कुलपति पर छात्रों का गुस्सा: LNMU में प्रवेश परीक्षा की मांग को लेकर तीखा विरोध, धरना समाप्त पर असंतोष बरकरार

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) के सी.एम. लॉ कॉलेज में प्रवेश परीक्षा के आधार पर नामांकन की मांग को लेकर आज छात्र नेताओं और कुलपति के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया। सुबह से शुरू हुआ यह घटनाक्रम उस समय भावुक और उग्र हो उठा जब छात्र नेताओं को पता चला कि कुलपति अपने कार्यालय में मौजूद नहीं हैं और अपने आवास से सारे कार्य संचालित कर रहे हैं। इस स्थिति ने छात्रों के सब्र का बाँध तोड़ दिया, जिसके बाद वे कुलपति के आवास पर पहुँचे और वहाँ जमकर नारेबाजी की. पढ़े पुरी खबर.......

कुलपति पर छात्रों का गुस्सा: LNMU में प्रवेश परीक्षा की मांग को लेकर तीखा विरोध, धरना समाप्त पर असंतोष बरकरार
कुलपति पर छात्रों का गुस्सा: LNMU में प्रवेश परीक्षा की मांग को लेकर तीखा विरोध, धरना समाप्त पर असंतोष बरकरार; फोटो: मिथिला जन जन की आवाज़

दरभंगा: ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) के सी.एम. लॉ कॉलेज में प्रवेश परीक्षा के आधार पर नामांकन की मांग को लेकर आज छात्र नेताओं और कुलपति के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया। सुबह से शुरू हुआ यह घटनाक्रम उस समय भावुक और उग्र हो उठा जब छात्र नेताओं को पता चला कि कुलपति अपने कार्यालय में मौजूद नहीं हैं और अपने आवास से सारे कार्य संचालित कर रहे हैं। इस स्थिति ने छात्रों के सब्र का बाँध तोड़ दिया, जिसके बाद वे कुलपति के आवास पर पहुँचे और वहाँ जमकर नारेबाजी की।

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घटना का पूरा वृत्तांत: सुबह करीब 10 बजे विभिन्न छात्र संगठनों के नेता, जिनमें राहुल राज, दीपक झा, प्रियंका झा, साई कुमार निरुपम, कुणाल पांडेय, अंकित कुमार और छात्र राजद विश्वविद्यालय प्रभारी पीयूष यादव शामिल थे, कुलपति से मिलने के लिए पूर्व निर्धारित समय पर उनके कार्यालय पहुँचे। छात्रों की मांग थी कि सी.एम. लॉ कॉलेज में नामांकन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया जाए। लेकिन वहाँ पहुँचने पर उन्हें पता चला कि कुलपति कार्यालय में नहीं हैं और अपने आवास से काम कर रहे हैं। यह खबर सुनते ही छात्रों में आक्रोश फैल गया।

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छात्र नेताओं ने तुरंत कुलपति के आवास का रुख किया, जहाँ उन्हें बताया गया कि कुलपति अपने "निजी कार्यों" में व्यस्त हैं और उनसे मिलना संभव नहीं है। जब छात्रों ने सवाल उठाया कि क्या कुलपति छुट्टी पर हैं, तो स्टाफ ने जवाब दिया कि वे छुट्टी पर नहीं हैं, लेकिन निजी व्यस्तताओं के कारण उपलब्ध नहीं हो सकते। इस जवाब ने छात्रों के गुस्से को और भड़का दिया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ "खास लोगों" को बिना किसी कारण के कुलपति के आवास में प्रवेश की अनुमति दी गई, जबकि छात्र नेताओं को बाहर इंतज़ार करने को कहा गया।

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कुलपति पर बरसे छात्र: "यह अन्याय बर्दाश्त नहीं" छात्र नेता राहुल राज ने कुलपति पर जमकर हमला बोला। भावुक होते हुए उन्होंने कहा, "हम यहाँ अपनी माँगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से आए थे, लेकिन कुलपति का यह रवैया छात्रों के साथ विश्वासघात है। क्या हमारा हक माँगना अपराध है? वे कार्यालय में रहने की बजाय आवास से काम कर रहे हैं और हमें जवाब तक नहीं दे रहे। यह लोकतंत्र की हत्या है।" दीपक झा ने भी गुस्से में कहा, "कुलपति को लगता है कि वे राजा हैं और हम प्रजा। हमारी माँगें जायज़ हैं, लेकिन उनकी अनदेखी असहनीय है।"

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प्रियंका झा ने आँसुओं के साथ अपनी बात रखी, "हम रात-दिन पढ़ाई करते हैं, मेहनत करते हैं, लेकिन जब हक की बात आती है तो हमें दर-दर भटकना पड़ता है। क्या यही शिक्षा का मंदिर है?" उनकी यह भावुक अपील वहाँ मौजूद छात्रों के बीच गहरी संवेदना पैदा कर गई।

                              

धरने पर बैठे छात्र, शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन: कुलपति से मिलने में असफल रहने के बाद छात्रों ने तत्काल कुलपति कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा कर दी। नारेबाजी करते हुए उन्होंने माँग की कि कुलपति कार्यालय में रहकर सभी कार्यों का निष्पादन करें और उनकी माँगों पर तुरंत कार्रवाई करें। "कुलपति जवाब दो, छात्रों का हक दो" और "प्रवेश परीक्षा लागू करो" जैसे नारे गूँजने लगे। धरने में दर्जनों छात्र-छात्राएँ शामिल हुए, जिनमें से कई अपने भविष्य को लेकर चिंतित और भावुक दिखे।

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वार्ता विफल, फिर आश्वासन पर धरना समाप्त: करीब दो घंटे के धरने के बाद कुलसचिव अजय पंडित और डिप्टी प्रॉक्टर कामेश्वर पासवान छात्रों से बातचीत करने पहुँचे। लेकिन उनकी ओर से कोई ठोस जवाब न मिलने पर वार्ता विफल हो गई। छात्रों का कहना था कि वे खोखले वादों से थक चुके हैं। इसके बाद दूसरी बार प्रॉक्टर अनुरंजन झा और डिप्टी प्रॉक्टर कामेश्वर पासवान ने छात्रों से मुलाकात की और लिखित आश्वासन दिया कि उनकी माँगों पर विचार किया जाएगा और जल्द ही उचित कदम उठाए जाएँगे। इस आश्वासन के बाद छात्रों ने धरना समाप्त कर दिया, लेकिन उनका असंतोष अभी भी साफ झलक रहा था।

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छात्रों का आरोप: "कुलपति की मनमानी चरम पर" छात्र नेता राहुल राज ने धरना समाप्त होने के बाद कहा, "यह जीत नहीं, सिर्फ एक पड़ाव है। कुलपति की मनमानी और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हमारी माँगें पूरी न हुईं तो फिर से सड़कों पर उतरेंगे।" वहीं, पीयूष यादव ने चेतावनी दी, "अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमारी बात नहीं मानी, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप लेगा।"

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भावुक माहौल और आगे की राह: यह पूरा घटनाक्रम छात्रों के बीच गहरे असंतोष और भावुकता को दर्शाता है। कई छात्र-छात्राएँ अपनी माँगों को लेकर आँसुओं में डूबे नज़र आए, तो कुछ ने प्रशासन के खिलाफ़ अपनी भड़ास निकाली। यह घटना LNMU में प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता की कमी को उजागर करती है। छात्रों का कहना है कि वे अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे, और यह धरना सिर्फ शुरुआत है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की माँगों को गंभीरता से लेगा, या यह विवाद और गहरा होगा।