बड़ी वारदात: जब 15 डकैतों ने बेलही की रात को लहू में डुबो दिया मासूमों की चीखें खामोश कर दी गईं, औरतों के गहनों से इंसानियत लूट ली गई, और दरभंगा पुलिस फिर सिर्फ़ मुआयना करती रह गई 'मिथिला जन जन की आवाज' की विशेष रिपोर्ट में उजागर हुआ एक डकैती का वह सच, जो कानून की नींद उड़ा दे
बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा में बीती शनिवार की रात को घटी एक सनसनीखेज वारदात ने जिले भर के सुरक्षा तंत्र को हिलाकर रख दिया। यह घटना न केवल अपराध की सीमा लांघ गई, बल्कि मानवीय पीड़ा और भय की उन परतों को उधेड़ गई, जिसे शब्दों में पिरोना आसान नहीं। सदर थाना क्षेत्र के छोटाइपट्टी पंचायत के बेलही गांव में मोहम्मद तुफैल अहमद के घर पर हुए इस कांड ने यह साबित कर दिया कि अब अपराधियों के हौसले सिर्फ बुलंद नहीं, बेलगाम भी हो चुके हैं. पढ़े पुरी खबर.......

बिहार की सांस्कृतिक राजधानी दरभंगा में बीती शनिवार की रात को घटी एक सनसनीखेज वारदात ने जिले भर के सुरक्षा तंत्र को हिलाकर रख दिया। यह घटना न केवल अपराध की सीमा लांघ गई, बल्कि मानवीय पीड़ा और भय की उन परतों को उधेड़ गई, जिसे शब्दों में पिरोना आसान नहीं। सदर थाना क्षेत्र के छोटाइपट्टी पंचायत के बेलही गांव में मोहम्मद तुफैल अहमद के घर पर हुए इस कांड ने यह साबित कर दिया कि अब अपराधियों के हौसले सिर्फ बुलंद नहीं, बेलगाम भी हो चुके हैं। रात के सन्नाटे में जब दरवाजे टूटे, तब सिर्फ घर नहीं टूटा, भरोसा टूटा, विश्वास टूटा और उस इलाके का चैन-ओ-सुकून भी लहूलुहान हो गया।
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रात 1:10 बजे की वो भयावह घड़ी: वो रात भी आम रातों जैसी थी। गांव के लोग गहरी नींद में थे। लेकिन मोहम्मद तुफैल अहमद के घर में अंधेरा डर से भी गाढ़ा था। रात के लगभग 1 बजकर 10 मिनट पर जब एक अनजानी खटखटाहट तुफैल की नींद तोड़ती है, वह आवाज नहीं, एक तूफान की दस्तक थी।
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कौन है? यह सवाल तुफैल ने जैसे ही गेट से पूछा, अगले ही पल दरवाजा चरमराकर टूटा। धड़ाक से भीतर घुसे 15 के करीब नकाबपोश हथियारबंद अपराधी। तुफैल को गर्दन से दबोच कर कहा गया “चुपचाप लेटे रहो, नहीं तो लाशें गिनते रह जाओगे।”
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जब बच्ची को मारा गया और महिलाओं से गहने उतरवाए गए: घटना सिर्फ लूट की नहीं थी, यह डर की एक सुनियोजित पटकथा थी। तुफैल की बेटी, बहू और पत्नी को ज़बरन खाट से खींचा गया। महिलाओं के गहने उतरवा लिए गए। बच्ची की नाक-कान के झुमके तक नहीं बख्शे गए। तुफैल गिड़गिड़ा रहे थे, “मेहमान को कुछ मत करना” उनकी बेटी का पति वहीं मेहमान बन कर आया था। बदले में उन्हें थप्पड़ मारा गया। गांव की जमीन उस वक्त किसी रणभूमि सी थी, जहां बंदूकों के साये में माताएं डर से कांप रही थीं और मासूमों की चीखें आकाश फाड़ रही थीं।
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बक्सा, पेटी, गोदरेज सब लूट लिए गए: घर का एक कमरा ताले में बंद था, जिसे अपराधियों ने निशाना बनाया। लगभग आधे घंटे तक ताला तोड़ने की कोशिश चलती रही। इस बीच कुछ अपराधी छत पर निगरानी कर रहे थे, कुछ आंगन के बाहर पहरा दे रहे थे। आखिरकार गोदरेज, बक्सा, पेटी सबका ताला टूटा। गहने, नकदी, बच्चों की गुल्लक, हर चीज खंगाल दी गई। ₹1500 नकद, जो तुफैल की जेब में था, वह भी गया। एक बैग में रखा ₹7000 वह भी चला गया। घर की महिलाओं के जेवर चूड़ियां, हार, मंगलसूत्र, पायल, झुमका, कर्णफूल सब कुछ समेट लिया गया।
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जब नाती को बांधा गया और प्रशासन सोया रहा: इस बीच तुफैल के नाती को बांध कर रखा गया, ताकि कोई बाहर भागने या विरोध की कोशिश न करे। यह दृश्य सिर्फ लूट का नहीं, एक पारिवारिक नरसंहार का था मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर। और इन सब के बीच, सिर्फ 10 से 12 किलोमीटर दूर स्थित सदर थाना पूरी तरह खामोश। न तो कोई गश्ती टीम, न कोई पेट्रोलिंग वैन। क्या बेलही पंचायत अब अपराधियों की प्रयोगशाला बन चुकी है? यह तीसरी बड़ी वारदात है इस इलाके में बीते 6 महीनों में।
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प्रशासन की नींद खुली, जब चीख गूंज चुकी थी: घटना की सूचना मिलते ही एसएसपी जगुनाथ रेड्डी जलारेड्डी खुद बेलही गांव पहुंचे। उनके साथ आधा दर्जन थानों की पुलिस मौजूद थी। लेकिन सवाल वही जब घटना घट रही थी, तब पुलिस कहां थी? एसएसपी ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया। स्थानीय लोगों से बात की। हर कोने में बिखरे डर और अविश्वास को देखा।
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एसएसपी का बयान: दो स्पेशल टीम बनी, टेक्निकल सेल सक्रिय: SSP जलारेड्डी ने कहा:
“हमने दो विशेष टीम बनाई है। टेक्निकल सेल के माध्यम से कुछ संदिग्धों की पहचान हुई है। फॉरेंसिक संकेत और इलेक्ट्रॉनिक लोकेशन की जांच हो रही है। एक और टीम गठित की जाएगी।”
उन्होंने कहा कि अपराधियों की जल्द गिरफ्तारी तय है, स्थानीय लोगों से भी सहयोग लिया जा रहा है। पर जनता के सवाल अब सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, जवाबदेही पर टिके हैं।
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गांव की गवाही: 'हम अब रात में सोते नहीं, डरते हैं'
मुखिया प्रतिनिधि पप्पू यादव ने कहा: “अपराधी न सिर्फ लूट कर गए, बल्कि पूरा घर मानसिक रूप से तोड़ कर गए। महिलाओं को पीटा गया, बच्चों को धमकाया गया। ऐसे कांड ने पूरे पंचायत को दहला दिया है।”
गांव की एक बुजुर्ग महिला बोली: “अब रात में नींद नहीं आती, लगता है फिर कोई दरवाजा तोड़ेगा।”
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यह सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है: बेलही गांव की घटना दरभंगा पुलिस, जिला प्रशासन, और राज्य सरकार के लिए एक चेतावनी है। यह कांड दर्शाता है कि गांवों में अपराध का नेटवर्क कैसे पैर पसार चुका है और कैसे रात्रि गश्ती की औपचारिकता अब सुरक्षा का पर्याय नहीं रही। तुफैल का घर अब लूट का निशान नहीं, सामाजिक असुरक्षा का प्रतीक बन गया है। वहां सिर्फ अलमारी नहीं टूटी, वहां एक नागरिक की आस्था टूटी है। और जब आस्था टूटती है, तो केवल कानून नहीं, लोकतंत्र भी कमजोर होता है।
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पुलिस की जिम्मेदारी अब 'जांच' से आगे जाकर 'विश्वास की पुनर्स्थापना' हो: दरभंगा पुलिस के लिए अब चुनौती सिर्फ अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं, उस भरोसे को लौटाने की है, जो बेलही की गलियों में चीखों के साथ विलीन हो चुका है। क्योंकि ये सवाल सिर्फ बेलही का नहीं है, ये सवाल है पूरे मिथिला का: "अगर रात को अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं, तो फिर संविधान की चौखट किस काम की है?"