दरभंगा की भीड़भाड़ भरी सड़कों पर व्यवस्था की रफ्तार ने एक माँ को कुचल डाला: बाकरगंज में मिक्सर मशीन से हुई दर्दनाक मौत ने उजागर की प्रशासनिक सुस्ती, यातायात अव्यवस्था और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
शहर के लहेरियासराय थाना क्षेत्र अंतर्गत बाकरगंज, पालीराम चौक पर शनिवार की दोपहर एक दिल दहला देने वाली दुर्घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। एक भारी मिक्सर मशीन से भरे ट्रक ने बाइक सवार परिवार को टक्कर मार दी, जिससे एक महिला की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए. पढ़े पुरी खबर......

दरभंगा शहर के लहेरियासराय थाना क्षेत्र अंतर्गत बाकरगंज, पालीराम चौक पर शनिवार की दोपहर एक दिल दहला देने वाली दुर्घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। एक भारी मिक्सर मशीन से भरे ट्रक ने बाइक सवार परिवार को टक्कर मार दी, जिससे एक महिला की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे ने न सिर्फ़ एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की निष्क्रियता, यातायात नियमों की धज्जियां और सिस्टम की संवेदनहीनता को भी उजागर कर दिया।
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मृतका की पहचान 55 वर्षीय मुन्नी खातून, पत्नी मोहम्मद अब्बास के रूप में हुई है। वे अपने बेटे मोहम्मद कादिर, बहू नाजो खातून और पोती सवा परवीन के साथ बाइक से डीएमसीएच में इलाज कराने के बाद अपने गांव लौट रही थीं। इसी दौरान पालीराम चौक के पास निर्माण कार्य में लगे एक मिक्सर मशीन वाले ट्रक ने उन्हें टक्कर मार दी। बाइक सवार चारों व्यक्ति सड़क पर गिर पड़े। गिरते ही ट्रक का चक्का मुन्नी खातून के सिर पर चढ़ गया, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। अन्य तीन घायलों को डीएमसीएच भेजा गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
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घटना के बाद स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। लोग आक्रोशित थे, उनकी आंखों में गुस्सा था और दिल में भय। एक और माँ इस शहर की लापरवाही की भेंट चढ़ गई थी। मृतक महिला की लाश सड़क पर पड़ी थी और चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल था। कुछ देर के लिए जीवन थम-सा गया था। लोगों ने सड़क को जाम कर दिया और मुआवजा एवं कार्रवाई की मांग करने लगे।
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घटना की सूचना मिलते ही लहेरियासराय थाना के दारोगा राकेश कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए डीएमसीएच भेजा और ट्रक को ड्राइवर सहित थाना भेजने का निर्देश दिया। बाद में लहेरियासराय थानाध्यक्ष अमित कुमार, विश्वविद्यालय थानाध्यक्ष सुधीर कुमार और नगर थानाध्यक्ष अरविंद कुमार भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और आक्रोशित लोगों को समझा-बुझाकर सड़क से जाम हटवाया।
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यह कोई पहली घटना नहीं है। दरभंगा शहर में नो-एंट्री के नियम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गए हैं। आए दिन भारी वाहन दोपहर में शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाकों से गुजरते हैं। नियमों का उल्लंघन होता है, लेकिन पुलिस आंख मूंदे रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नाला निर्माण के नाम पर ओवरलोड ट्रक बिना किसी रोक-टोक के शहर में प्रवेश करते हैं। इस हादसे में भी वही हुआ एक ओवरलोड मिक्सर मशीन शहर के बीचोंबीच तेज़ गति से दौड़ रही थी।
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मौके पर मौजूद कई चश्मदीदों ने बताया कि ट्रक की रफ्तार तेज थी। सड़क पर जगह-जगह निर्माण सामग्री फैली हुई थी, जिस कारण बाइक फिसली और हादसा हुआ। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "हमने पहले भी कई बार पुलिस को सूचना दी है कि दोपहर में भारी वाहन आते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। यह हादसा लापरवाही का नतीजा है।"
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मुन्नी खातून का परिवार इस घटना से पूरी तरह टूट चुका है। बेटा अस्पताल में घायल है, बहू और पोती का इलाज चल रहा है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। जिस महिला को सुबह डॉक्टर से दिखाकर घर ले जाने की तैयारी थी, वह अब कभी वापस नहीं जाएगी। वह घर अब सूना होगा, वह रसोई अब ठंडी पड़ेगी, और वह पोती शायद कई रातों तक अपनी दादी को पुकारती रहेगी।
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नगर निगम और प्रशासन से सवाल:
1. क्या शहर में दिन के समय नो-एंट्री नियमों का पालन नहीं होना चाहिए?
2. नाला निर्माण कार्य की देखरेख कौन कर रहा था?
3. ठेकेदार और वाहन मालिक पर क्या कोई एफआईआर दर्ज हुई?
4. क्या मिक्सर ट्रक के पास वैध अनुमति थी?
5. पीड़ित परिवार को अब तक क्या राहत दी गई?
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प्रशासनिक जवाबदेही की दरकार: यह हादसा सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि एक पूरे सिस्टम की असफलता की पहचान है। अगर समय रहते नियमों का पालन कराया जाता, तो आज यह दर्दनाक मंजर देखने को नहीं मिलता। ट्रैफिक विभाग की निष्क्रियता और नगर निगम की अनदेखी ने मिलकर एक माँ की जान ले ली।
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लोगों की मांग:
1. मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये की राहत राशि।
2. घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था और खर्च सरकार द्वारा।
3. संबंधित ठेकेदार और वाहन मालिक पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हो।
4. ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू किया जाए।
5. बाकरगंज क्षेत्र में ट्रैफिक सिग्नल और बैरिकेडिंग की व्यवस्था हो।
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मुन्नी खातून की मौत ने दरभंगा शहर के प्रशासनिक ढांचे को आईना दिखा दिया है। अब समय है कि सिर्फ खानापूर्ति से काम न चले। एक माँ की मौत ने जो सवाल खड़े किए हैं, उनका जवाब प्रशासन को देना होगा। नहीं तो अगली मौत किसी और के घर की चूल्हा बुझा देगी, किसी और पोती की मुस्कान छीन लेगी। यह सिर्फ रिपोर्ट नहीं एक माँ की मौत का दस्तावेज है। और जब तक इस दस्तावेज पर कार्रवाई की मुहर नहीं लगती, तब तक हर जिम्मेदार अफसर इस मौत का हिस्सेदार रहेगा।