"नई जिम्मेदारी, नई उम्मीद: ट्रैफिक थानाध्यक्ष बने चंद्रोदय प्रकाश – क्या निभा पाएंगे ईमानदारी की कसौटी पर खरा उतरने का वादा?"
कभी-कभी प्रशासनिक तबादले महज कागज़ी फेरबदल नहीं होते, वे किसी शहर के भविष्य की दिशा तय करने वाले निर्णायक क्षण होते हैं। दरभंगा की ट्रैफिक व्यवस्था को एक नई साँस देने की आशा में जब एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने साइबर थाना में पदस्थापित इंस्पेक्टर चंद्रोदय प्रकाश को ट्रैफिक थाना का नया प्रभारी नियुक्त किया, तो यह बदलाव सिर्फ नामों का नहीं था—यह व्यवस्था में उम्मीद और विश्वास की पुनर्स्थापना की कोशिश भी थी. पढ़े पुरी खबर.........

दरभंगा। मिथिला जन जन की आवाज संवाददाता मनीष कुमार की विशेष रिपोर्ट: कभी-कभी प्रशासनिक तबादले महज कागज़ी फेरबदल नहीं होते, वे किसी शहर के भविष्य की दिशा तय करने वाले निर्णायक क्षण होते हैं। दरभंगा की ट्रैफिक व्यवस्था को एक नई साँस देने की आशा में जब एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी ने साइबर थाना में पदस्थापित इंस्पेक्टर चंद्रोदय प्रकाश को ट्रैफिक थाना का नया प्रभारी नियुक्त किया, तो यह बदलाव सिर्फ नामों का नहीं था—यह व्यवस्था में उम्मीद और विश्वास की पुनर्स्थापना की कोशिश भी थी।
ADVERTISEMENT
नया चेहरा, पुराना सवाल: क्या बदलेगी ट्रैफिक की तस्वीर: दरभंगा की सड़कें पिछले कुछ वर्षों से अव्यवस्था और अनदेखी की शिकार रही हैं। ट्रैफिक सिग्नल या तो शोपीस बन चुके हैं या फिर नियमों की धज्जियाँ उड़ाते वाहनों के आगे लाचार। ऐसे में चंद्रोदय प्रकाश की नियुक्ति एक नए अध्याय की शुरुआत की तरह देखी जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या वह उस कुर्सी को वह गरिमा दे पाएंगे, जिसकी दरभंगा की जनता को वर्षों से प्रतीक्षा रही है?
ADVERTISEMENT
साफ-सुथरी छवि, पर असली परीक्षा अब शुरू: चंद्रोदय प्रकाश की छवि एक मेहनती और सुलझे हुए अधिकारी की रही है। साइबर थाना में उनकी तैनाती के दौरान उनकी कार्यशैली सधी हुई और तकनीकी समझ से परिपूर्ण रही है। लेकिन ट्रैफिक थाना की चुनौती बिलकुल अलग है—यहाँ न सिर्फ कानून का पालन कराना है, बल्कि एक बेढंगी व्यवस्था को सुधारना है, जो वर्षों से ढीलापन, भ्रष्टाचार और मनमानी की गिरफ्त में रही है।
ADVERTISEMENT
निलंबनों की पृष्ठभूमि में एक नई शुरुआत: ट्रैफिक थाना प्रभारी कुमार गौरव और दारोगा शशिभूषण रजक के निलंबन ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब "ऊपर से नीचे तक" जिम्मेदारी तय की जाएगी। यही वह पृष्ठभूमि है जिसमें चंद्रोदय प्रकाश को यह नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे समय में जब व्यवस्था की नींव हिल चुकी है, एक नया ईंट जोड़ना आसान नहीं होता—लेकिन जरूरी होता है।
ADVERTISEMENT
ईमानदारी—शब्द नहीं, चुनौती है अब: ईमानदारी अब एक घोषणापत्र नहीं, बल्कि एक कसौटी है। जनता अब शब्दों से नहीं, परिणामों से भरोसा करती है। चंद्रोदय प्रकाश के लिए यह अवसर है खुद को साबित करने का यह दिखाने का कि एक अधिकारी चाहे तो कैसे दरभंगा जैसे संवेदनशील शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को अनुशासित, तकनीकी और जनता के अनुकूल बना सकता है।
ADVERTISEMENT
जनता की अपेक्षाएं—न सिफारिश, न तुष्टिकरण, सिर्फ न्यायपूर्ण कार्यवाही: आम नागरिकों की सबसे बड़ी अपेक्षा यही है कि नियम सबके लिए एक समान हों—फिर चाहे वह कोई रसूखदार नेता हो या सड़क किनारे सब्ज़ी बेचने वाला। हेलमेट चेकिंग हो या नो-पार्किंग ज़ोन, कार्रवाई निष्पक्ष और नियमित होनी चाहिए। चंद्रोदय प्रकाश को अब “माफिया ट्रैफिक सर्कल” में व्यवस्था की लकीर खींचनी होगी—बिना झुके, बिना रुके।
ADVERTISEMENT
सिस्टम नहीं बदले तो बदलाव बेमानी: ट्रैफिक थानाध्यक्ष को केवल चालान काटना ही नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक और संवेदनशील ट्रैफिक नीति पर भी काम करना होगा। अवैध पार्किंग, जाम, ऑटो रिक्शा की मनमानी, सड़कों पर अतिक्रमण—ये सब ऐसी समस्याएं हैं जो अकेले आदेशों से नहीं सुलझतीं। इसके लिए ज़मीनी समझ, प्रशासनिक समन्वय और स्थानीय सहयोग की आवश्यकता होगी।
ADVERTISEMENT
आखिरी पंक्ति नहीं, शुरुआत की पहली लकीर: चंद्रोदय प्रकाश के सामने अब जो पथ है, वह कांटों से भरा है, लेकिन अगर उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति और निष्ठा के साथ काम किया, तो वे दरभंगा की ट्रैफिक व्यवस्था में वह परिवर्तन ला सकते हैं, जिसकी जरूरत अब तक केवल बैठकों में चर्चा बनकर रह गई थी। दरभंगा की जनता अब देख रही है—उनकी आँखों में संशय कम, पर उम्मीद ज़्यादा है। चंद्रोदय प्रकाश इस विश्वास को यदि निभा ले गए, तो वे महज़ एक थाना प्रभारी नहीं रहेंगे, बल्कि व्यवस्था में विश्वास बहाल करने वाले अधिकारी बन जाएंगे।