शिक्षक सृजनकर्ता एवं भविष्य निर्माता, जिनकी समाज व राष्ट्र को सदैव जरूरत- कुलपति
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने शिक्षक दिवस के अवसर पर जुबली हॉल में आयोजित "शिक्षक दिवस सम्मान समारोह" के अवसर पर अध्यक्षीय संबोधन में कही। पढ़ें पूरी खबर
दरभंगा:- शिक्षा हमें संस्कार तथा विद्या बोधिसत्व प्रदान करती है। विद्या इतनी महत्वपूर्ण है कि वह हर दरवाजे खोल देती है। शिक्षक तथ्यों एवं सूचनाओं से इतर शिक्षा को व्यापक विस्तार देते हैं। वे छात्रों को सद्कार्य हेतु प्रेरित करते हैं। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने शिक्षक दिवस के अवसर पर जुबली हॉल में आयोजित "शिक्षक दिवस सम्मान समारोह" के अवसर पर अध्यक्षीय संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि शिक्षक सृजनकर्ता एवं भविष्य निर्माता हैं, जिनकी जरूरत समाज और राष्ट्र को सदैव होती है। शिक्षक दिवस सोचने- विचारने तथा चिंतन- मनन करने का दिन होता है। अवकाश प्राप्त शिक्षकों की भी समाज में जरूरत है, क्योंकि वे ज्यादा अनुभवी होते हैं। दुनिया में सभी अच्छी बातें पहले ही कही जा चुकी हैं, पर शिक्षक उसे कार्यरूप देते हैं। उन्होंने कहा कि पैसों की तुलना में सम्मान हमें ज्यादा प्रेरित करता है, क्योंकि सम्मान अधिक प्रेरक होता है, जिससे लोग स्वत:स्फूर्त हो जाते हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा समरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि भारत में 1962 से शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा रही है। पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कहने पर ही उनके छात्रों ने उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया था। इंसानियत एवं सहिष्णुता सिखाने वाले शिक्षकों का हमारे जीवन में सबसे ऊंचा स्थान है। उन्होंने अपील की कि शिक्षकों को सदा अच्छा आचरण करना चाहिए, ताकि छात्रों को उनसे बेहतर सीखने का अवसर मिले तथा समाज का बेहतरीन नवनिर्माण हो सके। प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने राधाकृष्णन व अब्दुल कलाम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए अनेक गुरु- शिष्यों के संबंध में प्रेरक जानकारियां दी। उन्होंने कोरोना काल में भी विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से लगातार कक्षा जारी रखने की सराहना करते हुए बताया कि अच्छे शिक्षक हमेशा ज्ञान बांटते हैं तथा वे छात्रों के दिलों में रहते हैं।
प्रति कुलपति ने कहा कि शिक्षक की महानता उनके छात्रों की काबिलियत से होती है। शिक्षक छात्रों के गुणों को आकार देते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक- छात्र का संबंध देश- काल से ऊपर होता है। कोई भी संस्था अपने भवनों से नहीं, बल्कि छात्रों की प्रतिभा से जाना जाता है। उन्होंने शिक्षक के गुणों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि छात्रों की नजर में शिक्षक प्रेम और विश्वास के कारण ही महान होता है। आज भी छात्रों के लिए तकनीक से ज्यादा जरूरत शिक्षकों की है। अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद ने बताया कि वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में दूसरी बार शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन हो रहा है। कुलपति के प्रयास से ही मिथिला विश्वविद्यालय राज्य में अपना ऊंचा स्थान प्राप्त किया है तथा लगातार विकास की ओर अग्रसर है। कुलपति महोदय ने हमेशा दूसरों को सम्मान देने का काम किया है। यही कारण है कि आज शिक्षक दिवस को सामूहिक रूप से मनाने का सार्थक प्रयास किया गया है। कुलसचिव ने अवकाश प्राप्त शिक्षकों के स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन की कल्पना करते हुए कहा कि शिक्षकों से ही समाज की तस्वीर एवं तकदीर बदलेगी।
समारोह में विश्वविद्यालय के अंगीभूत एवं संबद्ध महाविद्यालयों के गत 1 वर्ष में अवकाश ग्रहण करने वाले 84 शिक्षकों का पाग, चादर व प्रशस्ति पत्र आदि से मुख्य अतिथि, कुलपति, प्रतिकुलपति, वित्तीय परामर्श तथा कुलसचिव द्वारा सम्मान किया गया। वहीं 31 अगस्त को "मेरे जीवन में प्रेरक शिक्षक" विषय पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता के हिन्दी माध्यम में प्रदीप कुमार- प्रथम, राधा कुमारी- द्वितीय तथा सिद्धि सुमन झा के तृतीय स्थान प्राप्त करने तथा अंग्रेजी माध्यम में नीतीश नायक- प्रथम, रवि राहुल- द्वितीय तथा मोनिका चौधरी के तृतीय स्थान पाने हेतु उन्हें प्रमाण पत्र तथा मेडल से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान के पूर्व डीन प्रो गोपी रमण प्रसाद सिंह लिखित "भारत में सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक आंदोलन" नामक पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक एवं उपकुलसचिव प्रथम डा कामेश्वर पासवान ने अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन किया। समारोह में विश्वविद्यालय के वित्तीय परामर्श कैलाश राम की भी गरिमामय उपस्थिति रही।
अतिथियों का स्वागत पाग- चादर, मिथिला पेंटिंग एवं पौधे से किया गया। समारोह में विश्वविद्यालय के पदाधिकारी, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, प्रधानाचार्य तथा अवकाश प्राप्त शिक्षक- शिक्षिकाएं आदि काफी संख्या में उपस्थित थे, जिनका जुबली होल में प्रवेश के समय चंदन- अक्षत, आरती व पुष्प- पंखुड़ियों स्वागत से किया गया। समारोह का प्रारंभ बिहारगीत एवं विश्वविद्यालय के कुलगीत के गायन से हुआ, जबकि समापन राष्ट्रगान के सामूहिक गायन से। कार्यक्रम का संचालन मैथिली के प्राध्यापक प्रो अशोक कुमार मेहता द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कुलानुशासक प्रो अजय नाथ झा ने किया।