संजय सरावगी के संकल्प और नितिन नवीन की निगरानी में दरभंगा को जाम से मुक्ति की दिशा: दोनार आरओबी से लेकर दिल्ली मोड़ तक एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण की राह पर 1868.87 करोड़ की ऐतिहासिक स्वीकृति

पटना की एक शांत सुबह। लेकिन उस सुबह की एक मीटिंग ने दरभंगा के निवासियों के जीवन में नए रंग भरने की नींव रख दी। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन की अध्यक्षता वाली यह समीक्षा बैठक सिर्फ कागज़ों और योजनाओं तक सीमित नहीं रही इसके शब्दों में, विचारों में और अंततः धरातल पर चलने वाले निर्माण में, उम्मीद और जिम्मेदारी का संगम दिखा. पढ़े पुरी खबर......

संजय सरावगी के संकल्प और नितिन नवीन की निगरानी में दरभंगा को जाम से मुक्ति की दिशा: दोनार आरओबी से लेकर दिल्ली मोड़ तक एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण की राह पर 1868.87 करोड़ की ऐतिहासिक स्वीकृति
नक्शे पर झुके चेहरे, भविष्य की रेखाओं में तलाशते समाधान — संजय सरावगी की पहल और नितिन नवीन की निगरानी में दरभंगा को एलिवेटेड कॉरिडोर के रूप में मिल रही है वर्षों की प्रतीक्षित राहत; यह तस्वीर नहीं, बदलाव

पटना की एक शांत सुबह। लेकिन उस सुबह की एक मीटिंग ने दरभंगा के निवासियों के जीवन में नए रंग भरने की नींव रख दी। पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन की अध्यक्षता वाली यह समीक्षा बैठक सिर्फ कागज़ों और योजनाओं तक सीमित नहीं रही इसके शब्दों में, विचारों में और अंततः धरातल पर चलने वाले निर्माण में, उम्मीद और जिम्मेदारी का संगम दिखा।

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बैठक की थाट-बाट, समृद्धियों से नहीं, बल्कि कसावट और उद्देश्य से जुड़ी थी। दरभंगा रेलवे स्टेशन से आमस-बिंदु होते हुए कर्पूरी चौक, लोहिया चौक तक का एलिवेटेड कॉरिडोर जो पहले केवल चार्ट में विषुवतीय रेखा सा दिखता था अब निरंतरता और गति का संदर्भ बन गया। साथ ही, दोनार आरओबी की बात हो रही थी, जिसे लेकर दशकों से शहर की साँसें थमती-सी थीं।

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दोनार आरओबी: बाधा मुक्त प्रस्ताव से जन‑आशा: राजस्व मंत्री संजय सरावगी ने बैठक में स्थिति स्पष्ट की दोनार आरओबी से जुड़े सभी खतरों और खामियों का समाधान हो चुका है। जमीनी स्तर पर, जमीन के विवाद और कानूनी अटकों की चादर अब हट चुकी है। सरावगी ने कहा कि यह आरओबी उस व्यस्ततम मार्ग में बनेगा जो प्रतिदिन असंख्य लोगों की प्रतीक्षा और परेशानी की वजह बनता है। जब यह पुल बनकर आएगा, तब भीड़-बेड़भाड़, ट्रैफिक जाम सबका स्वरूप बदल जाएगा। यह “मार्ग” नहीं, बल्कि श्रम-जीवन में एक मुक्त साँस होगा।

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पाँच अन्य आरओबी कल की बदली तस्वीर: दिल्ली मोड़, पंडासराय, चट्टी चौक और कंगवा गुमटी इन सभी नामों में एक सामूहिक उम्मीद की गूँज है। इन इलाक़ों में पहले दिन-रात जाम रहता था, आवागमन एक चुनौती बनकर खड़ा होता था। अब इन नामों के पीछे विकास का जाल बुना जा रहा है मिट्टी, लोहा, सीमेंट और तकनीक का संयोजन। मंत्री श्री सरावगी ने इन सभी पर समयबद्ध कार्य की बात उठाते हुए कहा कि यह “दरभंगा की आत्मा” से जुड़ा विकास है। यह कोई राजनीतिक प्रोजेक्ट नहीं यह जीवन, व्यवहार, मानवीय समय का पुनर्रचना है।

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₹1,868.87 करोड़ की मंज़ूरी आंकड़े नहीं, इरादे: यह धन राशि महज बजट की संख्या नहीं यह उन हजारों-लाखों यात्रियों की जिंदगी में वापसी का माध्यम है, जिनके दिन अथक जाम की दोपहर और लंबी रातों में बीते हैं। मंत्री नवीन की अध्यक्षता में बनी बैठक ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अब धन में नहीं, बल्कि धरातल पर गति में दिखना चाहिए।

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वास्तविक निगरानी प्रत्येक चरण में यथार्थ की मांग: महत्वपूर्ण यह था कि किसी भी स्तर पर “औपचारिक निरीक्षण” की जगह “सतत निगरानी” का वचन दिया गया। विभागीय अधिकारी और तकनीशियन अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझ चुके हैं एक नई नज़र से, एक नए दृष्टिकोण से। “निगरानी” का मतलब सिर्फ फ़ाइनल रिपोर्ट नहीं, बल्कि हर दिन की चुनौतियों पर उतनी ही तत्काल प्रतिक्रिया देना है, जितनी समाज के दुख को समझने में होती है।

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आवासीय ज़िंदगी पर असर कल की सुबह का पहला सूरज: जिस दृश्य का इंतज़ार है दरभंगा की सड़कों पर घूम रहे वाहन अब बेतरह धीमे नहीं थे वह सुबह जब कोई खोलेगा दरवाज़ा, और देखेगा कि आमस-बिंदु से लोहिया चौक तक का रास्ता अब एक रेखा सा नहीं, बल्कि एक खुले, चलने वाले, सांस लेने वाले मार्ग का हिस्सा है। यह केवल यातायात सुधार नहीं, बल्कि जीवन के मानवीय पहलुओं में सुधार है समय की बचत, तनाव से राहत, धुंआ-मिट्टी से मुठभेड़ में कमी।

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शोर नहीं, संवेदनशील विकास की कविता: यह बैठक शोर-ध्वनि, बस निर्माण कार्यों या सरकारी प्रेस रिलीज़ की तारीफों का हिस्सा नहीं है। यह उस परिश्रमी मुस्कान का हिस्सा है जब कोई वाहक वाहन पार्क में रुके बिना दिशा तय करता हुआ निकल जाए। यह उस छात्र की किताब होती है जिसे अब समय पर स्कूल तक पहुंचने की ज़िद होती है, बिना घाटे की पाबंदी के। यह समय की कविता है विकास संवेदनशील भावों का निर्माण है।