राष्ट्रीय क्रिप्टिक क्रॉसवर्ड के महामंच पर दरभंगा पब्लिक स्कूल का अभूतपूर्व उत्कर्ष 10,000 टीमों को पछाड़कर देशभर में द्वितीय स्थान, टाई-ब्रेकर तक पहुँची शुभी–सुधांशु की अद्भुत मेधा, रक्षा सचिव से लेकर वरिष्ठ IAS–IPS अधिकारियों की उपस्थिति में मिथिला की प्रतिभा ने रचा स्वर्णाक्षरी इतिहास
दिल्ली मोड़ स्थित दरभंगा पब्लिक स्कूल ने पुनः सिद्ध कर दिया कि मेधा, मनोवैज्ञानिक चपलता, भाषिक प्रवीणता और परिस्थिति–बुद्धि के सम्मिलित तेज से कोई भी शिखर अजेय नहीं रह सकता। नेशनल क्रिप्टिक क्रॉसवर्ड कॉन्टेस्ट 2025 के महाव्यासपीठ पर विद्यालय की प्रतिभावान टीम ने ऐसा अद्वितीय प्रदर्शन किया कि संपूर्ण देश की 10,000 से अधिक टीमों के मध्य से उभरकर राष्ट्रीय स्तर पर दुतिय स्थान प्राप्त किया एक ऐसी असाधारण उपलब्धि, जिस पर दरभंगा, मिथिला और सम्पूर्ण बिहार निःसंशय गर्व कर सकता है. पढ़े पूरी खबर.......
दिल्ली मोड़ स्थित दरभंगा पब्लिक स्कूल ने पुनः सिद्ध कर दिया कि मेधा, मनोवैज्ञानिक चपलता, भाषिक प्रवीणता और परिस्थिति–बुद्धि के सम्मिलित तेज से कोई भी शिखर अजेय नहीं रह सकता। नेशनल क्रिप्टिक क्रॉसवर्ड कॉन्टेस्ट 2025 के महाव्यासपीठ पर विद्यालय की प्रतिभावान टीम ने ऐसा अद्वितीय प्रदर्शन किया कि संपूर्ण देश की 10,000 से अधिक टीमों के मध्य से उभरकर राष्ट्रीय स्तर पर दुतिय स्थान प्राप्त किया एक ऐसी असाधारण उपलब्धि, जिस पर दरभंगा, मिथिला और सम्पूर्ण बिहार निःसंशय गर्व कर सकता है।

देशभर के विद्यालयों से आए प्रतिभागियों ने ऑनलाइन चरण की बहुपरत चयन प्रक्रिया में अपनी-अपनी शब्द सामर्थ्य का लोकोत्तर प्रदर्शन किया, परंतु दरभंगा पब्लिक स्कूल की टीम ने भाषिक कौशल, विश्लेषणात्मक चातुर्य एवं अदम्य मानसिक सुनियोजन का ऐसा संगम दिखाया कि शीर्ष 50 श्रेष्ठ टीमों में स्थान सुरक्षित कर दिल्ली स्थित स्टेज राउंड तक का मार्ग प्रशस्त किया।

इस राष्ट्रीय महोत्सव का उद्घाटन भारत सरकार के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह द्वारा हुआ, जिनकी उपस्थिति ने प्रतियोगिता की गरिमा को ऊर्ध्वगामी कर दिया। विशिष्ट अतिथियों में डॉ. विवेक कुमार सिंह (IAS) RERA चेयरमैन, एस. कृष्णन (वरिष्ठ IAS), मधुप तिवारी (वरिष्ठ IPS) तथा कुंदन कुमार (वरिष्ठ IAS एवं BIADA चेयरमैन) जैसे सुविख्यात प्रशासक भी उपस्थित थे, जिनके उद्गारों ने प्रतिभागियों में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार किया।

शुभी–सुधांशु की द्वय-प्रतिभा बनी मिथिला की शान: स्कूल का प्रतिनिधित्व कर रही टीम में शुभी श्रीवास्तव एवं सुधांशु नायक सम्मिलित थे, जिनकी मानसिक तीव्रता, शब्द-विन्यास की प्रगल्भता, चिंतन की चपलता और ‘क्रिप्टिक’ संकेतों की व्याख्या करने की विलक्षण क्षमता ने निर्णायकों को कई बार आश्चर्यचकित कर दिया।

स्टेज राउंड के बहुस्तरीय चरणों में प्रतियोगिता क्रमशः दुरूह, चुनौतीपूर्ण और मानसिक रूप से अवसादी बनती चली गई। किन्तु दोनों प्रतिभागियों ने अभूतपूर्व मानसिक संतुलन, अपरिमेय धैर्य, तथा विवेकशील प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए प्रत्येक दौर को मानो बौद्धिक सर्जरी की सूक्ष्मता के साथ पार किया। अंततः जब प्रतियोगिता अपने उत्कर्ष पर पहुँची, तब देश की केवल 15 सर्वोच्च टीमें ग्रैंड फिनाले के लिए अवशिष्ट रहीं। यहीं से आरंभ हुआ वह रोमांच, जहाँ हर सेकंड, हर संकेत, हर अक्षर छात्रों की सूझ-बूझ की कसौटी बन गया।

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टाई-ब्रेकर तक पहुँची दरभंगा की जुझारू टीम: प्रतियोगिता के अंतिम क्षणों तक चलने वाली मस्तिष्क-संग्राम की इस महागाथा में मात्र 3 टीमें अंत तक कायम रहीं और उनमें से एक थी दरभंगा पब्लिक स्कूल की गौरवशाली टीम। यद्यपि टाई-ब्रेकर के सूक्ष्मतम अंतर ने अंतिम विजय किसी अन्य संस्था के पक्ष में कर दी, परन्तु द्वितीय स्थान की राष्ट्रीय उपलब्धि, समूचे बिहार के शैक्षणिक इतिहास में एक स्वर्णाक्षरी अध्याय के समान दर्ज हो गई। विजयी टीमों में प्रथम स्थान पर BCM आर्य, लुधियाना, तथा तृतीय स्थान पर भारती विद्या भवन, हैदराबाद रही।

अभिभावकों का गर्व, शिक्षकों का संतोष: शुभी के माता-पिता श्रीमती शिवानी शिप्रा एवं श्री अजीत कुमार तथा सुधांशु के माता-पिता डॉ. राखी कुमारी एवं डॉ. अमित कुमार नायक ने न केवल बधाई प्रेषित की बल्कि दोनों बच्चों की इस ऐतिहासिक सफलता को ‘प्रज्ञा, परिश्रम और अनुशासन का त्रिवेणी-संगम’ बताया।प्रतियोगिता की शिक्षिका-प्रभारी सुजाता श्रीवास्तव ने गौरव से कहा टीम ने जिस निर्भीकता और एकाग्रता के साथ टाई-ब्रेकर तक पहुँचकर संघर्ष किया, उसने विद्यालय के इतिहास में एक नवीन मील का पत्थर स्थापित कर दिया है। यह केवल सफलता नहीं, बल्कि दरभंगा की सामूहिक शैक्षणिक चेतना का उन्नयन है।

प्राचार्य एवं निदेशक का संदेश: यह तो बस शुरुआत है…विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एम.के. मिश्रा ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि न केवल विद्यालय की शैक्षणिक परंपरा को उच्चतर आयाम प्रदान करती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का एक दीप्तिमान स्रोत भी है। विद्यालय के निदेशक डॉ. विशाल गौरव ने कहा ऐसी प्रतियोगिताएँ विद्यार्थियों की व्यक्तित्व-शक्ति को निखारती हैं। यह उपलब्धि अकादमिक श्रेष्ठता से भी आगे जाकर जीवन के हर क्षेत्र में उत्कृष्टता अर्जित करने की प्रेरणा देती है।

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यह केवल जीत नहीं, दरभंगा की मेधा का राष्ट्रीय उद्घोष है: इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने सिद्ध कर दिया कि दरभंगा पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी मात्र शिक्षार्थी नहीं, बल्कि भविष्य के भाषिक योद्धा, तर्कशील विचारक, और वैचारिक अग्रदूत हैं। उनकी यह सफलता केवल एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि दरभंगा की समस्त शैक्षणिक विरासत का एक तेजस्वी घोष–नाद है, जो बताता है कि प्रतिभा की वंश-परंपरा को सीमाएँ नहीं रोकतीं, और मेधा का तेज किसी भौगोलिक परिधि में कैद नहीं होता।
