यही है वो सात कॉलेज जहाँ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने किए एन.एस.एस. कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के निर्देश पर एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने सौंपी नई जिम्मेदारी, सेवा और शिक्षा के संगम से गूंजेगा मिथिला का परिसर

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, जो अपने शैक्षणिक गौरव और सामाजिक प्रतिबद्धता के लिए विख्यात रहा है, ने आज एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) की सक्रियता और जनसंपर्क को नई ऊँचाई देने हेतु अपने सात कॉलेजों में कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के निर्देशन और मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. आर. एन. चौरसिया द्वारा की गई है. पढ़े पूरी खबर........

यही है वो सात कॉलेज जहाँ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने किए एन.एस.एस. कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के निर्देश पर एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने सौंपी नई जिम्मेदारी, सेवा और शिक्षा के संगम से गूंजेगा मिथिला का परिसर
यही है वो सात कॉलेज जहाँ ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने किए एन.एस.एस. कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के निर्देश पर एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने सौंपी नई जिम्मेदारी, सेवा और शिक्षा के संगम से गूंजेगा मिथिला का परिसर....

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, जो अपने शैक्षणिक गौरव और सामाजिक प्रतिबद्धता के लिए विख्यात रहा है, ने आज एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) की सक्रियता और जनसंपर्क को नई ऊँचाई देने हेतु अपने सात कॉलेजों में कार्यक्रम पदाधिकारियों की नियुक्ति की है। यह नियुक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के निर्देशन और मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. आर. एन. चौरसिया द्वारा की गई है। यह निर्णय न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन की सजगता और संगठनात्मक दृष्टि को दर्शाता है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि मिथिला की धरती पर उच्च शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं, बल्कि सेवा, संस्कार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का विद्यालय भी है।

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नियुक्त शिक्षकों की सूची और उनका महत्त्वपूर्ण दायित्व: इन सात शिक्षकों को विश्वविद्यालय ने नई जिम्मेदारी सौंपी है, जिनसे उम्मीद की जा रही है कि वे अपने संस्थानों में एन.एस.एस. के माध्यम से युवाओं में सामाजिक जागरूकता, स्वच्छता, पर्यावरण-संरक्षण, राष्ट्रीय एकता और मानवीय मूल्य की भावना को प्रबल करेंगे।

1. डॉ. योगेश्वर साह, अंग्रेजी विभाग, सी.एम. साइंस कॉलेज, दरभंगा एक सशक्त शिक्षाविद्, जिनकी वाणी और विचार दोनों में प्रेरणा की गहराई है।

2. डॉ. खुशबू कुमारी, हिन्दी विभाग, एम.के.एस. कॉलेज, चंदौना युवा छात्राओं के लिए रोल मॉडल, जिनसे ग्रामीण छात्राओं में आत्मविश्वास की ज्योति जगाने की अपेक्षा है।

3. डॉ. अनसार अली, समाजशास्त्र विभाग, एम.एल.एस. कॉलेज, सरिसब-पाही, मधुबनी समाज और शिक्षा के गहरे संबंधों पर वर्षों से शोधरत शिक्षक, जिनकी दृष्टि सामाजिक बदलाव की दिशा तय करती है।

4. डॉ. अनुपम प्रिया, मनोविज्ञान विभाग, एम.आर.एम. कॉलेज, दरभंगा संवेदनशील और ऊर्जा से परिपूर्ण व्यक्तित्व, जो विद्यार्थियों के भीतर सेवा-भावना और मानसिक दृढ़ता दोनों को पोषित करेंगी।

5. प्रो. शिवनारायण राय, भूगोल विभाग, आर.बी. जालान बेला कॉलेज, दरभंगा समाज और धरती, दोनों के मर्म को समझने वाले शिक्षक, जिनसे पर्यावरणीय चेतना को बल मिलेगा।

6. डॉ. अजय कुमार, भूगोल विभाग, एल.सी.एस. कॉलेज, दरभंगा एक सक्रिय शिक्षाविद् जो युवा वर्ग में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और धरातलीय समझ विकसित करने के लिए जाने जाते हैं।

7. डॉ. शम्भु पासवान, हिन्दी विभाग, जे.के. कॉलेज, बिरौल साहित्यिक और मानवीय सोच के शिक्षक, जो विद्यार्थियों में सेवा को संस्कृति का हिस्सा बनाने का प्रयास करेंगे।

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विश्वविद्यालय प्रशासन की सोच सेवा ही शिक्षा का दूसरा नाम: कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने इस अवसर पर कहा कि एन.एस.एस. विश्वविद्यालय की आत्मा है। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज और युवा के बीच जीवंत संवाद की प्रक्रिया है। इन नियुक्त पदाधिकारियों से अपेक्षा है कि वे अपने कॉलेजों में विद्यार्थियों को समाजसेवा, स्वच्छता, और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में सक्रिय रूप से जोड़ें। वहीं एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. आर. एन. चौरसिया ने कहा कि विश्वविद्यालय में आने वाले दिनों में “एक कॉलेज एक थीम” की अवधारणा पर कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कॉलेज में एन.एस.एस. इकाइयाँ न केवल सामाजिक सरोकारों पर कार्य करेंगी बल्कि विश्वविद्यालय स्तर पर पर्यावरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर विशेष अभियान चलाएंगी।

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सेवा का नया संकल्प मिथिला की परंपरा में समाजसेवा की जड़ें: मिथिला की धरती हमेशा से विद्या और सेवा की संगम रही है। यहां शिक्षा केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि लोकमंगल का माध्यम रही है। अब इन सात शिक्षकों की नियुक्ति से उम्मीद बंधी है कि विश्वविद्यालय के युवा स्वयंसेवक ग्रामीण समाज में नई चेतना का संचार करेंगे कहीं गाँव की गलियों में स्वच्छता अभियान चलाते हुए, कहीं रक्तदान शिविर में हाथ बढ़ाते हुए, तो कहीं आपदा में राहत कार्य के माध्यम से समाज को सहारा देते हुए। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की यह पहल न केवल संगठनात्मक मजबूती की दिशा में कदम है, बल्कि यह उस परंपरा की पुनर्स्थापना भी है, जिसमें विद्या और सेवा साथ-साथ चलती है। विश्वविद्यालय प्रशासन का यह निर्णय आने वाले समय में निश्चय ही एन.एस.एस. को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाएगा, और मिथिला के शिक्षण संस्थानों को समाज के लिए और भी उपयोगी बनाएगा।