल्चरल रिसोर्सेज 100 से अधिक संग्रहालयों की स्थापना कर चुकी है कनाडा की लार्ड कल्चरल रिसोर्सेज के हेड अपने टीम के साथ आकर हमसे मिले थे और विस्तृत चर्चा हुयी थी। हमने उन्हें अपना कॉन्सेप्ट बताया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाने के लिए काफी विमर्श हुआ म्यूजियम की डिजाइन के लिए भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर का टेंडर हुआ जिसमें जापान के विश्व प्रसिद्ध मॉकी एंड एसोसिएट का चयन किया गया। हमें वर्ष 2018 में जापान जाने का मौका मिला तो वहां भी श्री फमिडियो मॉकी जी आकर मिले थे बिहार म्यूजियम के बिल्डिंग निर्माण के लिए एल एंड टी कम्पनी को काम दिया गया।
यह निर्माण के लिए बहुत अच्छी कम्पनी मानी जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के म्यूजियम का निर्माण कराने के लिए 16 जून 2013 को 498 करोड़ रूपये की धनराशि की स्वीकृत की गयी। हमने कहा कि नेहरू पथ पर स्थित पांच सरकारी भवनों को तोड़कर वहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर के म्यूजियम का निर्माण कराया जाए। उस समय जो लोग उन भवनों में रहते थे वे कोर्ट चले गये और कुछ लोगों ने तरह-तरह के सवाल खड़े किये। अंततः सभी बाधाएं दूर हो गई। 08 जुलाई 2013 को इसका शिलान्यास किया गया और 7 अगस्त 2015 को इसके एक हिस्से का शुभारम्भ किया गया। उस दिन वर्षापात हुई थी, आज भी वर्षा होती तो काफी अच्छा लगता। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बापू के जन्म दिवस के अवसर पर 2 अक्टूबर 2017 को इस अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बिहार म्यूजियम के शेष दीर्घाओं का लोकार्पण कर दिया गया। उस कार्यक्रम में बाहर से बड़ी संख्या में लोग आये थे और इसकी काफी सराहना भी हुई थी। प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शक यहाँ पहुँचते है और यह बिहार का प्रमुख आकर्षक स्थल बन गया है। जब यह बनकर तैयार हो गया तो इसका नाम 'बिहार म्यूजियम रखा गया। उन्होंने कहा कि इसमें पटना म्यूजियम से सामान लाकर रखा गया। यह तय किया गया कि प्री हिस्टोरिक पीरियड के पहले की सभी चीजें बिहार म्यूजियम में रखी जायेगी और बाद की चीजें पटना म्यूजियम में ही रहेगी।
पटना म्यूजियम में प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद गैलरी, राहुल सांकृत्यायन द्वारा लायी गयी पाण्डुलिपि, नेचुरल हिस्ट्री आदि से संबंधित महत्वपूर्ण चीजें पटना गैलरी में ही संरक्षित हैं। पटना म्यूजियम के प्रांगण में भवन का निर्माण हो रहा है, हम चाहेंगे कि उसका काम और तेजी से पूर्ण हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 अक्टूबर 2017 को जब प्रधानमंत्री बिहार दौरे पर आए थे तो इस म्यूजियम को आकर देखे थे। पटना म्यूजियम और बिहार म्यूजियम को भूमिगत मार्ग से जोड़ने के लिए 375 करोड़ रूपये की योजना स्वीकृत कर दी गई है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन जो पटना मेट्रो रेल का निर्माण कर रही है, उसको ही भूमिगत मार्ग के निर्माण का काम दिया गया है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन बहुत ही अच्छे ढंग से काम करता है। इन दोनों म्यूजियम के बीच की दूरी डेढ़ किलोमीटर है, जब भूमिगत मार्ग बनकर तैयार होगा तो पर्यटकों को काफी आकर्षित करेगा। भ्रमण करने वालों को अच्छी फीलिंग होगी ऐसी व्यवस्था कर दी जायेगी कि एक ही टिकट पर टूरिस्ट पटना म्यूजियम और बिहार संग्रहालय का भ्रमण कर सकें। तीन साल के अंदर यह काम पूरा होना है। हम तो चाहेंगे कि यह काम जल्द से जल्द पूरा हो। पटना म्यूजियम में खुदाई का काम शुरु किया गया है जिसके दो-तीन लेयर की खुदाई में तीसरी और चौथी शताब्दी के कई अवशेष मिले हैं। हमलोगों की इच्छा है कि इतिहास को लोग जानें, सिर्फ बिहार ही नहीं देश का इतिहास यहां से जुड़ा हुआ है। यहां के पौराणिक चीजों को लोग आकर म्यूजियम में देखेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार संग्रहालय के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष कार्यक्रम का आयोजन किया जाय।
इस बार स्थापना दिवस के अवसर पर दो माह तक कार्यकम चलेगा यह काफी अच्छी बात है। यहाँ की मूर्तियों को अन्य जगहों पर नही ले जाया जाए ताकि वे पूरी तरह से सुरक्षित रहे। उन्होंने कहा कि हम आग्रह करेंगे कि 2 अक्टूबर को बापू के जन्मदिन पर भी जरुर कुछ कार्यक्रम आयोजित कराइये। उस दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने एवं संग्रहालय भ्रमण करने की व्यवस्था निःशुल्क रखें ताकि अधिक से अधिक लोग यहाँ प्रदर्शित धरोहरों को देख और अपने विरासत को समझ सकें। हमने इंटरनेशनल म्यूजियम बनवाया है। दुनिया भर में जो इंटरनेशनल म्यूजियम हैं वहां प्रदर्शित चीजों के नीचे उसके विषय में विस्तृत जानकारी का उल्लेख किया गया है इसलिए यहाँ भी रखे गये सभी धरोहरों के बारे में विस्तारपूर्वक स्पष्ट शब्दों में जरुर लिखवा दें ताकि देखने वाले लोग आसानी से समझ सकें।
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के इस म्यूजियम में एक-एक चीज का मेंटेनेंस भी बेहतर तरीके से होना चाहिए। बिहार संग्रहालय के साथ-साथ पटना म्यूजियम का मेंटेनेंस भी ठीक ढंग से हो, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इस काम को बेहतर तरीके से आगे बढ़ाइए। संबोधन के पश्चात् मुख्यमंत्री ने 'देवी एवं महिला पर आधारित प्रदर्शनी का फीता काटकर शुभारंभ कर प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में 8वीं से 14वीं शताब्दी के प्रस्तर कला से संबंधित मूर्तियाँ, टेराकोटा, कांस्य, 18वीं शताब्दी के पर्सियन स्कूल, 18वीं शताब्दी के मुगल स्कूल, 17 से 21 शताब्दी से जुड़ी चित्रकलाएं, 1962 से 2017 तक के समकालीन कला से संबंधित सामग्रियां प्रदर्शित की गयी है।