प्रशासनिक समर के नए सेनापति नियुक्त: बिहार में सात आईपीएस अधिकारियों का ऐतिहासिक स्थानांतरण, हर तैनाती के पीछे छिपी है एक रणनीति, एक सन्देश और एक युग परिवर्तन, पढ़िए कौन-कहां से कहां पहुंचे इस ऐतिहासिक फेरबदल में!
बिहार में सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ है, पर सत्ता की चाल जरूर बदल गई है। इस बार तबादले सिर्फ़ काग़ज़ी नहीं हैं, ये संकेत हैं सियासत के समीकरणों का, और प्रशासनिक पथरीली ज़मीन पर फौजी जूतों की आहट का। बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट अब तबादलों की चुपचाप गूंज में साफ सुनाई देने लगी है। और उसी गूंज का हिस्सा बने हैं सात आईपीएस अधिकारी। दिल्ली से मुंबई की गलियों में जो सत्ता की भाषा बोली जाती है वही भाषा अब पटना के एसी कमरों में फुसफुसाहट की तरह गूंज रही है: "पावर के पहले पोस्टिंग ठीक कर लो, फिर कहानी आगे बढ़ेगी. पढ़े पुरी खबर......

पटना: बिहार में सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ है, पर सत्ता की चाल जरूर बदल गई है। इस बार तबादले सिर्फ़ काग़ज़ी नहीं हैं, ये संकेत हैं सियासत के समीकरणों का, और प्रशासनिक पथरीली ज़मीन पर फौजी जूतों की आहट का। बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट अब तबादलों की चुपचाप गूंज में साफ सुनाई देने लगी है। और उसी गूंज का हिस्सा बने हैं सात आईपीएस अधिकारी।दिल्ली से मुंबई की गलियों में जो सत्ता की भाषा बोली जाती है वही भाषा अब पटना के एसी कमरों में फुसफुसाहट की तरह गूंज रही है: "पावर के पहले पोस्टिंग ठीक कर लो, फिर कहानी आगे बढ़ेगी!"
ADVERTISEMENT
तबादला नहीं, सत्ता की स्क्रिप्टिंग है यह!
23 जून की दोपहर जब सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से सात आईपीएस अधिकारियों का तबादला आदेश निर्गत हुआ, तो पहले तो सबने इसे 'रूटीन' समझकर कंधे उचकाए। लेकिन जब लिस्ट पर नज़रें गहराई से पड़ीं तब हर कोई समझ गया कि यह महज़ नामों का हेरफेर नहीं, बल्कि 'संकेतों' की राजनीति है।
ADVERTISEMENT
कौन-कहां से कहां पहुंचा?
आइए पढ़े, इस तबादला एक्सप्रेस की प्रत्येक बोगी में बैठे कौन हैं:
गरिमा मलिक: एक नाम, जो अब विभाग नहीं, विजन संभालेगी: गरिमा मलिक, जिनका व्यक्तित्व जितना दृढ़ है, उतना ही साफ-सुथरा भी, उन्हें अब विजिलेंस की IG बनाया गया है। यानी, अब भ्रष्टाचार की रगों में घुसकर उसकी नसों को पकड़ना और सिस्टम की संजीवनी ढूंढ़ना उनकी जिम्मेदारी होगी। राजनीतिक गलियारों में इसे सीधा संकेत माना जा रहा है कि सरकार अब भ्रष्टाचार पर दिखावे से आगे जाकर प्रहार करना चाहती है। और इस मिशन में सबसे भरोसेमंद नाम उन्हें ही लगता है गरिमा मलिक!
ADVERTISEMENT
जितेन्द्र राणा: राजधानी के नए सेनापति: पटना की कमान अब जितेन्द्र राणा के हाथ में है। राजधानी यानी राजनीति की नाभि। यहाँ का IG बनना, सिर्फ एक पद नहीं, एक “पोज़िशन ऑफ पावर” है। जितेन्द्र राणा इससे पहले मद्य निषेध विभाग में रहे, जहाँ उन्होंने शराब माफियाओं पर शिकंजा कसने में जी-जान लगा दिया था। अब पटना जैसे संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण ज़ोन में उनकी नियुक्ति, सरकार की कानून-व्यवस्था के प्रति गंभीरता को दर्शाती है।
ADVERTISEMENT
प्रेमलता और राठी: तकनीक और खुफिया का ट्रांसफर गेम: एस. प्रेमलता को जहां तकनीकी सेवा व संचार की IG बनाया गया है, वहीं राकेश राठी को स्पेशल ब्रांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रेमलता की नियुक्ति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि अब बिहार पुलिस तकनीकी दक्षता और साइबर निगरानी की ओर बढ़ रही है।
ADVERTISEMENT
राकेश राठी जैसे सधे हुए अफसर को विशेष शाखा (इंटेलिजेंस विंग) की कमान देकर सरकार ने साफ किया है कि चुनावी मौसम में “सूचना शक्ति ही असली सत्ता होगा"!
ADVERTISEMENT
रामदास और अमितेश: अपराध और सुरक्षा की नई डोर: के. रामदास, अब अपराध अनुसंधान विभाग (CID) के SP होंगे एक ऐसा विभाग, जो बिहार के संगठित अपराध, मर्डर मिस्ट्री और गैंग ऑपरेशन की जड़ तक जाता है।
ADVERTISEMENT
अमितेश कुमार, जो शेखपुरा के SP थे, अब Special Branch की सुरक्षा इकाई संभालेंगे यानी VVIP सुरक्षा, इनपुट इन्वेस्टिगेशन और इनसाइड ट्रैकिंग। इन दोनों अधिकारियों का संयोजन एक तरफ़ केस खोलने वाला दिमाग़, दूसरी तरफ़ गुप्त सूचनाओं का संग्रहकर्ता।
ADVERTISEMENT
मनोज कुमार तिवारी: अब सिवान की कमान: सिवान, जो कभी मो. शहाबुद्दीन के नाम से जाना जाता था एक समय क्राइम का एपिसेंटर। अब वहाँ SP बनाए गए हैं मनोज कुमार तिवारी, जो जाने जाते हैं अपने सख्त लेकिन संवेदनशील प्रशासन के लिए। उनका वहाँ पहुँचना सरकार के लिए एक “मैसेज टू माफिया” जैसा है कि अब सिवान की गली में डर नहीं, विश्वास गूंजेगा।
ADVERTISEMENT
तो क्या चुनावी संकेत हैं इस तबादले में?
निःसंदेह हाँ। ये तबादले तब हुए हैं जब राज्य के भीतर विधानसभा चुनाव की चर्चा तेज़ हो रही है।
विशेषकर:
राजधानी पटना की कमान
विजिलेंस विभाग की मज़बूती
टेक्निकल शाखा की सजगता
CID और स्पेशल ब्रांच की धार
ये सब एक साफ़ दिशा दिखाते हैं: "सरकार प्रशासनिक मशीनरी को चुस्त, चौकस और चुनाव-प्रूफ बनाना चाहती है।"
ADVERTISEMENT
तबादला नहीं, तैयारी है ‘लड़ाई’ की!
बिहार की यह तबादला सूची महज़ आदेश नहीं है, यह दस्तावेज़ है उस तैयारी का जो सियासी युद्ध से पहले मैदान सजाती है। गरिमा, राणा, राठी, प्रेमलता, तिवारी, रामदास और अमितेश जैसे अधिकारी अब न केवल नई जिम्मेदारियां संभालेंगे, बल्कि यह तय करेंगे कि जनता को प्रशासन पर विश्वास फिर से हो या नहीं।