बड़ी खबर: विधानसभा चुनाव की आहट के बीच दरभंगा पुलिस में प्रशासनिक पलटवार विपिन बिहारी को मिला साइबर थाना, प्रकाश कुमार को सौंपी गई ट्रैफिक व्यवस्था की बागडोर
राज्य सरकार द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किए गए बड़े प्रशासनिक फेरबदल की आंच अब मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा तक आ पहुँची है। एक ही झटके में 55 डीएसपी स्तर के अधिकारियों का स्थानांतरण हुआ है, जिनमें दरभंगा को मिले हैं दो नए अफसर एक तकनीक की दुनिया के प्रहरी और दूसरा यातायात की नब्ज़ पकड़ने वाला संयमी सेनापति. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा: राज्य सरकार द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किए गए बड़े प्रशासनिक फेरबदल की आंच अब मिथिला की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा तक आ पहुँची है। एक ही झटके में 55 डीएसपी स्तर के अधिकारियों का स्थानांतरण हुआ है, जिनमें दरभंगा को मिले हैं दो नए अफसर एक तकनीक की दुनिया के प्रहरी और दूसरा यातायात की नब्ज़ पकड़ने वाला संयमी सेनापति।
पहली तस्वीर: तकनीक के खिलाफ युद्ध के योद्धा बने विपिन बिहारी: फोटो में सामने दिख रहे हैं विपिन बिहारी सधे हुए, सधे कंधे और माथे पर जिम्मेदारी की गूंज लिए एक चुप्पा योद्धा। उन्हें दरभंगा के साइबर थाना डीएसपी के रूप में पदस्थापित किया गया है। विपिन बिहारी इससे पहले बांका जिला में डीएसपी पद पर थे, जहां उन्होंने अपराध नियंत्रण से लेकर कानून व्यवस्था की जमीनी परतों में पैठ बनाई थी। अब वे दरभंगा में उस साइबर अपराध की कमान थामेंगे, जो अदृश्य हथियारों से हमला करता है मोबाइल, लैपटॉप और इंटरनेट की स्क्रीन के पीछे छिपे अपराधियों से। बिहार के बदलते आपराधिक परिदृश्य में साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। ठगी, ब्लैकमेलिंग, डिजिटल धोखाधड़ी से लेकर फेसबुक-व्हाट्सएप आधारित आपराधिक जाल दरभंगा को भी अपनी गिरफ्त में ले चुका है। ऐसे में विपिन बिहारी का आगमन एक उम्मीद है तकनीक के खिलाफ तकनीक के जरिए न्याय की मशाल जलाने की।
दूसरी तस्वीर: शहर की धमनियों को unclog करने उतरे ट्रैफिक डीएसपी प्रकाश कुमार: दूसरी छवि में हैं प्रकाश कुमार, अब दरभंगा के ट्रैफिक डीएसपी। उनके चेहरे पर स्पष्टता, आंखों में लक्ष्य और पोशाक में अनुशासन की परछाईं है। पूर्व में गया जिले के नीमचक बथानी में तैनात रहे प्रकाश कुमार को शहर की बिगड़ती ट्रैफिक व्यवस्था की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। दरभंगा, जो कभी हवेली, गाछी, तालाब और चौड़ी सड़कों के लिए जाना जाता था, अब ट्रैफिक जाम, अतिक्रमण और अव्यवस्था का पर्याय बन चुका है। घंटों घंटा पुल, टावर चौक, लहेरियासराय, स्टेशन रोड जैसी प्रमुख सड़कों पर फंसी एंबुलेंस, स्कूल वैन और मरीजों की सांसें सरकार के ज़मीर को झकझोरती रही हैं। प्रकाश कुमार के आने से उम्मीद है कि दरभंगा को उसकी सांसें लौटेंगी चौक-चौराहे फिर से चलेंगे, हॉर्न की चीखें थमेंगी, और यातायात की नब्ज़ नियंत्रित होगी।
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राहुल कुमार का शांत विदा एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण अध्याय का अंत: गौरतलब है कि साइबर और ट्रैफिक दोनों पदों का दायित्व अब तक डीएसपी राहुल कुमार संभाल रहे थे। उनका तबादला पटना स्थित मध्य निषेध इकाई में कर दिया गया है। हालांकि उनका कार्यकाल दरभंगा में बहुत छोटा रहा, लेकिन सीमित संसाधनों में भी उन्होंने कई साइबर फ्रॉड मामलों की तह तक जाकर गिरोहों की पहचान की और कुछ में गिरफ्तारी भी सुनिश्चित करवाई।
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दरभंगा के नागरिकों की ओर से नए दोनों अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे ‘शब्दों के नहीं, कर्म के अफसर’ बनें। चाहे वह डिजिटल अपराध हो या ज़मीनी जाम, अब कोई भी बहाना स्वीकार्य नहीं होगा।
सवाल यही है:-
क्या विपिन बिहारी साइबर अपराधियों के डिजिटल तिलिस्म को तोड़ पाएंगे?
क्या प्रकाश कुमार ट्रैफिक व्यवस्था के अराजक जाल को खोल पाएंगे?
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स्थानांतरण सिर्फ कुर्सियों का बदलाव नहीं होता, ये ज़िम्मेदारी का पुनर्जन्म होता है। दरभंगा को अब दृढ़ नेतृत्व और दूरदृष्टि की जरूरत है ताकि साइबर अपराधियों को डिजिटल सलाखों में और ट्रैफिक की अव्यवस्था को अनुशासन की पटरी पर लाया जा सके।