जब बादलों की ओट में छुप गया सूरज और पछुआ ने बढ़ा दी कंपकंपी, तब ठिठुरते बचपन के लिए ‘डीएम अंकल’ बने राहत की गर्म धूप दरभंगा में कड़ाके की ठंड के बीच 22 दिसंबर तक प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में पठन-पाठन स्थगित.....
मिथिलांचल की ठिठुरती सुबह, कंपकंपाती दोपहर और सिहरती शाम के बीच दरभंगा जिला इन दिनों भीषण शीतलहर की चपेट में है। पिछले कई दिनों से आसमान में बादलों की चादर, पछुआ हवा की तीखी मार और सूर्य के दर्शन का दुर्लभ होना, आम जनजीवन के साथ-साथ सबसे अधिक बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा था। ऐसे हालात में जिला प्रशासन ने संवेदनशीलता और समयबद्धता का परिचय देते हुए बड़ा फैसला लिया है. पढ़े पूरी खबर.......
दरभंगा। मिथिलांचल की ठिठुरती सुबह, कंपकंपाती दोपहर और सिहरती शाम के बीच दरभंगा जिला इन दिनों भीषण शीतलहर की चपेट में है। पिछले कई दिनों से आसमान में बादलों की चादर, पछुआ हवा की तीखी मार और सूर्य के दर्शन का दुर्लभ होना, आम जनजीवन के साथ-साथ सबसे अधिक बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा था। ऐसे हालात में जिला प्रशासन ने संवेदनशीलता और समयबद्धता का परिचय देते हुए बड़ा फैसला लिया है।

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जिलाधिकारी कौशल कुमार के निर्देश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जिले के सभी सरकारी एवं निजी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों (कक्षा 1 से 8 तक) में 22 दिसंबर तक पठन-पाठन कार्य स्थगित रखने का आदेश जारी किया है। हालांकि, आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षक अपने नियत समय पर विद्यालय पहुंचेंगे और प्रशासनिक व शैक्षणिक दायित्वों का निर्वहन करेंगे।

बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता: जिला शिक्षा पदाधिकारी ने आदेश जारी करते हुए कहा कि लगातार गिरते तापमान, ठंड में बढ़ोतरी और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। छोटे बच्चों के लिए सुबह-सुबह घर से निकलकर स्कूल आना, खुले वातावरण में बैठकर पढ़ाई करना स्वास्थ्य के लिहाज से जोखिम भरा साबित हो सकता था। सर्दी-जुकाम, बुखार और निमोनिया जैसी बीमारियों की आशंका को देखते हुए एहतियातन यह कदम उठाया गया है।

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सूरज की गैरहाजिरी ने बढ़ाई मुश्किलें: बीते दो-तीन दिनों से दरभंगा में मौसम का मिजाज लगातार तल्ख बना हुआ है। जहां गुरुवार को घने कोहरे के बावजूद देर से ही सही, सूर्य देव ने दर्शन दिए थे, वहीं शुक्रवार को स्थिति पूरी तरह उलट रही। सुबह से ही आकाश में घने बादलों का डेरा जमा रहा। कोहरा नहीं था, लेकिन पछुआ हवा की तेज़ी ने ठंड की तीव्रता को कई गुना बढ़ा दिया। पूरे दिन सूरज नजर नहीं आया और ठंड ने लोगों को घरों में दुबकने पर मजबूर कर दिया। मौसम के जानकारों की मानें तो दिसंबर के मध्य में पारा 10–11 डिग्री सेल्सियस तक गिरना पिछले कई वर्षों में असामान्य माना जा रहा है। यही वजह है कि आम लोग भी इस तरह की ठंड के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं थे।

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जनजीवन पर असर, बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी: ठंड का असर हर तबके पर पड़ा है, लेकिन सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को झेलनी पड़ रही थी। सुबह-सुबह ठंड में स्कूल जाना, ठिठुरते हाथों से किताबें पकड़ना और खुले कमरों में पढ़ाई करना बच्चों के लिए कठिन हो गया था। अभिभावकों में भी इसे लेकर चिंता बढ़ रही थी।

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डीएम अंकल ने हमें राहत दी: प्रशासन के इस फैसले से बच्चों के चेहरे पर भी मुस्कान दिखी। सड़कों पर जाते समय कई छोटे-छोटे बच्चों को यह कहते सुना गया....डीएम अंकल ने हम लोगों को राहत दी है…इसलिए डीएम अंकल को थैंक्यू। यह दृश्य प्रशासनिक निर्णय और आमजन के बीच विश्वास के मजबूत रिश्ते को दर्शाता है।

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समय पर फैसला, सराहनीय कदम: वरिष्ठ नागरिकों, अभिभावकों और शिक्षकों ने जिला प्रशासन के इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि ठंड के इस प्रकोप में अगर समय रहते स्कूल बंद नहीं किए जाते, तो बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता था। प्रशासन का यह कदम न केवल नियमों के अनुरूप है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण का भी परिचायक है।

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आगे भी मौसम पर नजर: प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मौसम की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है। यदि ठंड का प्रकोप इसी तरह जारी रहता है, तो आगे भी आवश्यकतानुसार निर्णय लिए जाएंगे। फिलहाल 22 दिसंबर तक बच्चों को ठंड से राहत मिलेगी, वहीं शिक्षक विद्यालय में उपस्थित रहकर शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यों को संभालेंगे। कुल मिलाकर, दरभंगा में कड़ाके की ठंड के बीच जिला प्रशासन का यह फैसला बच्चों के हित में लिया गया एक जिम्मेदार और संवेदनशील कदम माना जा रहा है, जिसने न सिर्फ अभिभावकों की चिंता कम की है, बल्कि प्रशासन के प्रति भरोसे को भी और मजबूत किया है।
