मिथिला की माटी में श्रद्धा शर्मा का स्नेहिल स्पर्श जीविका दीदियों के संघर्ष, हुनर और गीतों से सजी दोपहर में गूंजी बदलाव की आहट, मिथिला पेंटिंग और सिक्की कला ने बाँधा मन, संदेश दिया हम बिहारी किसी से कम नहीं, बदलाव हम सब मिलकर लाएँगे
दरभंगा के इस दृश्य में न केवल एक कार्यक्रम की औपचारिकता थी, बल्कि एक बदलते बिहार की धड़कन, संघर्ष से सपनों तक के सफर की जीवंत गूंज थी। 13 अगस्त 2025 की वह दोपहर, जब शिल्पग्राम महिला प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के प्रांगण में रंग, राग और उम्मीदों का संगम हुआ, तब वहाँ मौजूद हर चेहरा एक कहानी कह रहा था. पढ़े पुरी खबर.....

दरभंगा के इस दृश्य में न केवल एक कार्यक्रम की औपचारिकता थी, बल्कि एक बदलते बिहार की धड़कन, संघर्ष से सपनों तक के सफर की जीवंत गूंज थी। 13 अगस्त 2025 की वह दोपहर, जब शिल्पग्राम महिला प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के प्रांगण में रंग, राग और उम्मीदों का संगम हुआ, तब वहाँ मौजूद हर चेहरा एक कहानी कह रहा था।
श्रद्धा शर्मा का स्वागत प्रेरणा और आत्मविश्वास का संगम: योर स्टोरी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की संस्थापक एवं सीईओ श्रद्धा शर्मा जैसे ही शिल्पग्राम के द्वार पर पहुँचीं, उनके स्वागत में जीविका दीदियों की आंखों में गर्व और होंठों पर मुस्कान थी। श्रद्धा शर्मा, जिनका नाम देशभर में नवाचार और महिला उद्यमिता की प्रेरणा के रूप में लिया जाता है, खुद मिथिला की माटी में आकर भावुक दिखीं। उनकी निगाहें हर उस हस्तनिर्मित कलाकृति पर टिकी थीं, जो इन महिलाओं के श्रम, हुनर और आत्मविश्वास की साक्षी थी।
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मिथिला पेंटिंग और सिक्की कला की महक: दीवारों पर टंगी रंग-बिरंगी मिथिला पेंटिंग, सूक्ष्म रेखाओं और सांस्कृतिक प्रतीकों से सजी हुई थी। कोनों में सलीके से रखी सिक्की घास से बनी टोकरियाँ, डिब्बियाँ और सजावटी सामान अपनी खुशबू और नजाकत से श्रद्धा का मन मोह रहे थे। श्रद्धा ने बड़े मनोयोग से हर कला को देखा, उसके पीछे की कहानी सुनी, और कलाकार दीदियों से उनके अनुभव पूछे। उन्होंने कहा: यह सिर्फ कला नहीं, यह हमारी पहचान है। हम बिहारी किसी से कम नहीं। बदलाव तब आएगा जब हम सब बदलेंगे, और मिलकर बदलेंगे।
दीदियों से संवाद सपनों और संघर्ष की दास्तान: एक-एक करके उन्होंने सुनीता देवी, रेणु देवी, अनिता देवी, कुसुम देवी, आरती देवी, सविता देवी, ममता देवी, रंजना देवी और अन्य जीविका दीदियों से बातचीत की। हर बातचीत में मेहनत की आंच थी, संघर्ष की तपिश थी और उम्मीद की मिठास थी। दीदियों ने बताया कि कैसे पहले वे घर की चारदीवारी में सीमित थीं, लेकिन जीविका के माध्यम से उन्हें न केवल आर्थिक मजबूती मिली, बल्कि आत्मसम्मान और पहचान भी हासिल हुई।
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मैथिली लोकगीत का मधुर रंग: जब श्रद्धा ने आग्रह किया कि वे मैथिली लोकगीत सुनना चाहती हैं, तो माहौल एकदम उत्सवमय हो गया। दीदियों ने अपने सुर में गाँव की मिट्टी की महक और परंपरा की मिठास घोल दी। गीत की लय में न केवल स्वर थे, बल्कि एक पूरे समुदाय का आत्मविश्वास झलक रहा था।
मार्गदर्शन और प्रोत्साहन: श्रद्धा शर्मा ने मौके पर ही कुछ उत्पाद खरीदे, यह बताते हुए कि गुणवत्ता, डिजाइन में नवाचार और डिजिटल मार्केटिंग ही वह रास्ता है जिससे आप अपनी कला को दुनिया तक पहुँचा सकती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि पारंपरिक कला में आधुनिकता का स्पर्श जोड़ते हुए, अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँचना अब मुश्किल नहीं है।
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कार्यक्रम के सूत्रधार: इस पूरे दौरे में प्रबंधक (नॉन-फार्म) अशोक और संचार प्रबंधक राजा सागर की उपस्थिति विशेष रही। अशोक ने श्रद्धा को कंपनी की कार्यप्रणाली, बाजार से जुड़ने के प्रयास और महिला समूहों के विस्तार की योजनाओं से अवगत कराया। राजा सागर ने अपने शब्दों में बताया कि यह केवल व्यवसाय नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का आंदोलन है।
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श्रद्धा शर्मा का गौरवपूर्ण सफर: वर्ष 2018 में फोर्ब्स पावर ट्रेलब्लेज़र्स पुरस्कार और 2023 में G20 की S20 पहल के तहत समावेशन एजेंडे का सह-अध्यक्षत्व करना, श्रद्धा की उस क्षमता को दर्शाता है जो सीमाओं को लांघकर नए रास्ते बनाती है। उनकी यह यात्रा और उपलब्धियां, दरभंगा की इन महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गईं।
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समापन एक बदलते बिहार की तस्वीर: शिल्पग्राम महिला प्रोड्यूसर कंपनी के इस कार्यक्रम में न केवल कला और संस्कृति की चमक थी, बल्कि उस सामाजिक क्रांति की आहट भी थी, जो गाँव से शहर तक, और अब दुनिया तक पहुँचने वाली है। दीवारों पर टंगे चित्र, सिक्की घास की खुशबू, गीतों की मधुर धुन और श्रद्धा शर्मा की मुस्कान यह सब मिलकर एक ही बात कह रहे थे: जब महिलाएं बदलती हैं, तो सिर्फ घर नहीं, पूरा समाज बदलता है।