दरभंगा में अपराध के खिलाफ बड़ा एक्शन: कोर्ट ने 11 अभियुक्तों को दी कठोर सजा, पढ़िए कौन-कहां-कैसे गिरा!

जब देश की लोकतांत्रिक आत्मा अपनी असली चेतना में जागती है, तो न्यायालयों की कुर्सियों से निकलती हर सजा की ध्वनि एक सम्पूर्ण समाज के लिए आस्था का उजाला बन जाती है। दरभंगा एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी मई 2025 के महीने में कानून की देवी के उस रूप को देख सका, जहाँ जुर्म के हर चेहरे को आईना दिखाया गया। हत्या, महिला उत्पीड़न, अपहरण, बलात्कार, बाल यौन शोषण, अवैध हथियार इन अपराधों की स्याह परतों को न्याय के प्रकाश ने चीर दिया. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा में अपराध के खिलाफ बड़ा एक्शन: कोर्ट ने 11 अभियुक्तों को दी कठोर सजा, पढ़िए कौन-कहां-कैसे गिरा!
दरभंगा में अपराध के खिलाफ बड़ा एक्शन: कोर्ट ने 11 अभियुक्तों को दी कठोर सजा, पढ़िए कौन-कहां-कैसे गिरा!

दरभंगा:- जब देश की लोकतांत्रिक आत्मा अपनी असली चेतना में जागती है, तो न्यायालयों की कुर्सियों से निकलती हर सजा की ध्वनि एक सम्पूर्ण समाज के लिए आस्था का उजाला बन जाती है। दरभंगा एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी मई 2025 के महीने में कानून की देवी के उस रूप को देख सका, जहाँ जुर्म के हर चेहरे को आईना दिखाया गया। हत्या, महिला उत्पीड़न, अपहरण, बलात्कार, बाल यौन शोषण, अवैध हथियार इन अपराधों की स्याह परतों को न्याय के प्रकाश ने चीर दिया। दरभंगा जिला न्यायालय और अभियोजन विभाग ने जिस तत्परता और सख़्ती से काम किया, वह अपने आप में एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ बन चुका है।

                                ADVERTISEMENT

1. हत्या का इंसाफ: बहादुरपुर की सर्द साँझ और आजीवन कारावास की तपिश: 01 केस संख्या ST-130/21, थाना बहादुरपुर, धारा 302 IPC। अभियोजन अधिकारी: ADG-III DBG, APP रेनू झा। एक शाम, जब बहादुरपुर का वायुदेव मुजफ्फर की हत्या की गंध से कलुषित हो उठा था, तभी शुरू हुई वह न्यायिक यात्रा, जो अंततः 01 मई 2025 को आजीवन कारावास और ₹10,000 जुर्माने की सजा के रूप में समाप्त हुई। पीड़ित की चिता की राख में न्याय का बीज बोया गया था, और अब वह वृक्ष बनकर दरभंगा के नागरिकों को सुरक्षा की छाया देने लगा है।

                                ADVERTISEMENT

2. जाले की चौराहे से चलकर कोर्ट तक पहुँची न्याय की परछाई: केस संख्या 40/22, थाना जाले, धारा 302/323/341/504 IPC। अभियोजन अधिकारी: APP विजय नारायण सिंह। भाजपा नेता के घर के बाहर से शुरू हुई यह घटना हत्या के अपराध और मारपीट की पराकाष्ठा थी। 3 अभियुक्तों को सख्त अदालती प्रक्रिया के बाद आजीवन कारावास, ₹25,000 जुर्माना और अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई। 01 मई 2025 को जब यह सजा सुनाई गई, तो यह एक सन्देश था कि राजनीतिक रसूख भी कानून की सुई से नहीं बच सकता।

                                  ADVERTISEMENT

3. महिला अपराधों पर नारी न्याय की सर्जना: केस संख्या 43/20, महिला थाना, धारा 354, 452, 506 IPC, POSCO एक्ट 62/20। अभियोजन: विशेष लोक अभियोजक। यह मामला सिर्फ छेड़खानी या घर में जबरन घुसने का नहीं था, यह मिथिला की बेटी के स्वाभिमान का मामला था। 5 मई को 3 साल तक की सजा और जुर्माने के साथ-साथ POSCO एक्ट के तहत कठोर सजा दी गई। यह निर्णय उस सोच को चुनौती देता है जो महिलाओं को अब भी वस्तु मानती है।

                               ADVERTISEMENT

4. बालिका की अस्मिता पर हमला, न्याय की कठोर लाठी: केस संख्या 86/18, महिला थाना, धारा 376, 506 IPC, POSCO एक्ट। अभियोजन: विशेष लोक अभियोजक। पीड़िता एक नाबालिग थी। बलात्कारी उसका निकट परिचित था। 15 मई को कोर्ट ने प्रत्येक अभियुक्त को 20-20 वर्ष का कारावास और ₹25,000 जुर्माना दिया। यह फैसला सिर्फ कानून का नहीं, सामाजिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।

                                 ADVERTISEMENT

5. मंदिर की दीवारों से टकराती न्याय की पुकार: केस संख्या 53/2019, थाना बहेरा, धारा 366, 370, 376 IPC। अभियोजन: विशेष लोक अभियोजक। संतलाल मंडल उर्फ संतोष मंडल ने जिस मासूम को मंदिर परिसर से अगवा किया, आज वह मंदिर का देवता भी न्याय की गवाही देता है। 27 मई को कोर्ट ने 3 वर्ष की सश्रम सजा और ₹10,000 जुर्माना सुनाया।

                                 ADVERTISEMENT

6: आर्म्स एक्ट और कानून की लाठी: कोतवाली थाना कांड संख्या 24/28, IPC 411, आर्म्स एक्ट 26/35। अभियोजन: APP प्रभात रंजन सिंह। सुधीर कुमार और गोविंद कुमार नामक अभियुक्तों ने अवैध हथियार से शांति भंग करने का दुस्साहस किया था। 28 मई को 2 वर्ष की सश्रम सजा और ₹2,000 जुर्माना सुनाया गया। एक माह की अतिरिक्त कारावास की चेतावनी ने यह स्पष्ट किया कि दरभंगा अब अपराधियों के लिए शरणगाह नहीं।

                                ADVERTISEMENT

सजाओं का संदेश और समाज का पुनर्गठन: दरभंगा पुलिस द्वारा जारी इस प्रेस विज्ञप्ति ने साफ किया है कि मई 2025 में कुल 11 अभियुक्तों को सख़्त सज़ा सुनाई गई। यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, यह बदलते समाज की गवाही है। हर फैसला, हर सजा उस तंत्र की पुकार है जो कहता है 'दोषियों को छोड़ना पाप है, पर निर्दोष को दंड देना उससे भी बड़ा पाप है।' न्याय की इन सख़्त लकीरों में दरभंगा की आत्मा अब सांस ले रही है। जनता को भी अब अपनी भूमिका निभानी होगी सजग नागरिक, सशक्त समाज, और एक ऐसी पीढ़ी जो कानून से नहीं, न्याय से प्रेम करे।