"डीएमसीएच की अधूरी दीवारों को अब मिल गया है अपना शिल्पी—डॉ. अमित कुमार झा ने संभाली उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी, जहां प्रशासन नहीं, संवेदना करेगी नेतृत्व"

कुछ पद होते हैं, जो सिर्फ कुर्सी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और जवाबदेही की परिभाषा बन जाते हैं। और कुछ लोग होते हैं, जो उस कुर्सी को महज बैठने की जगह नहीं, बल्कि सेवा का मंच मानते हैं। डीएमसीएच—दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल—की धड़कन अब एक नई लय में बजने को तैयार है। क्योंकि यहाँ की अधूरी तस्वीर में अब रंग भरने आ रहे हैं डॉ. अमित कुमार झा, जिन्हें हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने उपाधीक्षक के पद पर तैनात किया है. पढ़े पुरी खबर.......

"डीएमसीएच की अधूरी दीवारों को अब मिल गया है अपना शिल्पी—डॉ. अमित कुमार झा ने संभाली उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी, जहां प्रशासन नहीं, संवेदना करेगी नेतृत्व"
"डीएमसीएच की अधूरी दीवारों को अब मिल गया है अपना शिल्पी—डॉ. अमित कुमार झा ने संभाली उपाधीक्षक की ज़िम्मेदारी, जहां प्रशासन नहीं, संवेदना करेगी नेतृत्व"

दरभंगा, मिथिला जन जन की आवाज: कुछ पद होते हैं, जो सिर्फ कुर्सी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और जवाबदेही की परिभाषा बन जाते हैं। और कुछ लोग होते हैं, जो उस कुर्सी को महज बैठने की जगह नहीं, बल्कि सेवा का मंच मानते हैं। डीएमसीएच—दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल—की धड़कन अब एक नई लय में बजने को तैयार है। क्योंकि यहाँ की अधूरी तस्वीर में अब रंग भरने आ रहे हैं डॉ. अमित कुमार झा, जिन्हें हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने उपाधीक्षक के पद पर तैनात किया है।

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मंगलवार को जब अधिसूचना जारी हुई, तब महज़ एक नाम जुड़ा अस्पताल की फाइलों में, पर यह नाम आने वाले दिनों में उम्मीद, बदलाव और सृजन का पर्याय बन सकता है। गुरुवार को डॉ. झा अपना योगदान देंगे और दरभंगा के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में एक नई शुरुआत की पटकथा लिखेंगे।

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सफाई को संकल्प, सेवा को धर्म बनाकर आए हैं डॉ. झा: बुधवार को 'मिथिला जन जन की आवाज़' से विशेष बातचीत में डॉ. झा ने बड़ी विनम्रता और संकल्प के साथ कहा—"मरीजों को बेहतर सुविधा देना ही मेरा पहला लक्ष्य होगा। अस्पताल में स्वच्छता, व्यवस्था और संवेदना—तीनों को प्राथमिकता दी जाएगी। अधीक्षक महोदय के नेतृत्व में हम मिलकर ऐसा माहौल तैयार करेंगे, जहाँ इलाज के साथ-साथ इंसानियत भी सांस ले।"

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उनकी बातों में न कोई दिखावा था, न कोई छल। बस एक चिकित्सक का मर्म था, जो अपनी जिम्मेदारियों को केवल सरकारी कार्य नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम मानता है। ऐसे समय में, जब व्यवस्था अक्सर संवेदनहीन लगने लगती है, डॉ. झा जैसे अधिकारी उम्मीद की नमी लेकर आते हैं।

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एक कुर्सी, दो कंधे—अब द्विगुणित होगी जिम्मेदारी: डॉ. हरेंद्र कुमार के तबादले के बाद उपाधीक्षक का एक पद रिक्त था। डॉ. सुरेंद्र कुमार पहले से ही इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं। अब डॉ. अमित कुमार झा के आगमन से यह युगलबंदी व्यवस्था को गति देगी और मरीजों को बेहतर अनुभव मिलेगा। प्रशासनिक कामकाज, अस्पताल का संचालन, और सुविधाओं की निगरानी—सब कुछ अब दोगुनी निगरानी और कर्मठता से संचालित होने की उम्मीद है।

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जब चिकित्सक प्रशासन की कुर्सी पर होता है: डॉ. अमित कुमार झा की नियुक्ति सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि अस्पताल की आत्मा में ताजगी का प्रसार है। जब एक चिकित्सक प्रशासनिक पद पर होता है, तो वह इलाज की पीड़ा को महसूस कर सकता है, मरीज की बेबसी को पढ़ सकता है, और एक सिस्टम के भीतर रहकर सिस्टम को भीतर से बदल सकता है।

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मिथिला की धरती, जहाँ नारियों ने विद्या दी, पुरुषों ने तपस्या की और विचारों ने आंदोलन किए—वहीं अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी परिवर्तन की एक नई बयार चलने लगी है। और उस बयार के साथ हैं—डॉ. अमित कुमार झा।

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सफेद कोट के भीतर एक दिल भी धड़कता है: एक चिकित्सक के लिए सफेद कोट सिर्फ एक ड्रेस नहीं, बल्कि एक व्रत है। और डॉ. झा उसी व्रत की राह पर हैं। उम्मीद की जाती है कि वे अपने व्यवहार, नेतृत्व और प्रतिबद्धता से डीएमसीएच को एक ऐसी दिशा देंगे, जहाँ मरीज सिर्फ इलाज नहीं, आत्मीयता भी पाएंगे। जहाँ अस्पताल सिर्फ दीवारें नहीं, बल्कि एक भरोसा होगा।

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डॉ. झा को इस नई जिम्मेदारी के लिए 'मिथिला जन जन की आवाज़' परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। उनका कार्यकाल डीएमसीएच के लिए एक नई सुबह साबित हो, और मरीजों के चेहरों पर लौटे मुस्कान—बस यही कामना है।