मिथिला विश्वविद्यालय का 11वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न: राज्यपाल का गीता-आधारित शिक्षा संदेश, 26 गोल्ड मेडल–80 पीएचडी सहित 1200 छात्रों को उपाधि, कुलपति ने नैक B++ ग्रेड–शोध विश्वविद्यालय दर्जा–फोरेंसिक लैब–1.62 लाख नामांकन सहित विश्वविद्यालय की बड़ी उपलब्धियाँ गिनाईं; अतुल कोठारी व प्रो टी.एन. सिंह का प्रेरक संबोधन पूरी विस्तृत खबर पढ़ें
दरभंगा के ऐतिहासिक डॉ. नागेन्द्र झा स्टेडियम आज विद्या, विनम्रता और भारतीय ज्ञान–परंपरा के अद्भुत संगम का साक्षी बना। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में एक साथ आध्यात्मिक दृष्टि, आधुनिक शिक्षा-दर्शन और नई पीढ़ी की आशाओं का उत्सव मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी, सम्मानित अतिथि के रूप में आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टी. एन. सिंह, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थु उपस्थित रहे. पढ़े पूरी खबर.......
दरभंगा के ऐतिहासिक डॉ. नागेन्द्र झा स्टेडियम आज विद्या, विनम्रता और भारतीय ज्ञान–परंपरा के अद्भुत संगम का साक्षी बना। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह में एक साथ आध्यात्मिक दृष्टि, आधुनिक शिक्षा-दर्शन और नई पीढ़ी की आशाओं का उत्सव मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी, सम्मानित अतिथि के रूप में आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टी. एन. सिंह, तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल. चोंग्थु उपस्थित रहे।

कुलाधिपति का सारगर्भित वाक्य–विधान: शिक्षा केवल सशक्तिकरण नहीं, मुक्ति का माध्यम भी: मुख्य अतिथि एवं कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खां ने भारतीय शिक्षा-परंपरा की गहराई को रेखांकित करते हुए कहा पश्चिमी देशों में शिक्षा मात्र सशक्तिकरण का साधन है, परंतु भारत में शिक्षा ‘मुक्ति’ का माध्यम भी मानी गई है। विद्या यदि विनम्रता न दे तो अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकती। उन्होंने गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि वास्तविक ज्ञान मनुष्य को माया–मोह से मुक्त करता है।उन्होंने यह भी कहा आत्मा जब नियंत्रित होती है तो मित्र बनती है, अनियंत्रित होने पर शत्रु। धन, विद्या और कुल लघु बुद्धि वालों में नशा पैदा करते हैं, परंतु सात्विक प्रवृत्ति वालों में आत्मगौरव। विनम्रता में जितना झुकेंगे, दुनिया उतना ऊपर उठाएगी। कुलाधिपति ने मिथिला की विद्या–परंपरा, यहाँ के अद्वितीय शास्त्रार्थ और आध्यात्मिक विरासत की विशेष प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री नहीं, बल्कि अच्छा इंसान और सुयोग्य नागरिक बनाना है।

उद्घाटन, अतिथि–गण और कुलपति का स्वागत: समारोह का शुभारंभ विद्वत शोभायात्रा से हुआ, जिसमें कुलाधिपति, कुलपति, पूर्व कुलपति, कुलसचिव, संकायाध्यक्ष, सीनेट-सिंडिकेट तथा विद्वत परिषद के सदस्य शामिल हुए। राष्ट्रगान, विश्वविद्यालय कुलगीत एवं कन्वोकेशन बैंड की प्रस्तुति विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग ने की। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कुलाधिपति के कुशल नेतृत्व में विश्वविद्यालय निरंतर नए आयाम प्राप्त कर रहा है। सभी सत्र नियमित हैं, परीक्षाओं का समय पर प्रकाशन हो रहा है। नियमित नियुक्तियों एवं अतिथि शिक्षकों की बहाली से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने यह भी बताया सीबीसीएस के तहत 2025–29 सत्र में 1,62,500 छात्र–छात्राओं का नामांकन हुआ है।

यह बिहार का एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसने नैक के तृतीय चरण में B++ ग्रेड प्राप्त किया। 2024 में पीएम–उषा योजना के तहत विश्वविद्यालय को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। बिहार का पहला विश्वविद्यालय, जहाँ फोरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना हो रही है। 2025 में आईक्यूएसी द्वारा एनएडी पोर्टल/डिजिलॉकर पर अंकपत्र, मूल प्रमाणपत्र और औपबंधिक प्रमाणपत्र अपलोड करने में यह विश्वविद्यालय अग्रणी रहा। शिक्षकों–कर्मचारियों का पूरा प्रोफाइल समर्थ पोर्टल पर उपलब्ध है। उन्होंने 2024 में स्थापित 10 पीठों, 2024 में जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया तथा 2025 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के साथ हुए एमओयू और आईआईटी पटना के साथ शीघ्र होने वाले एमओयू का भी उल्लेख किया।

प्रोन्नति, शोध–उपलब्धियाँ और शैक्षणिक प्रगति: कुलपति ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को विस्तार से गिनाया 259 सहायक प्राध्यापकों को लेवल 10 से लेवल 11 में प्रोन्नति 370 कर्मियों को उच्चतर वेतनमान एवं उच्च पद का प्रभार अनुकंपा पर नियुक्त 28 शिक्षकेत्तर कर्मियों में 23 की सेवा संपुष्टि आईसीएसएसआर द्वारा संगीत एवं नाट्य विभाग और अर्थशास्त्र विभाग को मेजर–माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट कई शिक्षकों द्वारा अलग-अलग संस्थाओं में शोध प्रस्ताव समर्पित उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में यह विश्वविद्यालय देश के महत्वपूर्ण शोध–केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित होगा।

डिग्री वितरण: 26 गोल्ड मेडल, 80 पीएचडी और 1200 उपाधियाँ: दीक्षांत समारोह का मुख्य आकर्षण रहा 25 विषय टॉपर + 1 ओवरऑल टॉपर = कुल 26 गोल्ड मेडलिस्ट 80 पीएचडी उपाधियाँ करीब 1200 छात्रों को डिग्रियाँ समारोह का संचालन कुलसचिव डॉ. दिव्या रानी हांसदा, अन्य सत्रों का संचालन डॉ. प्रियंका राय, डॉ. रश्मि कुमारी और नेहा कुमारी ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रोफेसर राजमणि प्रसाद सिन्हा को भौतिकी के क्षेत्र में एवं प्रोफेसर समरेन्द्र प्रताप सिंह को चिकित्सा क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धि के लिए डॉक्टर ऑफ साइंस (D.Sc.) की मानद उपाधि कुलाधिपति द्वारा प्रदान की गई।

मुख्य वक्ता डॉ. अतुल कोठारी का संबोधन: शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण: डॉ. कोठारी ने कहा आज उपाधि धारकों के जीवन का स्वर्णिम दिन है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 शिक्षा को कला, खेल, संस्कृति, कौशल और चरित्र निर्माण से जोड़ती है। भारतीय शिक्षा प्रणाली को शोध एवं परंपरा के नए स्वरूप में ढालना होगा, तभी भारत विश्वगुरु बनेगा।

सम्मानित अतिथि प्रो. टी. एन. सिंह का संदेश: उन्होंने छात्रों से कहा दीक्षांत अपने-आप का मूल्यांकन करने का दिन है। सूर्य की तरह चमकने के लिए तपना पड़ता है।माता-पिता और शिक्षकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना ही सच्ची उपलब्धि है। प्रो. सिंह ने मिथिला विश्वविद्यालय के तेज़ विकास की सराहना की और कुलपति सहित सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्रों को बधाई दी।

एनसीसी–एनएसएस, डब्ल्यूआईटी और पूरे विश्वविद्यालय परिवार का सहयोग: समारोह में एनसीसी के 60 कैडेट, एनएसएस के 40 स्वयंसेवक, एनएसएस समन्वयक डॉ. आर. एन. चौरसिया एवं डॉ. प्रियंका राय, डब्ल्यूआईटी की शिक्षिकाएँ एवं छात्राएँ, तथा विश्वविद्यालय के पदाधिकारी एवं कर्मचारी ने सराहनीय सहयोग दिया।

दीक्षांत समारोह केवल उपाधि-वितरण का कार्यक्रम नहीं रहा, बल्कि यह मिथिला की विद्या-परंपरा, भारतीय ज्ञान–दर्शन और आधुनिक शिक्षा की त्रिवेणी का अद्भुत संगम बना। कुलाधिपति की आध्यात्मिक–दार्शनिक सीख, कुलपति की प्रगतिशील दृष्टि और राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों की उपस्थिति ने इस समारोह को यादगार बना दिया। मिथिला विश्वविद्यालय ने इस समारोह के माध्यम से यह संदेश दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी नहीं, बल्कि चरित्र, ज्ञान, विवेक और मानवीय मूल्यों से सम्पन्न नागरिक बनाना है और इस दिशा में विश्वविद्यालय निरंतर अग्रसर है।
