इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह के अवकाश ग्रहण पर दी गई समारोह पूर्वक विदाई
विश्व का सबसे बड़ा एवं भारत का केन्द्रीय विश्वविद्यालय इग्नू के क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह के आज अवकाश ग्रहण के अवसर इग्नू के पदाधिकारियों कर्मचारियों एवं उनके परिचितों ने इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के सभागार में उनकी समारोह पूर्वक विदाई दी गई. पढ़े पूरी खबर...
दरभंगा:- विश्व का सबसे बड़ा एवं भारत का केन्द्रीय विश्वविद्यालय इग्नू के क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के वरीय क्षेत्रीय निदेशक डा शंभू शरण सिंह के आज अवकाश ग्रहण के अवसर इग्नू के पदाधिकारियों कर्मचारियों एवं उनके परिचितों ने इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के सभागार में उनकी समारोह पूर्वक विदाई दी गई
इस अवसर पर जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो राम विनोद सिंह की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ सिंह के गुरु प्रो प्रभाकर पाठक, धर्मपत्नी इला सिंह, पुत्री रितिका सिंह, बड़े भाई ई रामशरण सिंह, इग्नू के सहायक निदेशक डा राजीव कुमार, उप कुलसचिव राजेश कुमार शर्मा, प्रो राजेन्द्र साह, प्रो कमलेश कुमार, डा आर एन चौरसिया, डा डी एन सिंह, डा कीर्ति चौरसिया, डा विजयसेन पांडेय, डा नारद प्रसाद, डा दिलीप कुमार सिंह, डा अशोक कुमार सिंह, डा बिन्दु चौहान, डा मुकेश कुमार निराला, डा मनोज कुमार सिंह, कुमारी वाणी, डा अरुण कुमार सिंह, राजीव रंजन, मोमित लाल, संजीव कुमार, ई सी के यादव, डा अभय कुमार पाठक, डा शालिनी कुमारी, डा जगजीवन प्रसाद, प्रशांत कुमार झा, उमाशंकर, डा रामबाबू आर्य, विपिन कुमार सिंह, बिंदेश्वर यादव, डा जीतेन्द्र ठाकुर, चंदेश्वर, अशोक यादव, शैलेन्द्र तिवारी, पल्लवी तथा अमरजीत सहित अनेक गणमान्य एवं सामान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
डॉ सिंह सहित सभी अतिथियों का स्वागत पाग, चादर, फूल माला एवं बुक्के से किया गया। अपने संबोधन में डॉ शंभू शरण सिंह ने कहा कि जब भी हम अपने कार्यों को ईश्वर अर्पित कर, मानवीय मूल्य आधारित एवं समाज कल्याण की भावना से करते हैं तो वे सभी कार्य अवश्य ही सपलीभूत होते हैं। वैसे मानवीय जीवन काफी उतार- चढ़ाव पूर्ण होता है, जिसमें गरीबी और अनुभव हमें सबसे बड़ी सीख देता है। हमारा काम 100% अपनी क्षमता एवं विवेक लगाकर संपादित करना है। मैंने अपने नौकरी में कर्तव्य को सबसे ऊपर रखा तथा अपने सभी गाइडलाइनों के अनुसार ही कार्य करने की पूरी कोशिश की, चाहे वह किसी के पक्ष में हो या विपक्ष में। वहीं हमने समभाव से सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों के प्रति प्रेम और सद्भाव बनाए रखा, जिसका परिणाम है कि आज सैकड़ों की संख्या में लोग हमें स्नेह पूर्वक अपना आशीर्वाद दे रहे हैं। डॉ सिंह ने कहा कि मेरे जीवन की राह गुरुओं ने दिखाया, जिस पर चलकर ही मैं ने अनेक सफलताएं पाई तथा दूसरों को भी सफल बनाया।
कुछ लोग डर को अपनी सुरक्षा कवच बनाते हैं, जबकि मैंने न तो कभी किसी से डरा और नहीं ही दूसरे को डराने की कोशिश की। फिर भी यदि दायित्व निर्वाहन के क्रम में किन्हीं को किसी प्रकार की दिक्कत हुई हो तो उसे भूल जाएंगे और मेरी कुछ अच्छी बातों को ही याद रखेंगे। प्रो प्रभाकर पाठक ने कहा कि समावेशी व्यक्तित्व एवं विलक्षण प्रतिभा के धनी डॉ शंभू शरण कर्मठता, विनयशीलता तथा अनुशासन प्रियता के प्रतिमूर्ति हैं। ये छात्र जीवन से ही तेजस्वी एवं सजग रहे हैं। इन्होंने समस्याओं तथा विघ्नों को दबंगता से मुकाबला किया है। मुझे आज प्रसन्नता हो रही है कि मेरे छात्र रहे डॉ शंभू शरण सफलतापूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन कर बेदाग सरकारी सेवा से मुक्त हो रहे हैं। अध्यक्षीय संबोधन में प्रो राम विनोद सिंह ने कहा कि मिथिला को अपना बहुमूल्य एवं अधिकतम समय देकर देने वाले डॉ शंभू शरण ने उत्तर बिहार में इग्नू को नया स्वरूप प्रदान किया। मैं भी इनके कारण ही इग्नू को विशेष रूप में जान पाया हूं। आज ये सरकारी नियमों एवं बंधनों से मुक्त होकर अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्वतंत्र हो गए हैं।
ये शैक्षणिक, प्रशासनिक एवं सामाजिक व्यक्ति हैं जो समाज को बहुत कुछ देने की क्षमता व इच्छा रखते हैं। शेष जीवन को ये प्रेम- स्नेह के साथ जीते हुए सतत जल प्रवाह की तरह बिना थके- रुके अपने शेष दायित्वों के निर्वहन में संलग्न हों। जीडी कॉलेज, बेगूसराय के इग्नू- समन्वयक प्रो कमलेश कुमार ने कहा कि डॉ सिंह स्वयं सूर्य सदृश सदा दूसरों को प्रकाशित करते रहे हैं। इन्होंने अपने जीवन को सफल ही नहीं, समर्थ एवं सार्थक भी बनाया। बेहतरीन अभिभावकत्व देने वाले डॉ शंभू शरण हमेशा प्रसन्न चित्त तथा अरुणिमा युक्त ही बने रहे। प्रो राजेन्द्र साह ने कहा कि यह समारोह उत्प्रेरण रूप में है, जिससे हमलोग जान पाय कि डॉ शंभू शरण के गुण व कर्म कैसे थे? उन्होंने साहित्यकारों के जीवन को रिक्तता शून्य बताते हुए डॉ शंभू को रचनात्मक भूमिका में आने की सलाह देते हुए कहा कि इनके अनेक अनेक गुण- कर्म प्रशासनिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक व्यक्तियों के लिए अनुकरणीय है। सी एम कॉलेज के पूर्व इग्नू- समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि डॉ सिंह बाहर से शांत, सरल एवं मुस्कुराहट युक्त होते हुए भी अंदर से अनुशासन प्रिय, नियम पालक और गलतियों के प्रति कठोर स्वभाव रखते हैं।
इन्होंने इग्नू में अपने अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रति पूर्ण विश्वास कर मार्गदर्शक की भूमिका में रहते हुए बेहतरीन कार्य संस्कृति का निर्माण किया है। डॉक्टर चौरसिया ने पूर्व निदेशक डॉ शंभू सारण को राम कथा नवनियुक्त इग्नू निदेशक डा राजीव कुमार को लक्ष्मण की जोड़ी बताते हुए एक कुशल प्रशासक एवं मार्गदर्शक के रूप में याद किया। उन्होंने डॉ सिंह से जुड़े कई संस्मरणों को सुनाते हुए ईश्वर उनके स्वस्थ एवं लंबे जीवन की कामना की। इग्नू- समन्वयक डा डी एन सिंह ने कहा कि विदाई की बेला खुशी एवं गम युक्त है। नियमानुसार आने वाले को एक दिन जाना भी पड़ता है। हमलोगों को डॉ सिंह से अत्यधिक सीखने को मिला है। ये हिन्दी के विद्वान, कुशल प्रशासक तथा बेहतरीन मार्गदर्शक रूप में हमें सदा याद रहेंगे। इनकी प्रबंधन क्षमता एवं कर्तव्य बोध हमें सदा प्रेरणा देगी। वहीं सीएम कॉलेज के इग्नू समन्वयक डा विजयसेन पांडेय ने कहा कि डॉ सिंह नैतिकता, सरलता एवं अपनत्व के स्वरूप हैं, जिनके पास हर समस्याओं का शीघ्र निदान मौजूद होता है।
रक्सौल से प्रो नारद ने डॉ सिंह के दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना की। वहीं डॉ अमितेश रंजन ने भी अपनी बात रखी, जबकि बेतिया के प्रवीण पाठक ने विदाई गीत गाकर सबको भावविभोर कर दिया। के एस कॉलेज के डा अशोक कुमार सिंह ने कहा कि डॉ शंभू शरण इग्नू के महानायक रूप में अपना परचम लहराया है। ये हमारे कुशल संरक्षक के रूप में अपनी दूसरी पारी में नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं। वहीं सीतामढ़ी के डा जगजीवन प्रसाद ने कहा कि डॉ शंभू शरण इग्नू के दधीचि एवं मिथिला पुत्र हैं। जिस तरह शिक्षक कभी अवकाश ग्रहण नहीं लेता, वैसे ही ये अब सरकारी दबावों से मुक्त होकर पारिवारिक एवं सामाजिक दायित्व को निभाएंगे। चन्द्र किशोर यादव ने कहा कि डॉ शंभू भले ही अवकाश ग्रहण कर रहे हैं, पर हमारे दिल से कभी भी विदा नहीं हो सकेंगे। डॉ शंभू शरण की पुत्री रितिका सिंह ने कहा कि भले ही किन्हीं के लिए मेरे पिता एक अध्याय या एक पड़ाव हो, लेकिन मेरे लिए ये ही पूरे ब्रह्मांड हैं। मेरी जो भी काबिलियत या पहचान है, सब इन्हीं की कृपा है। मुझे कर्तव्य पथ पर चलाने वाले अपने पिता पर गर्व है कि मैं इनकी पुत्री हूं। ये ही मेरे गुरु और मेरे गुरुर भी हैं।
इस अवसर पर कवयित्री रितिका ने अपने पिता पर एक अच्छी कविता का भी वाचन किया। पूर्व इग्नू पदाधिकारी डा अभय पाठक ने कहा कि इग्नू अथाह सागर सदृश है। वहीं डॉ सिंह सरलता एवं विनम्रता के प्रतिमूर्ति हैं। इनकी प्रेरणा ही हमलोगों को अत्यधिक क्रियाशील बना रही है। डॉ शंभू शरण के सहपाठी रहे डा रामबाबू आर्य ने कहा कि ये छात्र जीवन से ही प्रतिभाशाली, यशस्वी एवं मेधावी रहे हैं। ये अपने सभी शैक्षणिक एवं प्रशासनिक कार्यों को भी पूरी तन्मयता एवं संजीदगी से करते हैं। इस अवसर पर चिकित्सा पदाधिकारी डा जीतेन्द्र ठाकुर ने भी उनकी स्वस्थ जीवन की कामना की।
वहीं डॉ अनिल कुमार ने कहा कि डॉ सिंह सनातन संस्कृति के पोषक एवं प्रखर राष्ट्रवादी हैं जो अपने नियमों एवं मूल्यों से कभी पीछे नहीं हटे। इस अवसर पर डॉ शंभू शरण सिंह को इग्नू क्षेत्रीय केन्द्र, दरभंगा के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के साथ ही उत्तर बिहार के 10 जिलों के विभिन्न अध्ययन केन्द्रों के समन्वयकों, सहायक समन्वयकों एवं कर्मियों ने पुष्प- माला, बुक्के, पाग- चादर सहित अनेक उपहारों प्रदान कर अपने स्नेह एवं लगाव को व्यक्त किया।