दरभंगा राजकुल की अंतिम शान महारानी कामसुंदरी देवी अस्वस्थ बाथरूम में गिरकर हुईं चोटिल, अस्पताल में भर्ती, वारिस कुमार कपिलेश्वर सिंह लौटे दरभंगा; मिथिला प्रार्थना में डूबी, राजमहल के आँगन में पसरा सन्नाटा
दरभंगा का राजमहल इन दिनों चिंतित है। मिथिला के राजकुल की अंतिम शान और महाराज डॉ. सर कामेश्वर सिंह की जीवनसंगिनी, 93 वर्षीय महारानी कामसुंदरी देवी रविवार की सुबह बाथरूम में फिसलकर गिर पड़ीं। सिर पर चोट आई, रक्त बह निकला, और राजमहल का वातावरण अचानक चिंता से भर गया।परिवार के सदस्य और सेवक तत्काल हरकत में आए। चिकित्सकों को बुलाया गया। शुरुआती जाँच के बाद सिटी स्कैन कराया गया जिसमें माइनर इंज्यूरी सामने आई। डॉक्टरों की सलाह पर सोमवार को उन्हें दरभंगा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका इलाज जारी है. पढ़े पुरी खबर.......

दरभंगा। दरभंगा का राजमहल इन दिनों चिंतित है। मिथिला के राजकुल की अंतिम शान और महाराज डॉ. सर कामेश्वर सिंह की जीवनसंगिनी, 93 वर्षीय महारानी कामसुंदरी देवी रविवार की सुबह बाथरूम में फिसलकर गिर पड़ीं। सिर पर चोट आई, रक्त बह निकला, और राजमहल का वातावरण अचानक चिंता से भर गया।परिवार के सदस्य और सेवक तत्काल हरकत में आए। चिकित्सकों को बुलाया गया। शुरुआती जाँच के बाद सिटी स्कैन कराया गया जिसमें माइनर इंज्यूरी सामने आई। डॉक्टरों की सलाह पर सोमवार को उन्हें दरभंगा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका इलाज जारी है। चिकित्सकों ने आश्वस्त किया है कि स्थिति नियंत्रण में है और धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
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राजकुल के वारिस लौटे दरभंगा: महारानी की अस्वस्थता की सूचना जैसे ही दिल्ली पहुँची, कुमार कपिलेश्वर सिंह तुरंत फ्लाइट से दरभंगा के लिए रवाना हुए। प्रस्थान से पहले उन्होंने भावुक शब्दों में कहा: यह सिर्फ मेरे परिवार की चिंता नहीं है। यह पूरे मिथिला की चिंता है। माताजी राजपरंपरा की अंतिम धरोहर हैं। मैं दरभंगा पहुँचते ही अस्पताल जाकर उनका हालचाल लूँगा। उनके इस कथन से स्पष्ट था कि यह महज़ पारिवारिक संकट नहीं, बल्कि पूरे समाज की भावनाओं से जुड़ा प्रसंग है।
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राजमहल में सन्नाटा, अस्पताल में दुआ: दरभंगा राजमहल का विशाल आँगन, जो वर्षों से इतिहास और परंपराओं का साक्षी रहा है, इस समय गहरे सन्नाटे में डूबा हुआ है। सेवक, परिजन और शुभचिंतक सभी बेचैन हैं। दूसरी ओर, अस्पताल में राजकुल से जुड़े लोग और मिथिला के अनेक श्रद्धालु जुटे हुए हैं। कोई मन ही मन प्रार्थना कर रहा है, कोई देवी-देवताओं से उनके शीघ्र स्वास्थ्य की कामना कर रहा है।
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राजपरंपरा और समाज का रिश्ता: महारानी कामसुंदरी देवी महज एक नाम नहीं हैं। वे उस परंपरा की जीवित कड़ी हैं जो कभी मिथिला को राजकुल की समृद्धि, विद्वत्ता और परोपकार से गौरवान्वित करती थी। महाराज कामेश्वर सिंह की धर्मपत्नी होने के नाते उन्होंने दशकों तक राजमहल की गरिमा और सादगी को बनाए रखा। राजमहल से जुड़े बुजुर्ग कहते हैं: महारानी जी ने सदैव समाज से दूरी नहीं बनाई। वे हमारी मिथिला की माता हैं। उनका अस्वस्थ होना मानो पूरे समाज की आत्मा को चोट पहुँचाना है।
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जनप्रतिनिधि भी पहुँचे अस्पताल: महारानी की स्थिति की जानकारी मिलने पर पूर्व विधायक डॉ. फराज फातमी मंगलवार को अस्पताल पहुँचे। उन्होंने चिकित्सकों से मुलाकात कर इलाज की जानकारी ली और बेहतर उपचार सुनिश्चित करने की बात कही। उनके इस कदम से यह स्पष्ट हो गया कि महारानी की अस्वस्थता केवल राजमहल या राजपरिवार की चिंता नहीं, बल्कि पूरे जनमानस की पीड़ा है।
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इतिहास की परछाई और वर्तमान की दुआ: दरभंगा राजकुल का इतिहास वैभवशाली रहा है। विश्वविद्यालय, अस्पताल, पुस्तकालय और अनेक सामाजिक संस्थाओं की नींव इसी राजकुल ने रखी। महाराज कामेश्वर सिंह का योगदान आज भी शिक्षा और समाज के क्षेत्र में अमिट है। आज जब उनकी जीवनसंगिनी अस्वस्थ हैं, तो यह खबर लोगों को उस गौरवशाली अतीत की याद दिला रही है। मिथिला की जनता का कहना है कि राजकुल केवल शाही वैभव का प्रतीक नहीं रहा, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और समाज की सेवा का जीवंत उदाहरण रहा है। महारानी उसी परंपरा की अंतिम धरोहर हैं।
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मिथिला की प्रार्थना: दरभंगा की गलियों में, मंदिरों के प्रांगणों में, पूजा-पाठ और प्रार्थना में आज एक ही नाम गूँज रहा है महारानी कामसुंदरी देवी। लोग हाथ जोड़कर कहते हैं: हे भगवती! मिथिला की इस मातृशक्ति को शीघ्र स्वस्थ कीजिए। राजमहल की यह पीड़ा महज एक पारिवारिक घटना नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और समाज से जुड़ी संवेदनाओं का संगम है। 93 वर्ष की आयु में भी महारानी कामसुंदरी देवी, दरभंगा राजकुल की गरिमा की अंतिम लौ हैं। उनका अस्वस्थ होना पूरे मिथिला के लिए चिंता का विषय है। अस्पताल में चल रहा इलाज और शुभचिंतकों की प्रार्थना इस उम्मीद को जीवित रखे है कि शीघ्र ही महारानी स्वस्थ होकर राजमहल लौटेंगी और मिथिला फिर से अपने इस जीवित प्रतीक के दर्शन कर पाएगी।