दरभंगा के रामबाग में सृष्टि फाऊंडेशन ने मनाया 17वाँ स्थापना दिवस

सृष्टि फाऊंडेशन ने शुक्रवार को 17वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ अतिथियों ने समवेत रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. पढ़े पूरी खबर....

दरभंगा के रामबाग में सृष्टि फाऊंडेशन ने मनाया 17वाँ स्थापना दिवस

दरभंगा: सृष्टि फाऊंडेशन ने शुक्रवार को 17वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ अतिथियों ने समवेत रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस खास मौके पर संस्थान की ओर से अपने अपने क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

जिसमें शास्त्र चूड़ामणि विद्वान डॉ.मित्रनाथ झा, डॉ.सत्येंद्र झा, सुष्मिता झा, प्रकाश बंधु, अतुल नरेंद्र, मोहन मुरारी, रूपेश गुप्ता, मनीष खण्डेलवाल, नॉर्थ बिहार हाल्टीकल्चर सोसाइटी परिवार, डॉ.आर.बी.खेतान, किरण बुबना, शिवम शेखर, मो.नसीम को सृष्टि संस्था की ओर से सम्मानित किया गया । इस अवसर पर आयोजित भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम में फाउंडेशन की छात्रा टिया रानी, विद्या कुमारी, श्रेया झा, निशा सिंह, संवेदना कुमारी, सुकृति कुमारी, धांवी जैन, कुमुद शर्मा ने सावन माह में भगवान शिव के कई रूपों का वर्णन ओडिसी नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।

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इससे पूर्व मुख्य अतिथि नॉर्थ बिहार हाल्टीकल्चर सोसाइटी के डा आर बी खेतान ने अपने संबोधन में कहा कि मिथिला की गौरवशाली संस्कृति में प्राचीन काल से ही साहित्य, संगीत और नृत्य का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। सृष्टि फाऊंडेशन ने परंपरा की उस गरिमा को बढ़ाने का काम किया है। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में राघवेंद्र मिश्र ने कहा कि बिना गुण के मानव और जानवर में कोई अंतर नही होता। कला और शिक्षा से ही मानव और प्राणियों से भिन्न है। कला की साधना से मन, कर्म और विचार शुद्ध होता है। उन्होने संस्था के उपलब्धियों की चर्चा करते हुए अग्रिम उपलब्धियों की शुभकामनाएं दीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शास्त्रचूड़ामणि विद्वान डॉ.मित्रनाथ झा ने देवाधिदेव महादेव द्वारा नृत्य के समापन पर बजाए गए डमरू से निःसृत 14 सूत्रों से नाट्य की उत्पति तथा इसके उत्तरोत्तर विकास में आचार्य भरत के नाट्य शास्त्र की महती भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही विगत 17 वर्षों में न केवल दरभंगा बल्कि बिहार कोने कोने में शास्त्रीय नृत्य ओड़िशी की एक अलग पहचान बनाते हुए गुरू जय प्रकाश पाठक ने कई मायनों में अपने को इतिहास पुरुष के रुप में स्थापित किया है।

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जयप्रकाश पाठक ने सृष्टि फाउंडेशन की 17 वर्ष की यात्रा की कहानी विस्तार से साझा की। वहीं कार्यक्रम के अंतिम चरण में सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दे कर प्रोत्साहित किया गया। उज्जवल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में सृष्टि की सुदीर्घ यात्रा एवं इसकी ऐतिहासिक सफलता को देखते हुए इसे शीघ्र ही नाट्यकला से संबद्ध विश्वविद्यालय के रुप में स्थापित किए जाने की मंगलकामना की। इस मौके पर डा जयशंकर झा, प्रवीण कुमार झा, मून अग्रवाल, मो. शमसाद, प्रवीण प्रियदर्शी, पूजा कुमारी, अंजू सिंह, रूना मिश्रा सहित सभी छात्र और उनके अभिभावक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सुष्मिता झा ने बखूबी किया।