दरभंगा में न्याय और पुलिस प्रशासन की साझा पहल प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिव गोपाल मिश्र की अध्यक्षता में एसडीपीओ-थानाध्यक्षों संग गूंजे मध्यस्थता अभियान और राष्ट्रीय लोक अदालत की सफलता के संकल्पित स्वर, सुलह-समझौते के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का ठाना
न्याय की गंभीर गलियारों में आज एक अलग ही संजीदगी का आलोक पसरा था। जिला मुख्यालय स्थित एक भव्य बैठक कक्ष में, जहां लकड़ी की विशाल मेज के चारों ओर अनुशासित पंक्तियों में बैठे वर्दीधारी अधिकारी अपनी डायरियों और कलमों के साथ तैयार थे, वहां न्याय और पुलिस प्रशासन का संगम एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए हो रहा था मध्यस्थता अभियान एवं राष्ट्रीय लोक अदालत को सफलता की मंज़िल तक पहुंचाना। इस ऐतिहासिक बैठक की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री शिव गोपाल मिश्र कर रहे थे. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा, 12 अगस्त 2025: न्याय की गंभीर गलियारों में आज एक अलग ही संजीदगी का आलोक पसरा था। जिला मुख्यालय स्थित एक भव्य बैठक कक्ष में, जहां लकड़ी की विशाल मेज के चारों ओर अनुशासित पंक्तियों में बैठे वर्दीधारी अधिकारी अपनी डायरियों और कलमों के साथ तैयार थे, वहां न्याय और पुलिस प्रशासन का संगम एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए हो रहा था मध्यस्थता अभियान एवं राष्ट्रीय लोक अदालत को सफलता की मंज़िल तक पहुंचाना। इस ऐतिहासिक बैठक की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री शिव गोपाल मिश्र कर रहे थे, जिनकी वाणी में न केवल कानून की ठोस समझ थी, बल्कि समाज में सौहार्द और समझौते की संस्कृति को स्थापित करने का अडिग संकल्प भी झलक रहा था। उनके सामने दरभंगा जिले के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (SDPO) और थानाध्यक्ष आदरपूर्वक बैठे थे, मानो किसी युद्धनीति की बारीकियों को आत्मसात करने के लिए तत्पर योद्धा हों।
श्री मिश्र ने अपने स्पष्ट और दृढ़ शब्दों में कहा: मध्यस्थता अभियान और राष्ट्रीय लोक अदालत, दोनों का उद्देश्य केवल मामलों का निपटारा नहीं है, बल्कि उन मनों को जोड़ना है जो विवाद और कटुता के बोझ तले दबे हुए हैं। हम पक्षकारों को नोटिस जारी कर रहे हैं ताकि वे यह जान सकें कि उनका मामला सुलह और समझौते के माध्यम से समाप्त किया जा सकता है। इस नोटिस का समय पर, सही हाथों में पहुंचना ही इस अभियान की सफलता की गारंटी है। उन्होंने विशेष निर्देश देते हुए एसडीपीओ से कहा कि इस पूरी प्रक्रिया की व्यक्तिगत निगरानी सुनिश्चित की जाए। यह मात्र एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि न्याय और मानवीय रिश्तों के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है।
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बैठक में मौजूद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री जुनैद आलम ने अपने वक्तव्य में एक महत्वपूर्ण बिंदु रखा “नोटिस तामिल करने वाले कर्मियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें केवल नोटिस थमाकर लौट नहीं जाना चाहिए, बल्कि यह भी बताना चाहिए कि यह नोटिस सुलह और समझौता कराने के लिए है। जब तक पक्षकार इस उद्देश्य को नहीं समझेंगे, तब तक उनके मन में संदेह और अनिश्चितता बनी रहेगी।” इस बिंदु ने बैठक कक्ष का वातावरण और गंभीर बना दिया, क्योंकि यहां केवल प्रक्रिया की बात नहीं थी, बल्कि मानवीय संवाद और विश्वास बहाली की बात थी।
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इसके बाद जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव आरती कुमारी ने बैठक में विस्तार से जानकारी दी दरभंगा सदर के साथ-साथ बेनीपुर एवं बिरौल न्यायालयों द्वारा भी नोटिस जारी किए जा रहे हैं। हमारी यह कोशिश है कि हर नोटिस समय पर और सही तरीके से पक्षकारों तक पहुंचे। नोटिस तामिल के बाद उसकी रिपोर्ट संबंधित न्यायालय या विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि राष्ट्रीय लोक अदालत 13 सितंबर 2025 को आयोजित होगी, जबकि मध्यस्थता की कार्यवाही प्रतिदिन चल रही है और यह विशेष अभियान 30 सितंबर 2025 को समाप्त होगा।
बैठक में मौजूद सभी पुलिस अधिकारी चाहे वे वर्दी में कठोर अनुशासन के प्रतीक लगते हों, या किसी स्टेशन की दिन-रात की चुनौतियों से जूझते हों सबके चेहरे पर एक समान गंभीरता थी। उनकी निगाहें स्पष्ट रूप से बता रही थीं कि वे इस निर्देश को महज़ कागज़ी आदेश न मानकर, अपनी जिम्मेदारी का हिस्सा बनाएंगे। बैठक कक्ष की दीवार पर लगे सीसीटीवी मॉनिटर मानो इस अभियान के भविष्य की गवाही दे रहे थे कि न्याय का यह प्रयास हर कोने तक पहुंचना चाहिए, चाहे वह शहर की भीड़ हो या गांव का सन्नाटा। मेज़ पर रखे कागज़, फाइलें, और पानी के गिलास, सब इस बात के मूक गवाह थे कि न्याय केवल अदालती आदेशों में नहीं, बल्कि बैठक की ऐसी गहन चर्चाओं में भी जन्म लेता है।
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यह बैठक सिर्फ़ एक औपचारिकता नहीं थी यह एक संकल्प सभा थी, जिसमें न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, विधिक सेवा प्राधिकार और पुलिस प्रशासन, सब एक स्वर में कह रहे थे कि विवाद का अंत अदालत के भारी-भरकम फैसलों से नहीं, बल्कि आपसी संवाद और समझौते से भी हो सकता है। और यही है मध्यस्थता की आत्मा। आने वाले सप्ताहों में यह अभियान अपने परिणाम देगा। शायद कोई परिवार टूटने से बच जाएगा, शायद किसी का वर्षों पुराना विवाद खत्म हो जाएगा, और शायद कई लोग यह महसूस करेंगे कि न्याय, केवल सजा देने का नाम नहीं, बल्कि टूटे रिश्तों को जोड़ने का भी नाम है।
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इस बैठक में उपस्थित नाम, जो इस प्रयास के अग्रदूत हैं:
शिव गोपाल मिश्र, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश
श्री जुनैद आलम, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
सुश्री आरती कुमारी, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार
दरभंगा जिले के सभी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी व सभी थानाध्यक्ष
और इनके साथ उपस्थित वह अदृश्य भावना न्याय को केवल कानूनी प्रक्रिया से नहीं, बल्कि संवेदनशील संवाद और मानवीय दृष्टिकोण से जीवित रखने की भावना जो दरभंगा के न्यायिक और पुलिस इतिहास में इस बैठक को एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना देती है।