मिथिला विश्वविद्यालय में ललित नारायण मिश्र तथा कर्पूरी ठाकुर के नाम से दो अलग- अलग चेयर की होगी स्थापना

यानि 2 फरवरी के दिन हम मिथिला के लाल ललित बाबू के विचारों तथा कार्यों को याद करते हुए नई पीढ़ी को भी प्रेरित करते हैं। ललित बाबू जैसा व्यक्ति और व्यक्तित्व बहुत कम देखने को मिलता है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय उनके नाम की एक बड़ी निशानी है। उक्त बातें विश्वविद्यालय एनएसएस कोषांग के तत्वावधान में जुबली हॉल में आयोजित ललित नारायण मिश्र की 102 वीं जयंती समारोह- 2024 की अध्यक्षता करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने कही. पढ़े पूरी खबर.......

मिथिला विश्वविद्यालय में ललित नारायण मिश्र तथा कर्पूरी ठाकुर के नाम से दो अलग- अलग चेयर की होगी स्थापना
मिथिला विश्वविद्यालय में ललित नारायण मिश्र तथा कर्पूरी ठाकुर के नाम से दो अलग- अलग चेयर की होगी स्थापना

दरभंगा:- यानि 2 फरवरी के दिन हम मिथिला के लाल ललित बाबू के विचारों तथा कार्यों को याद करते हुए नई पीढ़ी को भी प्रेरित करते हैं। ललित बाबू जैसा व्यक्ति और व्यक्तित्व बहुत कम देखने को मिलता है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय उनके नाम की एक बड़ी निशानी है। उक्त बातें विश्वविद्यालय एनएसएस कोषांग के तत्वावधान में जुबली हॉल में आयोजित ललित नारायण मिश्र की 102 वीं जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने कही।

कुलपति ने कहा कि मिथिला क्षेत्र में दो बड़े महापुरुष- ललित बाबू तथा कर्पूरी ठाकुर हुए। मिथिला विश्वविद्यालय में ललित नारायण मिश्र तथा कर्पूरी ठाकुर के नाम से दो अलग-अलग चेयर की स्थापना की जाएगी। यही आज के दिन की बड़ी उपलब्धि तथा इन महापुरुषों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसके लिए उन्होंने पूर्व मंत्री एवं झंझारपुर के विधायक नीतीश मिश्रा तथा दरभंगा के नगर विधायक संजय सरावगी से सहयोग करने का आग्रह किया। विकल्प के तौर पर कुलपति ने कहा कि एल एन मिश्रा इंस्टीट्यूट आफ बिजनेस मैनेजमेंट, पटना तथा मुजफ्फरपुर से एमओयू साइन कराकर स्ववित्त पोषित मोड में इन दोनों चेयरों को संचालित किया जा सकता है।

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मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं झंझारपुर के विधायक ललित बाबू के भतीजे नीतीश मिश्रा ने बताया कि 2 जनवरी, 1975 को ललित बाबू का समस्तीपुर में मात्र 52 वर्ष की अवस्था में बलिदान हुआ था। विजनरी लीडर के रूप में हमलोगों के प्रेरणास्रोत ललित बाबू धीरे- धीरे आगे बढ़ते हुए रेलवे के कैबिनेट मिनिस्टर बने थे और बहुत कम समय में ही अपने कामों से काफी लंबी रेखा खींचे। उनका व्यक्तित्व, शिक्षा तथा कार्यशैली बेहतरीन थी। श्री मिश्रा ने आशा व्यक्त किया कि वर्तमान कुलपति प्रो चौधरी के कार्यकाल में यह विश्वविद्यालय राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर निरंतर आगे बढ़ता रहेगा। उन्होंने इस गौरवपूर्ण विश्वविद्यालय के विकास में सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहने का संकल्प व्यक्त किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में दरभंगा नगर के विधायक संजय सरावगी ने कहा कि ललित बाबू पूरे देश की राजनीति के धूरी थे। सच में वे बिहार तथा भारत के रत्न थे। ललित बाबू मिथिला तथा बिहार के विकास के लिए हमेशा चिंतित तथा प्रयासरत रहते थे। उन्होंने आशा व्यक्त किया कि एक न एक दिन केन्द्र की मोदी सरकार कर्पूरी ठाकुर की तरह ललित बाबू को भी भारतरत्न से जरूर सम्मानित करेगी।

विशिष्ट अतिथि के रूप में जाले के पूर्व विधायक एवं ललित बाबू के पौत्र ऋषि मिश्रा ने कहा कि वे शानदार विकास पुरुष थे, जिन्होंने राजनीति का प्रयोग हमेशा क्षेत्रीय विकास के लिए किया। वे सच्चाई और इंसानियत के लिए जिद्दी भी थे और अपनी विचारधारा के साथ अंतिम समय तक बने रहे, जिसके कारण उन्हें जान भी देनी पड़ी। उन्होंने बताया कि संसद में लोग उन्हें कोशी मिश्रा के नाम से जानते थे, क्योंकि वे हमेशा यहां के विकास की ही बातें करते थे। भारत छोड़ो आंदोलन में वे न केवल सक्रिय रहे, बल्कि जेल भी गए थे। ऐसे महापुरुषों की जयंती मनाने से युवा पीढ़ी को उनके कार्यों की जानकारी और प्रेरणा मिलती है।

सीनेटर डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि 1972 में मिथिला विश्वविद्यालय की स्थापना मैं ललित बाबू सहयोगी थे। उन्होंने मांग की कि कर्पूरी ठाकुर की तरह उन्हें भी भारतरत्न दिया जाय, उनके शहीद स्थल पर उनकी मूर्ति बने तथा समस्तीपुर स्टेशन का नाम ललित बाबू के नाम पर रखा जाए। अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित ने कहा कि ललित बाबू को मिथिला और मैथिली से काफी लगाव था। मिथिला उनकी कर्मभूमि थी, जिसके विकास के लिए वे संघर्षरत रहे। ललित बाबू मिथिला पेंटिंग्स को विश्व स्तर पर व्यापक बनाया तथा मिथिला को बाढ़ से निजात दिलाने हेतु भारत- नेपाल समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। उन्होंने 36 रेल परियोजनाओं का सर्वेक्षण कराया था।

समारोह में सीनेट तथा सिंडिकेट के सदस्य, संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी, पदाधिकारी, स्थानीय कई गणमान्य व्यक्ति तथा छात्र- छात्राएं आदि उपस्थित थे। आगत अतिथियों का स्वागत पाग, चादर तथा बुके से किया गया। समारोह का प्रारंभ ललित बाबू के चित्र पर अतिथियों एवं गणमान्य व्यक्तियों के द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि देने से हुआ। विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्रों द्वारा बिहार- गीत तथा विश्वविद्यालय- कुलगीत तथा अन्त में राष्टगान प्रस्तुत किया गया।कला एवं वाणिज्य के महाविद्यालय निरीक्षक प्रो अशोक कुमार मेहता के संचालन में आयोजित समारोह में धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस समन्वयक (द्वितीय) डा आनंद प्रकाश गुप्ता ने किया। वहीं समारोह से पूर्व कुलपति तथा अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासनिक भवन के सामने अवस्थित ललित बाबू की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।