वाह... वाह राजीव रौशन! जब जनता के आँसू बनें सबूत और फरियादें बनीं फैसला दरभंगा के जिलाधिकारी ने 'जनता दरबार' को बना दिया न्याय की अदालत, जहाँ नारे नहीं, न्याय बोला; और उस न्याय की जुबां से गूंजा 'सत्यमेव जयते

शुक्रवार का दिन था, लेकिन जिला समाहरणालय परिसर का माहौल किसी न्यायालय से कम न था। कुर्सियों पर बैठे एक-एक आम आदमी की आंखों में उम्मीद की नमी थी और सामने खड़े जिलाधिकारी राजीव रौशन की दृष्टि में दायित्व का संकल्प। यह दृश्य था दरभंगा के जिलाधिकारी राजीव रौशन द्वारा आयोजित ‘जनता के दरबार में डीएम’ कार्यक्रम का, जो अब सिर्फ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि जनविश्वास का जीवंत मंच बन चुका है. पढ़े पुरी खबर.......

वाह... वाह राजीव रौशन! जब जनता के आँसू बनें सबूत और फरियादें बनीं फैसला दरभंगा के जिलाधिकारी ने 'जनता दरबार' को बना दिया न्याय की अदालत, जहाँ नारे नहीं, न्याय बोला; और उस न्याय की जुबां से गूंजा 'सत्यमेव जयते
वाह... वाह राजीव रौशन! जब जनता के आँसू बनें सबूत और फरियादें बनीं फैसला दरभंगा के जिलाधिकारी ने 'जनता दरबार' को बना दिया न्याय की अदालत, जहाँ नारे नहीं, न्याय बोला; और उस न्याय की जुबां से गूंजा 'सत्यमेव जयते

दरभंगा: शुक्रवार का दिन था, लेकिन जिला समाहरणालय परिसर का माहौल किसी न्यायालय से कम न था। कुर्सियों पर बैठे एक-एक आम आदमी की आंखों में उम्मीद की नमी थी और सामने खड़े जिलाधिकारी राजीव रौशन की दृष्टि में दायित्व का संकल्प। यह दृश्य था दरभंगा के जिलाधिकारी राजीव रौशन द्वारा आयोजित ‘जनता के दरबार में डीएम’ कार्यक्रम का, जो अब सिर्फ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि जनविश्वास का जीवंत मंच बन चुका है।

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इस शुक्रवार को भी जिले के कोने-कोने से आए 75 से अधिक फरियादी अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर उपस्थित हुए। कोई ज़मीन के सीमांकन को लेकर चिंतित था, कोई वर्षों से लंबित दाखिल-खारिज की फ़ाइलों में उलझा हुआ। किसी की पुश्तैनी ज़मीन पर कब्जा तो कोई वृद्धा अपनी विधवा पेंशन की आस में जिलाधिकारी के समक्ष रु-ब-रु थी।

प्रशासनिक संवेदना का जीवंत रूप: श्री रौशन न केवल इन समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुनते हैं, बल्कि अपनी कुर्सी से उठकर संबंधित अधिकारियों को बुलाकर समाधान की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ कर देते हैं। यह केवल सुनवाई नहीं, यह भरोसे की पुनर्स्थापना है, एक ऐसा चित्र जिसमें सरकार और जनता के बीच की दूरी सिमटती है।

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फेसबुक पर लाइव दरबार: तकनीक और ट्रस्ट का मेल: आज की विशेषता यह रही कि सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय की पहल पर जनता दरबार की कार्यवाही को जिला प्रशासन के फेसबुक पेज से सीधा प्रसारित किया गया। लाखों लोगों ने इसे लाइव देखा। कमेंट्स में उमड़ी जनता की प्रतिक्रिया बताती है कि लोगों को प्रशासन के इस ट्रांसपेरेंट रवैये से उम्मीदें बढ़ी हैं। एक युवक ने लिखा “पहली बार लग रहा है कि डीएम साहब जनता के बीच आकर नहीं, जनता के साथ खड़े होकर बात कर रहे हैं।”

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भूमि विवादों की सुनवाई बनी केंद्र बिंदु: जनता दरबार में सबसे अधिक मामले राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित थे। जिलाधिकारी ने हर एक परिवादी को बुलाया, उनसे बारी-बारी बात की और संबंधित अंचलाधिकारियों से त्वरित स्पष्टीकरण मांगा। कई मामलों में ऑन द स्पॉट समाधान किया गया, और शेष के लिए स्पष्ट समयसीमा निर्धारित कर दी गई।

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यह केवल ‘कार्यशैली’ नहीं, बल्कि ‘जनशैली’ है: दरभंगा प्रशासन की यह पहल अब एक संस्कृति बनती जा रही है जन संवाद की, उत्तरदायित्व की, और प्रशासनिक पारदर्शिता की।

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हर शुक्रवार न्याय का अवसर: श्री रौशन ने यह परंपरा बनाई है कि हर शुक्रवार अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक जनता दरबार का आयोजन होगा, जिसमें कोई भी नागरिक अपनी शिकायत लेकर आ सकता है। ऑनलाइन माध्यम से भी आवेदन लिए जाते हैं और उन्हें बराबर प्राथमिकता दी जाती है।

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फेसबुक पेज: प्रशासन और आमजन के बीच संवाद का सेतु: जिलाधिकारी ने नागरिकों से अपील की कि DM Darbhanga फेसबुक पेज को फॉलो करें। वहां शासन की हर गतिविधि की सटीक जानकारी, योजनाओं की प्रगति, शिकायतों का निपटारा और नीतिगत घोषणाएं साझा की जाती हैं। जिला प्रशासन दरभंगा के सोशल मीडिया पेज पर एक लाख से अधिक फॉलोवर्स हैं।

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कड़ी चेतावनी, स्पष्ट निर्देश: जिलाधिकारी ने सभी अंचलाधिकारियों और संबंधित विभागीय पदाधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि “शिकायतों का समाधान सिर्फ़ कागज़ी खानापूर्ति न हो, बल्कि ज़मीनी समाधान हो। जो लापरवाही करेगा, उसे दंड भुगतना होगा।”

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उपस्थित पदाधिकारी और ज़िम्मेदारी का संतुलन: इस दरबार में सहायक समाहर्ता के परीक्षित, अपर समाहर्ता (राजस्व) नीरज कुमार दास, उप निदेशक जन संपर्क सत्येंद्र प्रसाद, डीसीएलआर बिरौल व सदर, नोडल आईटी सेल की पूजा चौधरी, संबंधित अंचलाधिकारी सहित कई वरीय अधिकारी उपस्थित रहे और उन्होंने अपनी सक्रिय उपस्थिति से यह दर्शाया कि दरभंगा प्रशासन जनसमस्याओं को लेकर सतर्क, सजग और जवाबदेह है।

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उम्मीद की धरती पर प्रशासन की बूंदें: शहर के एक बुजुर्ग ने कहा “आज जिलाधिकारी ने हमारी आंखों का पानी और आवाज़ दोनों सुनी। वर्षों से भटक रहा था, लेकिन आज समाधान मिला।” दरभंगा में प्रशासन अब केवल आदेश देने वाली इकाई नहीं रही, यह अब जनसुनवाई और जनसहभागिता की सशक्त मिसाल बन चुका है। शुक्रवार का दरबार केवल एक दिन नहीं, वह चेतना है, जिसमें जनता स्वयं को शासन का भागीदार महसूस करती है।