"दरभंगा के जोगियारा गांव में शादी समारोह के नाम पर चली गोलियां, मंच पर थिरकती मां की पेट में लगी गोली, मौके पर ही मौत, आयोजक मौन, आरोपी फरार, और पुलिस अब भी 'जांच' के बहाने में उलझी सवाल ये कि क्या बिहार में अब हर्ष फायरिंग हत्याओं का वैध तरीका बन चुका है?"
एक बार फिर मिथिला शर्मिंदा हुई है। एक बार फिर दरभंगा की पुलिस व्यवस्था सवालों के कठघरे में खड़ी है। और इस बार मामला हर्ष फायरिंग का नहीं, एक पेशेवर कलाकार की सीधी हत्या का है। बीती रात जाले थाना क्षेत्र के जोगियारा गांव में एक शादी समारोह के दौरान, जब महिला डांसरों की प्रस्तुति चल रही थी, तभी मंच के पास मौजूद कुछ युवकों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इनमें से एक गोली मंच पर नाच रही मुजफ्फरपुर निवासी महिला डांसर शानू खान के पेट में जा लगी. पढ़े पुरी खबर.....

दरभंगा, बिहार। एक बार फिर मिथिला शर्मिंदा हुई है। एक बार फिर दरभंगा की पुलिस व्यवस्था सवालों के कठघरे में खड़ी है। और इस बार मामला हर्ष फायरिंग का नहीं, एक पेशेवर कलाकार की सीधी हत्या का है। बीती रात जाले थाना क्षेत्र के जोगियारा गांव में एक शादी समारोह के दौरान, जब महिला डांसरों की प्रस्तुति चल रही थी, तभी मंच के पास मौजूद कुछ युवकों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इनमें से एक गोली मंच पर नाच रही मुजफ्फरपुर निवासी महिला डांसर शानू खान के पेट में जा लगी।
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शानू ने मौके पर ही दम तोड़ दिया: यह कोई हादसा नहीं था। यह हत्या थी। और इसके जिम्मेदार वे सभी हैं जो बंदूक चलाते रहे, जो खामोश रहे, और जो अब “जांच” की घिसी-पिटी भाषा में बेशर्मी से जवाब दे रहे हैं।
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शादी की आड़ में कार्यक्रम का आयोजन: प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह शादी समारोह राम विनय सिंह के घर पर आयोजित था। मेहंदी रस्म के लिए मुजफ्फरपुर से चार महिला डांसरों की बुकिंग की गई थी। रात लगभग 11 बजे कार्यक्रम शुरू हुआ और कुछ ही मिनटों में नाच के बीच में गोलियां चलनी शुरू हो गईं।
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प्रत्यक्षदर्शी डांसर रानी ने बताया कि उन्होंने कई बार मंच से लोगों से फायरिंग रोकने की अपील की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। गोली मंच के बिल्कुल करीब से चलाई गई, जो सीधा शानू के पेट में लगी। मंच टूटा, पंडाल में भगदड़ मची, लोग भागे और आयोजक, बंदूकधारी, सब फरार हो गए।
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मृतका की मां का आरोप गंभीर: मृतका शानू खान की मां नजमा खातून ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की बुकिंग प्रभात सिंह नामक व्यक्ति ने की थी। घटना से पहले प्रभात और शानू के बीच कहासुनी हुई थी। मां का कहना है कि प्रभात ने शानू को धमकी दी थी, और अब उनकी बेटी की लाश घर आई है।
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अब सवाल साफ़ है: क्या प्रभात सिंह पुलिस की पकड़ से बाहर है या पुलिस की पकड़ ही कमज़ोर है?
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क्या शादी जैसे सार्वजनिक समारोहों में हथियार लाना अब सामान्य हो गया है?
आयोजक राम विनय सिंह से पूछताछ क्यों नहीं हुई? कार्यक्रम की कोई अनुमति ली गई थी या नहीं?
क्या वहां पुलिस की कोई गश्ती व्यवस्था थी? और अगर नहीं थी, तो क्यों नहीं?
एक नवजात बच्चा मां की छांव से महरूम हो गया, और दरभंगा पुलिस 'जांच कर रहे हैं' का राग अलाप रही है।
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दरभंगा पुलिस को अब सिर्फ बयान नहीं देना चाहिए, कार्रवाई करनी चाहिए। अगर बंदूक वैध थी तो लाइसेंस किसका था? अगर अवैध थी तो कहां से आई? फायरिंग की फुटेज, वीडियो, चश्मदीद — सब कुछ मौजूद है। फिर भी गिरफ्तारी नहीं?
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क्या पुलिस को अब हत्या करने के लिए सीसीटीवी में गोली लगने का स्लो मोशन वीडियो चाहिए?
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दरभंगा पुलिस अगर इस बार भी हाथ मलती रही, तो यह खबर सिर्फ अपराध की नहीं, व्यवस्था की मौत की दस्तावेज़ बन जाएगी।
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मांग स्पष्ट है:
1. प्रभात सिंह की तत्काल गिरफ्तारी हो।
2. बंदूकधारी की पहचान कर अविलंब जेल भेजा जाए।
3. कार्यक्रम के आयोजक से सख्ती से पूछताछ हो।
4. मृतका के परिवार को सरकार मुआवज़ा दे और बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी ले।
5. जिले भर के सभी आयोजनों में पुलिस सुरक्षा अनिवार्य की जाए।
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अगर आज आवाज़ नहीं उठी, तो कल हर मंच पर गोली चलेगी। और हर मां की कोख इस तंत्र की लापरवाही का शिकार होगी।